भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने सीएनएन-न्यूज18 को खास इंटरव्यू दिया. इसमें उन्होंने अयोध्या फैसले से पहले अपनी ‘प्रार्थना’ को लेकर उठे विवाद पर रुख साफ करते हुए कहा कि वह ‘आस्थावान व्यक्ति’ हैं. उन्होंने कहा, ‘अयोध्या फैसले से पहले प्रार्थना करने का मतलब यह नहीं है कि मैंने केवल उस फैसले से पहले ही प्रार्थना की थी… मैंने यह साफ कर देता हूं कि मैं आस्थावान व्यक्ति हूं और मैं हर दिन प्रार्थना करता हूं. मेरी आस्था का न्याय करने की मेरी क्षमता से कोई लेना-देना नहीं है.’
पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘हम कानून के अनुसार निर्णय लेते हैं. न्यायाधीशों में समभाव की भावना होनी चाहिए. सारा काम किसी न किसी विवाद के क्षेत्र में होता है, यह किसी भी प्रकार का विवाद हो सकता है. पूरे स्पेक्ट्रम में न्यायाधीश को जो चीज स्थिर रखती है, वह है कि आप शांत रहें. अदालत में चिड़चिड़े न हों. हर किसी का अपना फॉर्मूला होता है.’
ध्यान से हर दिन की शुरुआत
इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘मेरे लिए, हर दिन की शुरुआत में ध्यान में बिताया जाने वाला समय बहुत महत्वपूर्ण है. मैंने यह नहीं कहा कि मैं किसी खास देवता की पूजा करता हूं. मैंने कहा कि मैं अपना समय प्रार्थना और ध्यान में बिताता हूं. मैं जिस भगवान की पूजा करता हूं, वह सार्वभौमिक है. भगवान से प्रार्थना करने का मतलब यह नहीं है कि आप किसी खास धर्म की पूजा कर रहे हैं, बल्कि ब्रह्मांड की पूजा कर रहे हैं कि आज हम जो काम कर रहे हैं, उसमें अन्याय न हो.’
क्या है विवाद?
पूर्व सीजेआई के इस बयान पर विवाद खड़ा हो गया था कि उन्होंने फैसला सुनाने से पहले राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के समाधान के लिए प्रार्थना की थी. समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस (रिटायर्ड) चंद्रचूड़ ने अपने गृहनगर पुणे में एक कार्यक्रम में कहा था, ‘अक्सर हमारे पास मामले (निर्णय के लिए) होते हैं, लेकिन हम समाधान पर नहीं पहुंचते. अयोध्या (राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद) के दौरान भी कुछ ऐसा ही हुआ था, जो तीन महीने तक मेरे सामने था. मैं भगवान के सामने बैठा और उनसे कहा कि उन्हें समाधान खोजने की जरूरत है.’
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FIRST PUBLISHED :
November 19, 2024, 22:54 IST