Last Updated:January 19, 2025, 14:41 IST
महिला नागा साधु बनने का रास्ता बहुत कठिन होता है. महिला नागा साधु बनने के लिए सांसरिक मोह माया को त्याग कर एक अलग जीवन जीना होता है. ऐसे में महिला नागा साधुओं की रहस्यमय दुनिया के बारे में हर कोई जानना चाहता है.
Mahakumbh 2025: प्रयागराज में महाकुंभ चल रहा है, इस समय संगम नगरी प्रयाग में साधु-संतों सहित करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद हैं. महाकुंभ में स्नान के लिए आए लोगों के लिए आस्था का ये पर्व बहुत अधिक महत्व रखता है. यहां देश-विदेश से आए लोगों के बीच जो सबसे विशेष आकर्षण का केंद्र है वो नागा साधु हैं. बता दें कि नागा साधुओं की दुनिया काफी रहस्यमयी होती है, जिसे जनने की हर व्यक्ति में इच्छा होती है. लेकिन पुरुष नागा साधुओं से भी ज्यादा लोगों में महिला नागा साधुओं के बारे में जानने की होती है, कि आखिर कैसे बनती हैं महिलाएं नागा साधु और क्या-क्या होते हैं इनके नियम.
आपको बता दें कि जिस प्रकार नागा साधु महाकुंभ में कठोर तपस्या व साधना करते हैं उसी प्रकार महाकुंभ के दौरान महिला नागा साधुओं को भी कई कठिनाईयों व नियमों का पालन करना पड़ता है. महिला नागा साधुओं को भी कई कड़े नियमों की परीक्षाओं को देना पड़ता है और फिर उनका ये तप महाकुंभ में पूर्ण होता है. ऐसे में सबके मन में ये सवाल होता है कि अगर महाकुंभ के दौरान महिला साधु को मासिक धर्म हो जाए तो वो क्या वह स्नान करती हैं या नहीं? क्या उन्हें इस बात की इजाजत होती है, आइए इस बारे में पंडित रमाकांत मिश्रा से विस्तार से जानते हैं.
क्या पीरियड्स में नदी में स्नान करती हैं महिलाएं?
महिला नागा साधुओं को गंगा स्नान या महाकुंभ के दौरान अमृत स्नान के समय अगर पीरियड्स आ जाते हैं तो ऐसे में उन्हें छूट होती है कि वह गंगाजल को हाथ में लेकर उसे अपने शरीर पर छिड़क लें. इससे मान लिया जाता है कि महिला नागा साधु ने गंगा स्नान कर लिया है.
हालांकि, उन्हें गंगा तट पर जाने की अनुमति नहीं होती है. वे सिर्फ अपने शिविर में ही रहती हैं और वहीं जल में गंगाजल मिलाकर उससे स्नान करती हैं. पीरियड्स के दौरान महिला नागा साधु साधना नहीं कर सकती हैं, इसलिए वे मानसिक जाप करती हैं.
महिला नागा साधु के नियम
महिला नागा साधुओं का जीवन पुरुष नागा साधुओं से बहुत अलग होता है. उनके नियम, जीवनशैली और परंपराएं पुरुष नागा साधुओं से ज्यादा कठिन होती है. महिला नागा साधु केसरिया वस्त्र धारण करती है, जो कि बिना सिला हुआ होता है.
महिला नागा साधुओं को अपने बाल मुंडवाकर स्वयं का पिंडदान करना पड़ता है. इसके साथ ही उन्हें अपने गुरु को योग्यता और ईश्वर के प्रति समर्पण का प्रमाण भी देना होता है.
जूना अखाड़ा देश का सबसे बड़ा और पुराना अखाड़ा है. ज्यादातर महिला नागा इसी से जुड़ी हैं. वहीं कुंभ के दौरान महिला नागा साधुओं के लिए माई बाड़ा बनाया जाता है, जिनमें सभी महिला नागा साधु रहती हैं.
महिला नागा साधु को लग जाते हैं 10-12 साल
महिला नागा साधु बनने की प्रक्रिया नागा साधुओं की तरह 10-12 साल में पूर्ण होती है. लेकिन इसके लिए महिलाओं के मापदंड अलग होते हैं. जहां ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए पुरुषों का जननांग निष्क्रिय कर दिया जाता है, तो वहीं महिलाओं को ब्रह्मचर्य के पालन का संकल्प लेना होता है. इसके चलते कई महिलाओं को ये साबित करने में 10 से 12 सालों का समय लग जाता है.
First Published :
January 19, 2025, 14:41 IST