Darbhanga
अभिनव कुमार/ दरभंगा: मिथिला पेंटिंग आज अपनी एक विशिष्ट पहचान बना चुकी है. यह न केवल एक सांस्कृतिक धरोहर है, बल्कि विभिन्न राज्यों में सड़कों, दीवारों और ट्रेनों पर भी मिथिला पेंटिंग का प्रदर्शन देखने को मिल रहा है. स्टेशन और प्लेटफार्म पर भी यह कला अब अपनी जगह बना रही है. राज्य सरकारें भी इस कला को प्रोत्साहित करने के लिए सड़कों और सार्वजनिक स्थलों पर मिथिला पेंटिंग का उपयोग कर रही हैं.
मिथिला पेंटिंग का महत्व
मिथिला पेंटिंग दरभंगा की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है. यह कला न केवल सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है, बल्कि महिलाओं के लिए रोजगार का एक प्रमुख साधन भी है. इस कला के जरिए दरभंगा के स्थानीय कलाकार अपनी संस्कृति को जीवित रखे हुए हैं, साथ ही यह क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को भी समर्थन देती है.
प्रीति ठाकुर की कहानी: मिथिला पेंटिंग से सशक्तिकरण
दरभंगा की प्रीति ठाकुर, 200 लोगों के साथ मिलकर मिथिला पेंटिंग से जुड़ी विभिन्न सामग्रियों का निर्माण करती हैं और उन्हें देशभर में बेचती हैं. मुंबई, बेंगलुरु, गोवा और जयपुर जैसे बड़े शहरों में उनके द्वारा बनाई गई पेंटिंग और अन्य सामग्री की अच्छी मांग है. उनके इस कार्य ने न केवल कला को बढ़ावा दिया है, बल्कि उन्होंने सैकड़ों महिलाओं को रोजगार भी प्रदान किया है.
मिथिला पेंटिंग से निर्मित सामग्रियां
प्रीति ठाकुर और उनकी टीम कई प्रकार की सामग्रियों पर मिथिला पेंटिंग का काम करती हैं, जिनमें शामिल हैं:
– कोनिया और दीप
– दीप स्टैंड
– नारियल पर मिथिला पेंटिंग
– सूप
– डगड़ (खास पेंटेड बॉक्स)
मिथिला पेंटिंग की कीमत
– दीप: ₹5 से ₹15 तक
– सूप: ₹450
– डगड़: ₹500
प्रीति ठाकुर के शब्दों में
प्रीति ठाकुर बताती हैं, हम एक संस्था चलाते हैं, जहां मेरे साथ 200 लोग रोजगार कर रहे हैं. यहां बच्चों से लेकर शादीशुदा महिलाओं तक को मिथिला पेंटिंग की ट्रेनिंग दी जाती है. सातवीं कक्षा की छात्राओं से लेकर विभिन्न आयु वर्ग की महिलाएं इस कला को सीखकर आत्मनिर्भर बन रही हैं.
मिथिला पेंटिंग का उज्ज्वल भविष्य
मिथिला पेंटिंग का भविष्य बेहद उज्ज्वल है. यह कला न केवल दरभंगा की पहचान है, बल्कि यह महिलाओं के लिए स्थायी रोजगार का साधन भी बन चुकी है. कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ-साथ मिथिला पेंटिंग दरभंगा की सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत रखे हुए है. मिथिला पेंटिंग ने दरभंगा की कला और संस्कृति को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है और यह महिलाओं के लिए सशक्तिकरण का महत्वपूर्ण माध्यम बन चुकी है.
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FIRST PUBLISHED :
October 22, 2024, 12:03 IST