यह घाट है 100 साल पुराना तीर्थ स्थल, जहां आस्था और विज्ञान का होता है संगम!

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बुलंदशहर: जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर आपको गंगा मां के दर्शन व स्नान के लिए कई घाट मिलेंगे, लेकिन नरौरा घाट सबसे ज्यादा प्रसिद्ध क्यों है? वहीं राजघाट, अनूपशहर, व नरवर घाट भी मौजूद हैं. तो आइए नरौरा के बारे में कुछ खास बातें जानते हैं. बुलंदशहर जिले से होकर गंगा मां बहती हैं और श्रद्धालुओं को स्नान और पूजा-पाठ के लिए पक्के घाट भी बने हैं.  नरौरा घाट बुलंदशहर जिले में गंगा नदी के तट पर स्थित है. यह एक नगर पंचायत है और अपने धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है.

नरौरा का इतिहास और भौगोलिक स्थिति
नरौरा उत्तर प्रदेश राज्य, भारत के बुलंदशहर जिले में गंगा नदी के तट पर स्थित एक नगर पंचायत है. इसके आस-पास एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थित है. नरौरा एक महत्वपूर्ण पक्षी प्रवासी क्षेत्र के रूप में जाना जाता है. बृजघाट से नरौरा बैराज तक के ऊपरी गंगा के 265 वर्ग किमी के झीलों को 2005 में रामसर स्थल घोषित किया गया था. 28.25 अक्षांश और 78.43 देशांतर नरौरा का भौगोलिक स्थान है. लखनऊ की तरह नरौरा गांव के लिए राज्य की राजधानी भी है, जो नरौरा से लगभग 300 किलोमीटर दूर स्थित है.

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नरौरा घाट की विशेषताएं और महत्व
लोकल 18 से बात करते हुए गंगा घाट पर रहने वाले एक वरिष्ठ स्थानीय नागरिक वीरेंद्र कुमार ने बताया कि नरौरा घाट को वासी घाट भी कहते हैं. नरौरा घाट लगभग सौ साल पहले बना था. इस नरौरा घाट पर एक विशाल मेला भी लगाया जाता है, जो महीने की अमावस्या और पूर्णिमा को आयोजित होता है. इन दिनों यहां गंगा स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की काफी भीड़ देखने को मिलती है. इतना ही नहीं, साल के शिवरात्रि के एक महीने में यहां कावड़ लाने वाले श्रद्धालुओं को लेकर भी विशाल मेला लगाया जाता है. बुलंदशहर के अंदर गंगा मैया के तट पर श्रद्धालुओं को स्नान के लिए लगभग चार से पांच घाट बने हुए हैं. घाट के किनारे पर ही मां गंगा मैया का मंदिर भी काफी साल पुराना है. नरौरा के अंदर उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा परमाणु केंद्र भी मौजूद है.

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FIRST PUBLISHED :

October 10, 2024, 14:47 IST

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