यहां देवी को पालना चढ़ाने से बच्चों की विकार हो जाते हैं दूर, जानें मान्यता

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Last Updated:January 12, 2025, 12:08 IST

Nagaur News: मंदिर पुजारी धन्नालाल ने बताया कि इससे पहले महामाया माता का मंदिर कच्ची मिट्टी का बना हुआ था और उनके दादाजी पूजा करते थे उनके बाद पिता, बुआ और  मां ने पूजा की थी अब कई वर्षों से स्वयं ही माता की...और पढ़ें

राजस्थान के नागौर जिले में ऐसे अनेकों मंदिर पाए जाते हैं. जिनको लेकर अनोखी मान्यताएं हैं. ऐसा ही एक अनोखा मंदिर नागौर कुचामन रोड पर स्थित देवली गांव में भी मौजूद है. यहां महामाया माता का एक अनोखा मंदिर बना हुआ है. इस देवी को बच्चों वाली देवी के नाम से भी जाना जाता है. लोगों की मान्यता है कि बच्चों को होने वाले रोग को यह देवी दूर करती है.

बच्चों की देवी के रूप में महामाया माता की विशेष पूजा की जाती रही है. बच्चों को बोलने में तुतलापन आने पर लोग महामाया माता के मंदिर पहुंच जाते हैं. अरदास करते हैं और माता को प्रसन्न करने के लिए लकड़ी का पालना भी चढ़ाया जाता है. माता से अरदास करने के बाद चमत्कारी रूप से बच्चे स्पष्ट बोलने बोलने लगते हैं.

कहां स्थित है महामाया माता का मंदिर
नागौर कुचामन रोड पर स्थित देवली गांव में 150 वर्षों पुराना महामाया माता का मंदिर स्थित है. मंदिर पुजारी धन्नालाल ने बताया कि इससे पहले महामाया माता का मंदिर कच्ची मिट्टी का बना हुआ था और उनके दादाजी पूजा करते थे उनके बाद पिता, बुआ और  मां ने पूजा की थी अब कई वर्षों से स्वयं ही माता की पूजा कर रहे हैं.

क्या है मान्यताएं 
मुख्य पुजारी धन्नालाल ने बताया कि बच्चों का मुंह टेढ़ा हो जाने, बोलने में तोतलापन आने व लकवा ग्रस्त होने पर बच्चों को मां के दरबार पर लाया जाता है और जोत पर 21 बार घुमाया जाता है ऐसा करने पर बच्चे चमत्कारी रूप से ठीक हो जाते हैं. मां को प्रसन्न करने के लिए लकड़ी का पालने भी मंदिर में टंगा जाता है. प्रत्येक माह की शुक्ल पक्ष की दूज,सप्तमी, दशमी ,चौदस पर माता की विशेष पूजा होती है. इन दोनों दूर-दराज से भक्त माता के दरबार में पहुंचते हैं. मुख्य पुजारी धन्नालाल बताते हैं की मां का मेला भादवा की पूर्णिमा में भरता है. गांव के मुस्लिम समाज के लोग भी बच्चों का जडूले उतारते व लकवा होने पर अरदास करने के लिए मां की चौखट पर आते हैं.

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