हाइलाइट्स
हरियाणा चुनाव में बसपा का अब तक का सबसे ख़राब प्रदर्शन बसपा का हरियाणा चुनाव में वोट प्रतिशत अब घटकर 1.82 रह गया आकाश आनंद का जादू भी हरियाणा चुनाव में देखने को नहीं मिला
लखनऊ. हरियाणा विधानसभा चुनाव में इंडियन नेशनल लोकदल के साथ गठबंधन कर चुनाव में उतरी बहुजन समाज पार्टी को तगड़ा झटका लगा है. चुनाव में एक भी सीट न जीतने वाली बसपा के जनाधार में भी बड़ी गिरावट देखने को मिली है. पिछले विधानसभा चुनाव में मिले वीते प्रतिशत के मुकाबले इस बार बसपा एकदम से हाशिये पर आ गई. मायावती की चिंता सिर्फ यही नहीं है. भतीजे और पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद की लॉन्चिंग भी फेल साबित हुई. हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों से यूपी उपचुनाव में बसपा की चुनौतियां और बढ़ गई है.
2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में बसपा को 4.21 प्रतिशत वोट मिला था. 2024 में इसमें भारी गिरावट देखने को मिली है. इस बार बसपा को महज 1.82 परसेंट वोट ही मिले, जो कि पार्टी मुखिया के चिंता का सबब भी है. दरअसल, हरियाणा में बसपा का जानदार रहा है और उसने यहां सीटें भी जीतीं, लेकिन 2009 के बाद से उसके वोट शेयर में गिरावट का दौर शुरुआ हुआ जो अब 2 परसेंट से भी नीचे आ चुका है. हालांकि बसपा अगर लोकसभा चुनाव में मिले वोट से इसकी तुलना करती है तो कुछ संतोष कर सकती है. लोकसभा चुनाव में उसे 1.28 प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि विधान्सबह में 1.82 प्रतिशत.
आकाश आनंद का भी नहीं चला जादू
मायावती ने अपने उत्तराधिकारी आकाश आनंद को हरियाणा चुनाव में अहम जिम्मेदारी दी थी. इसके साथ ही खुद भी चुनावी जनसभाओं को संबोधित किया था. आकाश आनंद ने चौपाल के माध्यम से पार्टी और गठबंधन के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की, लेकिन परिणामों में इसका कोई फायदा नहीं मिला. आकाश आनंद की विफलता भी बसपा सुप्रीमो के लिए चिंता की एक वजह है.
आगे की राह नहीं आसान
दरअसल, 2012 में यूपी की सकता से बेदखल होने के बाद बसपा सुप्रीमो का हर दांव असफल ही रहा. पार्टी का परफॉरमेंस चुनाव-दर-चुनाव गिरता ही गया. 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी का यूपी से सफाया हो गया. 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में पार्टी 19 सीटों पर सिमट कर रही गई. हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी से गठबंधन का फायदा हुआ और पार्टी के 10 प्रत्याशी जीतकर लोकसभा पहुंचे, लेकिन फिर गठबंधन टूट गया. 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने फिर नया प्रयोग किया और यूपी विधानसभा चुनाव में अकेले मैदान में उतरी। नतीजा यह रहा कि पार्टी को सिर्फ एक सीट पर जीत मिली. 2024 के लोकसभा चुनाव में भी मायावती ने NDA और इंडिया गठबंधन से दूरी बनाकर अकेले चुनाव लड़ा, लेकिन पार्टी का एक भी उम्मीदवार जीत हासिल नहीं कर सका. इतना ही नहीं वोट प्रतिशत भी घट गया. जानकरों के मुताबिक इस बार बसपा यूपी विधानसभा उपचुनाव भी लड़ रही है, लेकिन उसकी राह आसान नहीं है. बसपा से छिटके दलित वोट बैंक की वापसी मायवती की पहली प्राथमिकता है, लेकिन यह इतना आसान भी नहीं है.
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FIRST PUBLISHED :
October 10, 2024, 12:43 IST