यहां है सेना का टी-55 टैंक, पाकिस्तान में 6 महीने रहा बाड़मेर पुलिस का थाना

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बाड़मेर

बाड़मेर पुलिस में लगी नाम पट्टिका

मनमोहन सेजू/ बाड़मेर: हर साल आज ही के दिन देशभर में पुलिस शहीद दिवस मनाया जाता है. इस दिन शहीद पुलिस जवानों को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है. बाड़मेर की पुलिस लाइन अपने शहीदों को सजदा साल के 365 दिन करती है. बाड़मेर की इस जगह की हर गली उन 11 जांबाजों के नाम से है जिन्होंने बाड़मेर पुलिस में रहते हुए देश सेवा में अपनी जान न्योछावर कर दी थी. इतना ही बाड़मेर पुलिस प्रदेश की ऐसी पहली पुलिस लाइन है जहाँ सेना का टी-55 टैंक गौरव के साथ रखा हुआ है.

भारत-पाक बॉर्डर से सटे सरहदी बाड़मेर पुलिस का इतिहास गौरवमयी रहा है. यहां बॉर्डर पर दूरस्थ इलाकों में सड़कों के अभाव में पुलिस के जवान व अधिकारियों ने ऊंट पर सवारी कर बॉर्डर तस्करी व ड्यूटी के प्रति डटे रहे है. साथ ही अत्याधुनिक उपकरणों के अभाव में अपराधियों के पहचान के लिए पागी भी मदद लेकर अपराधियों तक पहुंचने में अहम योगदान निभाया है. बाड़मेर पुलिस के संग्रहालय में मौजूद तस्वीरों व पुरानी पुलिस के हथियार आज भी गौरवमयी इतिहास का उदाहरण है.

प्रदेश की पहली पुलिस लाइन, जहां सेना का टी-55 टैंक
प्रदेश की पहली बाड़मेर पुलिस लाइन है, जहां सेना का टी-55 टैंक गौरव के साथ रखा हुआ है. इस टैंक का निर्माण 1950 के दशक में सोवियत संघ में किया गया है. इसे 1960 के दशक में भारतीय सेना द्वारा आयात किया गया है. यह भारतीय सेना की ओर से इस्तेमाल किए जाने पहले सोवियत टैंकों में से एक था, जिसने 1971 के भारत-पाक युद्ध में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

11 शहीद पुलिस जवानों के नाम पर है सड़क मार्ग, विद्यालय और मुख्य द्वार
बाड़मेर की पुलिस लाइन में शहीद मगनाराम के नाम से जिले के सबसे पहले शहीद पुलिसकर्मी के नाम से विद्यालय है. शहीद विश्वेन्द्र सिह के नाम से पुलिस का मुख्य द्वार है. यहां पुलिस के जाबांज 11 शहीद जवानों की याद चिरस्थाई करने के लिए पुलिस लाइन का हर मार्ग उनके नाम से है. इतना ही नहीं उन मार्ग पर शहीद पट्टिका का निर्माण करवाया गया है.

पाकिस्तान में 6 महीने रहा बाड़मेर पुलिस का थाना 
भारत-पाक युद्ध के दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तान पर कब्जा जमा लिया था. इस दौरान पाकिस्तान की हाळा पुलिस थाना छोड़कर भाग गई थी, जहां बाड़मेर पुलिस ने कब्जा किया था. इतना ही नही छह माह तक बाड़मेर पुलिस ने थाने का संचालन किया था. इसके बाद शिमला समझौता हुआ तो बाड़मेर पुलिस लौट आई, लेकिन स्मृति के रूप में वहां के थारपारकर डिप्टी कमिश्नर कार्यालय में लगी पट्टिका साथ लेकर आई थी जो आज भी बाड़मेर पुलिस के संग्रालय में उन दिनों को गर्व से याद करती नजर आती है.

इन शहीदों ने दी शहादत
बाड़मेर पुलिस में कॉन्स्टेबल राणीदान सिंह,आम्ब सिंह,जोगसिंह, हैड कांस्टेबल लखसिंह, उप निरीक्षक मोहनलाल, कॉन्स्टेबल लालाराम, मंगनाराम, हैड कांस्टेबल दलीप कुमार,कॉन्स्टेबल गंगाराम, बाबूलाल और विश्वेन्द्र सिंह की शहादत को याद किया गया है. बाड़मेर पुलिस अधीक्षक नरेंद्र सिंह मीणा ने लोकल18 से बातचीत करते हुए कहा कि राज्य में बाड़मेर इकलौता ऐसा जिला है जहां पुलिस शहीद स्मारक का भी निर्माण करवाया है जिससे पुलिस के जांबाज शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की जा सके.

Tags: Local18, Rajasthan news

FIRST PUBLISHED :

October 21, 2024, 13:55 IST

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