Agency:News18 Uttar Pradesh
Last Updated:January 29, 2025, 11:22 IST
Mahakumbh Mela 2025: महाकुम्भ मेला 2025 में मौनी अमावस्या पर 144 साल बाद विशेष त्रिवेणी योग बन रहा है. 29 जनवरी से 8 फरवरी तक किसी भी समय स्नान करने पर अमृत स्नान का पुण्य मिलेगा. ज्योतिषाचार्यों ने हड़बड़ी न क...और पढ़ें
हाइलाइट्स
- मौनी अमावस्या पर 144 साल बाद विशेष त्रिवेणी संयोग बनेगा
- 29 जनवरी से 8 फरवरी तक स्नान का अमृत समान पुण्य मिलेगा
- किसी भी घाट पर स्नान करने से संगम स्नान का पुण्य मिलेगा
रिपोर्ट: गौरव पांडे
प्रयागराज. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस बार महाकुम्भ में मौनी अमावस्या के दिन एक विशेष त्रिवेणी संयोग बन रहा है. 29 जनवरी से 8 फरवरी की सुबह तक किसी भी समय स्नान करने पर अमृत समान पुण्य मिलेगा. मौनी अमावस्या पर 144 साल बाद बन रहा यह समुद्र मंथन तुल्य योग विशेष फलदायी होगा. ज्योतिषाचार्यों ने अपील की है कि मौनी अमावस्या पर हड़बड़ी न करें और किसी भी घाट पर स्नान करें.
ज्योतिषशास्त्रियों की गणना के अनुसार, इस वर्ष मौनी अमावस्या पर 144 साल बाद अद्भुत त्रिवेणी योग बन रहा है. उनका कहना है कि यह योग समुद्र मंथन के योग के समान है. इस योग में पवित्र त्रिवेणी में स्नान करने से सहस्त्र वाजपेय यज्ञ और सौ अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य प्राप्त होता है.
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मौनी अमावस्या पर संगम में स्नान करने का है महत्व
यह समुद्र मंथन तुल्य योग मंगलवार अपराह्न 2:35 बजे से 8 फरवरी सुबह 7:25 बजे तक रहेगा. इस योग में स्नान करने पर अमृत स्नान का पुण्य प्राप्त होगा. शास्त्रों और पुराणों में वर्णन है कि महाकुम्भ में मौनी अमावस्या पर पवित्र संगम में स्नान करना मोक्षदायक माना गया है. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, श्रद्धालु किसी भी घाट पर स्नान करें, उन्हें संगम स्नान जैसा ही पुण्य मिलेगा.
त्रिवेणी योग बन रहा
पौराणिक मान्यता के अनुसार, मौनी अमावस्या पर मौन व्रत रखकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने का विधान है. पंचांग के अनुसार, माघ मास की अमावस्या तिथि 28 जनवरी को शाम 7:32 बजे से शुरू होकर 29 जनवरी को शाम 6:05 बजे तक रहेगी. प्रयागराज के ज्योतिष शास्त्री एचके शुक्ला का कहना है कि इस वर्ष महाकुम्भ में 144 साल बाद विशिष्ट संयोग बन रहा है. इस वर्ष माघ मास की अमावस्या पर मकर राशि में सूर्य, चंद्रमा और बुध तीनों ग्रह स्थित होंगे और बृहस्पति ग्रह नवम दृष्टि में रहेगा. इस विशिष्ट संयोग को त्रियोग या त्रिवेणी योग कहा जाता है. यह योग समुद्र मंथन काल के योग के समान है और इस योग में त्रिवेणी स्नान विशेष फलदायी है. मौनी अमावस्या पर मौन व्रत रखकर स्नान और भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है.
घर में भी मिलेगा संगम स्नान का फल
कानपुर के प्रख्यात ज्योतिषाचार्य पीएन द्विवेदी के अनुसार, महाकुम्भ में माघ मास की अमावस्या को ही मौनी अमावस्या कहा जाता है. मौनी अमावस्या के दिन ही वैवस्वत मनु का जन्म हुआ था. इस दिन मौन व्रत रखकर स्नान करना शुभ माना जाता है. मौनी अमावस्या पर स्नान का उत्तम मुहूर्त ब्रह्म मुहूर्त में होता है, लेकिन पूरे दिन ही स्नान करना शुभ माना गया है. उदया तिथि होने के कारण पूरे दिन ही अमावस्या का स्नान होगा. संभव हो तो इस दिन मौन व्रत रखकर संगम स्नान करना चाहिए, इससे विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है. जो लोग त्रिवेणी संगम में स्नान नहीं कर पा रहे हैं, वे संगम या गंगा जल को पानी में मिलाकर स्नान करें, उन्हें संगम स्नान का ही फल प्राप्त होगा.
अमृत स्नान के कई शुभ मुहूर्त
मौनी अमावस्या के दिन अमृत स्नान के कई शुभ मुहूर्त बन रहे हैं, जिसमें स्नान और दान विशेष फलदायी हैं. इसमें ब्रह्म मुहूर्त से लेकर अमृत चौघड़िया मुहूर्त और शुभ चौघड़िया मुहूर्त भी शामिल हैं. साथ ही मौनी अमावस्या पर उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के बाद श्रवण नक्षत्र लग रहा है. इन सभी योग और नक्षत्रों में स्नान, दान और पितरों की शांति के लिए पूजन करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है.
Location :
Allahabad,Uttar Pradesh
First Published :
January 29, 2025, 11:22 IST
मौनी अमावस्या पर न दिखाएं हड़बड़ी, इस दिन तक मिलेगा अमृत स्नान का पुण्य लाभ