यहां 200 साल से की जा रही दुर्गा पूजा,महात्मा गांधी की अपील से बदली थी परंपरा!

5 hours ago 1

X

Sri

Sri Sri Durga Puja nine dumri

गिरिडीह: झारखंड में बड़े धूमधाम से दुर्गापूजा मनाई जा रही है. इसके लिए जगह-जगह भव्य पंडाल सजाए जा रहे हैं. कुछ लोग इसे वैष्णव तरीके से तो कुछ लोग इसे बलि पूजा के जरिए करते हैं, लेकिन गिरिडीह के डुमरी प्रखंड में दुर्गापूजा की कहानी कुछ अलग है. यहां पिछले 200 सालों से हर साल पूजा की जा रही है. यह पूजा स्थल न सिर्फ खास है बल्कि अनोखा भी है. यहां पहले बलि पूजा होती थी, लेकिन बाद में कुछ ऐसी घटना हुई जिसके बाद से यहां बलि पूजा छोड़कर वैष्णव तरीके से पूजा की जाने लगी. इसके साथ ही इस दुर्गा मंदिर से सटा मस्जिद है, लेकिन आज तक न मुस्लिमों को आरती से परेशानी हुई और न ही हिंदुओं को अजान से हुई.

डुमरी दुर्गापूजा का इतिहास
गिरिडीह के डुमरी प्रखंड में डुमरी थाना के पास दुर्गापूजा 1822 से ही शुरू की गई. इसकी शुरुआत वहां के जमींदार डिहू भगत ने 202 साल पहले की थी. उस समय मंदिर में बकरे की बलि की प्रथा थी, जो लंबे समय तक जारी रही, लेकिन साल 1919 में सत्याग्रह आंदोलन के बीच जब महात्मा गांधी वहां से गुजरे, तब उन्होंने लोगों से बलि पूजा न करने की अपील की. जिसके बाद वहां वैष्णव रीति-रिवाज से पूजा करने की बात होने लगी, लेकिन कोई भी पुराने पद्धति के खिलाफ नहीं जाना चाह रहा था. अंत में जमींदार परिवार ने इस बदलाव का बीड़ा उठाया, लेकिन मंदिर के पुजारी ने पूजा करने से इंकार कर दिया. इसके बाद बोकारो के चंदनकियारी से पंडितों को बुलाकर वैष्णव पद्धति से पूजा की गई. उसी के बाद से ही यहां के लोग बलि पूजा छोड़कर वैष्णव पूजा करते हैं. इसके साथ ही इस मंदिर के साथ सटी एक मस्जिद है, लेकिन आज तक हिंदू मुस्लिम में किसी भी तरह की परेशानी देखने को नहीं मिली.

नवरात्रि में व्रत रखने वालों की पहली पसंद! भीलवाड़ा के साबूदाना वड़ा की जबरदस्त डिमांड, जानें क्यों है खास

शंभु गुप्ता की विशेष बातचीत
लोकल 18 से बात करते हुए श्री श्री दुर्गापूजा समिति डुमरी के सदस्य शंभु गुप्ता ने कहा कि यहां पिछले 200 सालों से दुर्गापूजा मनाई जा रही है. इस मंदिर में पूजा पहले बलि के जरिए की जाती थी. लेकिन बाद में महात्मा गांधी जब वहां से गुजर रहे थे, उस दौरान उन्होंने लोगों से बलि पूजा नहीं करने की अपील की. तभी से यहां वैष्णव तरीके से पूजा की जाने लगी जो आज तक जारी है. यहां पूजा की शुरुआत जमींदारों ने की थी, लेकिन बाद में लोकल जनता भी शामिल हो गई. यहां मंदिर से सटी मस्जिद भी है, जिसे 1867 में डुमरी थाना दरोगा ने मंदिर की ढलाई और मस्जिद का निर्माण करवाया. यहां दोनों समुदाय के लोग मिलजुल कर पर्व मनाते हैं और आज तक कोई भी अप्रिय घटना देखने को नहीं मिली है.

Tags: Giridih news, Jharkhand news, Local18, Special Project

FIRST PUBLISHED :

October 8, 2024, 12:11 IST

*** Disclaimer: This Article is auto-aggregated by a Rss Api Program and has not been created or edited by Nandigram Times

(Note: This is an unedited and auto-generated story from Syndicated News Rss Api. News.nandigramtimes.com Staff may not have modified or edited the content body.

Please visit the Source Website that deserves the credit and responsibility for creating this content.)

Watch Live | Source Article