मौत के बाद गिद्ध को खिला देते हैं लाश, अंतिम संस्कार की अनोखी परंपरा

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मशहूर उद्योगपति रतन टाटा का निधन (Ratan Tata Death News) हो गया है. उनके जाने से भारत में शोक की लहर है. वो एक पारसी थे. भारत में पारसियों की आबादी काफी कम है. 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 57,264 पारसी थे. हालांकि, भारतीय परसियों ने देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में बहुत योगदान दिया. टाटा का परिवार इस बात का उदाहरण है. पारसियों से जुड़ी एक और बात दुनिया को हैरान करती है. वो है उनकी अंतिम संस्कार की परंपरा. जोरोएस्ट्रिनिइजम (Zoroastrianism) यानी परसी (Parsi Funeral Tradition) धर्म में मरने वालों के पार्थिव शरीर को न ही जलाया जाता है और न ही दफनाया जाता है. चलिए आपको बताते हैं कि इस परंपरा में क्या अनोखा है.

parsi ceremonial   tradition

मशहूर बिजनेसमैन रतन टाटा का निधन हो गया है. (फोटो: Instagram/ratantata)

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार पारसियों में टावर ऑफ साइलेंस (Tower of Silence) में शव को रखने की परंपरा है. इसे दखमा कहा जाता है. मुंबई में ये एक जगह है, जहां लाश को रखा जाता है. यहां गिद्ध मौजूद होते हैं. लाश को गिद्धों के हवाले कर देते हैं. जो उसे नोच-नोचकर खा जाते हैं. पर सोचने वाली बात है कि इस धर्म में अंतिम संस्कार ऐसा क्यों है?

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टावर ऑफ साइलेंस में गिद्धों को लाशें खिला देते हैं. (फोटो: Canva; Twitter/@creepydotorg)

इस वजह से गिद्ध को खिलाते हैं लाश
जोरोएस्ट्रिनिइजम धर्म में जीवन को अंधेरे और रोशनी के बीच की जंग माना जाता है. जब इंसान की मौत हो जाती है, यानी वो अंधकार में चला जाता है, जिसे बुराई भी माना जाता है. उनका मानना है कि जब व्यक्ति मर जाता है तो उसके शरीर पर बुरी शक्तियों का वास हो जाता है. लोग नहीं चाहते कि ये बुरी शक्ति प्रकृति के किसी भी तत्व में मिले. इस धर्म में धरती, अग्नि और पानी को प्रकृति का सबसे महत्वपूर्ण तत्व माना जाता है. अगर वो लाश को दफनाएं या जलाएं, तो वो बुरी शक्तियां इन तत्वों में मिल जाएंगी.

खत्म होती जा रही है परंपरा
गिद्धों को लाश खिलाने से वो बुरी शक्तियां किसी भी तत्व में प्रत्यक्ष तौर पर नहीं मिलतीं, मगर परोक्ष रूप से मिल भी जाती हैं. इसके अलावा गिद्धों को लाश खिलाकर मरने वाला मौत के बाद भी दान कर के जाता है. इसे इंसान का आखिरी दान माना जाता है. द हिन्दू की एक रिपोर्ट के अनुसार धीरे-धीरे पारसियों में ये परंपरा खत्म होती जा रही है क्योंकि गिद्ध विलुप्त होते जा रहे हैं. अब पारसियों में लाश को जलाने की परंपरा शुरू होती जा रही है.

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FIRST PUBLISHED :

October 10, 2024, 10:38 IST

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