मक्के की खेती
सीतामढ़ी. सर्दियों में मक्के की बुवाई करने की तैयारी में जुटे किसानों के लिए अच्छी खबर है. कृषि एक्सपर्ट ने बंपर पैदावार हासिल करने के लिए टिप्स दिए हैं. कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के अनुसार शीतकालीन मक्के की बुवाई 15 अक्टूबर के बाद से शुरू होती है और नवंबर के अंत तक की जाती है. इसलिए, किसानों के पास अभी भी एक सप्ताह बचा हुआ है.
एक्सपर्ट ने मक्के की बुवाई से लेकर कटाई और कीट प्रबंधन को लेकर भी किसानों को सलाह दी है. कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक राम ईश्वर प्रसाद ने बताया कि मक्का सीतामढ़ी की मुख्य फसलों में से एक है. इसका उपयोग मानव आहार, पशुओं को खिलाने वाले दाने एवं भूसे के रूप में होता है.
मक्के की इन किस्मों की कर सकते हैं खेती
कृषि वैज्ञानिक राम ईश्वर प्रसाद ने बताया कि रबी मौसम में मक्के की फसल से अधिक उपज प्राप्त की जा सकती है. इस सीजन में मक्के की बुवाई के लिए खेत की मिट्टी का अच्छी तरह से तैयार होने जरूरी है. वैज्ञानिक ने बताया कि आमतौर एक या दो बार खेत की जुताई करें. यदि नमी की कमी हो, तो पलेवा कर खेत को तैयारी कर लें. रबी मक्का की बुवाई के लिए उन्नत किस्मों जैसे संकर मक्का-एचक्यूपीएम-1, सीडटेक-2324, केएच-5991, अम्बर-पॉपकॉर्न, वीएल अम्बर पॉपकॉर्न, हरे भुट्टे के लिए मीठी मक्का (स्वीटकॉर्न) प्रिया स्वीटकॉर्न, माधुरी स्वीटकॉर्न व चारा के लिए मक्का अफ्रीकन टॉल, जे-1006 किस्मों की बुवाई किसान कर सकते हैं. वहीं, अधिक ठंड वाले इलाकों में मक्का की बुवाई के लिए जीके 3150 हाइब्रिड और शालीमार मक्का हाइब्रिड 4 का बीज भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
बीज जनित रोगों के उपचार के लिए करें ये उपाय
रबी सीजन में मक्का की बुवाई के लिए 20-22 किग्रा. बीज प्रति हेक्टेयर का इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे लगभग 85-90 हजार पौधे प्रति हेक्टेयर हासिल हो सकते हैं. वहीं बुवाई के पूर्व बीज शोधन जरूरी है. पंक्ति से पंक्ति की दूरी 60 सेंमी और पौधे से पौधे की दूरी 20-25 सेंमी ही रखें. बीज जनित रोगों से बचाव के लिए बीजों को कार्वेण्डाजिम 50 प्रतिशत की 2 ग्राम अथवा थीरम 2.5 ग्राम मात्रा में प्रति किग्रा. बीज की दर से शोधित करके बुवाई करनी चाहिए. संकर मक्का के लिए 150 किग्रा. नाइट्रोजन, 75 किग्रा. फॉस्फोरस, 60 किग्रा. पोटाश और 40 किग्रा. सल्फर का इस्तेमाल करें. जबकि, संकुल मक्का के लिए 120 किग्रा. नाइट्रोजन, 60 किग्रा. फॉस्फोरस, 40 किग्रा. पोटाश और सल्फर 30 किग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल कर सकते हैं.
20 से 25 दिन में करें बुवाई के बाद पहली निराई
कृषि वैज्ञानिक राम ईश्वर प्रसाद ने बताया कि अगर मिट्टी में जिंक की कमी हो तो बुआई से पहले 25 किग्रा. जिंक सल्फेट जरूर मिलाना चाहिए. मक्का की बुवाई के बाद पहली निराई-गुड़ाई का सही समय 20-25 दिन होता है. इससे खेत में खरपतवार नहीं रहेंगे. ज्यादा देरी करने की स्थिति में खरपतवार पोषक तत्व खा जाएंगे और पौधे को पनपने नहीं देंगे. इसी तरह बुआई के 25-30 दिनों बाद पहली सिंचाई कर दें. पौधे के लगभग घुटने तक की ऊंचाई के होने या बुआई के लगभग 30-35 दिनों बाद प्रति हेक्टेयर 87 किग्रा. यूरिया की टॉप ड्रेसिंग कर दें.
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FIRST PUBLISHED :
November 24, 2024, 13:42 IST