आजमगढ़: यूपी के आजमगढ़ का मेंहनगर मकबरा आजमगढ़ की ऐतिहासिक धरोहर और मुगल शासन काल के समय की घटनाओं को आज भी याद दिलाता है. लगभग 1500 ईस्वी में बना यह मकबरा मुगल काल की बेहतरीन शिल्पकला का नमूना है. यह एक ऐसा मकबरा है, जिसमें 36 दरवाजे हैं. इसके किले को देखने आज भी लोग दूर-दूर से आते हैं. जितनी बेहतरीन इस किले की नक्काशी है. उतना ही पुराना यह किला अपने अंदर इतिहास समाए हुए है.
जानें कहां है मकबरा
आजमगढ़ से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मेंहनगर का मकबरा है. वहां के तत्कालीन राजा हरिवंश सिंह ने अपने चाचा अभिमन्यु सिंह ऊर्फ इब्राहिम खान की याद में बनवाया था. तत्कालीन समय में दिल्ली सल्तनत पर मुगल साम्राज्य स्थापित था और जहांगीर का शासन हुआ करता था.
अभिमन्यु सिंह से जंबाज सिपाही
बता दें कि जहांगीर के शासनकाल में अभिमन्यु सिंह एक जांबाज सिपाही हुआ करते थे. उस वक्त जौनपुर रियासत में लगातार विद्रोह का दौर चल रहा था, जिससे जहांगीर के शासनकाल में जौनपुर रियासत परेशानी का सबब बनी हुई थी. ऐसे में जौनपुर के इस विद्रोह को खत्म करने का जिम्मा उठाया अभिमन्यु सिंह ने उठाया था.
जौनपुर विद्रोह
अभिमन्यु सिंह ने एक बार नहीं बल्कि 3-3 बार जौनपुर में विद्रोह को खत्म किया. अभिमन्यु सिंह के इस कारनामे से खुश होकर जहांगीर ने उन्हें 1500 घुड़सवार 92 हजार रुपए और 22 बांदाओं का मालिक बना दिया.
इस्लाम धर्म कर लिया कबूल
जहांगीर द्वारा मिली इस सौगात के बाद अभिमन्यु सिंह ने भी इस्लाम कबूल कर लिया और अपना नाम बदलकर दौलत इब्राहिम खान रख लिया. इस्लाम कबूल करने के बाद इब्राहिम खान ने मेंहनगर को अपनी राजधानी बनाई और यहां पर अपना साम्राज्य स्थापित किया. इब्राहिम खान (अभिमन्यु सिंह) की कोई संतान नहीं थी, इसके बाद उन्होंने अपना उत्तराधिकारी अपने भतीजे हरिवंश सिंह को बनाया.
चाचा की याद में बनाया किला
जहांगीर खान की मृत्यु के बाद मेंहनगर रियासत की बागडोर उनके भतीजे हरिवंश सिंह ने संभाली. उन्होंने 20 साल तक मेंहनगर की रियासत पर राज किया. हरिवंश सिंह ने अपने चाचा इब्राहिम खान की याद में मेंहनगर के मकबरे का निर्माण किया. मकबरे के साथ-साथ उन्होंने में नगर में स्थित हरि का पोखरा, लखराव पोखरा तथा रानी सागर पोखरा का भी निर्माण कराया.
हरिवंश सिंह ने भी कबूला इस्लाम धर्म
जहां कुछ समय बाद हरिवंश सिंह ने भी इस्लाम कबूल कर लिया. इसके बाद उनकी पत्नी रानी ज्योति सिंह उनसे नाराज होकर उन्हें छोड़कर अपने बच्चों के साथ चली गई. हरिवंश सिंह को छोड़ने के बाद रानी ने जिस जगह पर निवास किया. आज उस जगह को आजमगढ़ में रानी की सराय के नाम से जाना जाता है. बाद में रानी के बेटे विक्रम जीत सिंह ने भी इस्लाम कुबूल कर लिया.
जानें आजमगढ़ शहर कौन बसाया
विक्रमजीत सिंह के दो बेटे हुए. आजम शाह और अजमत शाह. आजमशाह ने बाद में आजमगढ़ शहर को बसाया और उनके छोटे भाई अजमत शाह के नाम से अजमतगढ़ रियासत आज आजमगढ़ में मौजूद है. मेंहगार के इस मकबरे में 36 दरवाजे हैं, जो उस वक्त की शिल्प आकृति का बेहरीन नमूना पेश करता है.
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FIRST PUBLISHED :
September 22, 2024, 14:19 IST