मंदिर।
बागपत: बागपत का एक अनोखा और ऐतिहासिक गांव है, जहां रावण के पुतले का दहन नहीं किया जाता. बल्कि रावण की पूजा की जाती है. इस गांव के लोग रावण को अपना पूर्वज मानते हैं और उसकी आराधना करते हैं. गांव में स्थित विश्व प्रसिद्ध मनसा देवी मंदिर की स्थापना भी रावण द्वारा की गई थी. यह अनोखी परंपरा इस गांव को विशेष पहचान देती है.
बागपत के बड़ागांव में होती है रावण की पूजा
बागपत जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बड़ागांव, जिसे रावण उर्फ बड़ागांव भी कहा जाता है. यह गांव ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है. यहां के लोग रावण के पुतले का दहन नहीं करते, बल्कि उसकी पूजा करते हैं. इस गांव के ग्रामीणों के अनुसार, रावण ने इस गांव में मनसा देवी मंदिर की स्थापना की थी, जो विश्व विख्यात है.
मनसा देवी मंदिर की स्थापना
ग्रामीणों का मानना है कि रावण मां मनसा देवी की मूर्ति को शक्ति के रूप में लेकर जा रहे थे. जब वह हिमालय से इसे लंका ले जाने लगे, तो उन्हें यह वचन मिला था कि जहां भी वह इस मूर्ति को रखेंगे. वहीं यह स्थापित हो जाएगी. रावण ने इस मूर्ति को बड़ागांव में स्थापित किया और इस गांव को विशेष पहचान दी. इसी वजह से इस गांव के लोग रावण को अपना पूर्वज मानते हैं और उसकी पूजा करते हैं.
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ग्रामीणों की मान्यताएं
ग्रामीण राजेश त्यागी और अमित त्यागी ने बताया कि रावण द्वारा स्थापित इस मनसा देवी मंदिर की महत्ता के कारण यहां कभी भी रावण के पुतले का दहन नहीं हुआ. रावण की पूजा इस गांव की परंपरा और मान्यताओं का हिस्सा है. ग्रामीण इसे अपना सौभाग्य मानते हैं कि उनके गांव में रावण द्वारा स्थापित मंदिर है और वह उनके पूर्वज माने जाते हैं.
गांव की आबादी और धाम
यह गांव लगभग 6 हजार लोगों की मिश्रित आबादी का निवास स्थान है. इसके साथ ही यहां विश्व विख्यात त्रिलोक तीर्थ धाम भी स्थित है, जो इसे धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बनाता है.
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FIRST PUBLISHED :
October 8, 2024, 16:09 IST