Last Updated:January 18, 2025, 18:30 IST
Rewa News : रीवा के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रमोद जैन की कृति "सेल्फी लघुकथा" और डॉ. ओम प्रकाश मिश्र की कृति "मेरा परिचय मेरी कविता" को मप्र साहित्य अकादमी द्वारा प्रादेशिक पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है. यह विंध्य क्षेत्र के साहित्यिक विकास...और पढ़ें
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रीवा. मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी सांस्कृतिक परिषद भोपाल द्वारा रीवा के दो और साहित्यकारों को उनकी कृतियों के लिए प्रादेशिक पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है. जिनमें रीवा के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रमोद जैन की कृति सेल्फी लघुकथा और डॉ. ओम प्रकाश मिश्र की कृति मेरा परिचय मेरी कविता को राज्य स्तरीय पुरस्कार के लिए नामित किया गया है दो और लेखकों की कृतियां भी पुरस्कार के लिए चयनित हुई हैं.
मप्र साहित्य अकादमी सांस्कृतिक परिषद भोपाल द्वारा रीवा के दो और साहित्यकारों को उनकी कृतियों के लिए प्रादेशिक पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है. शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रमोद जैन की कृति सेल्फी लघुकथा और डॉ. ओम प्रकाश मिश्र की कृति मेरा परिचय मेरी कविता को राज्य स्तरीय पुरस्कार के लिए नामित किया गया है. इसके पहले रीवा के दो अन्य साहित्यकारों, डॉ. चंद्रिका प्रसाद चंद्र और डॉ. विवेक द्विवेदी को भी उनके साहित्यिक योगदान के लिए इस पुरस्कार के लिए चयनित किया गया था.
चार साहित्यकारों का एक साथ चयन
मप्र साहित्य अकादमी द्वारा हर पुरस्कार में 51 हजार रुपए की राशि प्रदान की जाती है. रीवा के लिए यह एक गर्व की बात है कि इस वर्ष मप्र साहित्य अकादमी के कैलेंडर में चार साहित्यकारों को एक साथ पुरस्कार के लिए चुना गया है, जो विंध्य क्षेत्र के साहित्यिक विकास का प्रतीक है.
दो तरह के पुरस्कार शामिल
यह पुरस्कार दो प्रकार के होते हैं, एक- अखिल भारतीय पुरस्कार, जिसमें रुपये एक लाख की राशि के साथ प्रतीक चिह्न दे कर साहित्यकार को अलंकृत किया जाता है तथा दूसरा- प्रादेशिक पुरस्कार जिसमें रुपये इक्यावन हजार की राशि के साथ रचनाकार की कृतियों को पुरस्कृत एवं रचनाकार को अलंकृत किया जाता है.
यह था नियम:
साहित्य अकादमी के साल 2025 के युवा पुरस्कार के लिए, 35 साल या उससे कम उम्र के युवा लेखकों और प्रकाशकों की किताबों को आमंत्रित किया गया है. इन किताबों को 31 अगस्त, 2024 तक जमा कराना था.
सामान्य जीवन जीते हैं डाॅक्टर जैन
गरीब का बच्चा बीमार होता है तो परिजन बिना किसी से पूछे डॉ. प्रमोद जैन के पास जाते हैं क्योंकि उसे पता होता है कि वहां पर फीस कम लगने के साथ सस्ती दवाएं लिखी जाएंगी. डॉ. प्रमोद सरकारी सेवा में कभी नहीं गए. एक क्लीनिक खोली और करीब बीस साल पहले 20 रुपए फीस पर उपचार शुरू किया और आज 100 रुपए शुल्क पर मरीजों का इलाज कर रहे हैं. उनके सेवा भाव को देखते हुए गरीब उन्हें अपना डॉक्टर मानते हैं. डॉ. जैन डॉक्टरी पेशे के साथ-साथ किताबों के लेखन में भी रुचि रखते हैं. व्यवसाय के दौर में भी डॉक्टरी पेशे का मान बनाए हुए हैं. निजी अस्पताल होने के बाद भी वह सामान्य डॉक्टर की जिंदगी जीते हैं. लग्जरी गाडिय़ों में चलने का शौक नहीं. सौम्य व्यवहार पहचान है. वह कहते हैं मरीजों की सेवा ही सबसे बड़ा धन है. उनका स्नेह ही सबसे बड़ी उपलब्धि है.
Location :
Rewa,Madhya Pradesh
First Published :
January 18, 2025, 18:30 IST
रीवा के लिए गौरव का छण; साहित्यकारों की कलम ने फिर से रचा इतिहास! दो और...