Last Updated:January 22, 2025, 13:00 IST
राजस्थान के रेगिस्तान में मिलने वाला पीवणा सांप इलाके में दहशत का दूसरा नाम बन गया है. पांच साल में इस सांप के दो सौ दस शिकार एम्स जोधपुर आ चुके हैं.
भारत में कई तरह के जीव-जंतु पाए जाते हैं. जिस तरह का परिवेश होता है, जानवर भी उसी के हिसाब से ढल जाते हैं. रेगिस्तान में पानी की कमी होती है. ऐसे में वहां ऊंट पाए जाते हैं. इसके अलावा रेगिस्तान का शुष्क वातावरण सांप-बिच्छुओं के लिए भी बेस्ट है. वैसे तो सारे सांप जहरीले नहीं होते लेकिन रेगिस्तान में पाया जाने वाला पीवणा सांप राजस्थानियों के बीच खौफ का दूसरा नाम बनता जा रहा है.
पांच साल के अंदर इस सांप के 210 शिकार सिर्फ जोधपुर एम्स में ही भर्ती हो चुके हैं. दूसरे अस्पतालों का आंकड़ा जोड़ने पर इस सांप के शिकार की संख्या काफी ज्यादा बढ़ सकती है. इस सांप ने सबको चिंतित कर दिया है क्यूंकि इसके शिकार पर कोई भी दवा असर नहीं कर रही है. पीवणा सांप के जहर को बेअसर करने में दवाइयां नाकाम हो रही हैं. अब इसकी वजह भी सामने आ गई है.
बढ़ते जा रहे मरीज
एम्स जोधपुर सहित देश के तीन बड़े संस्थानों ने पीवणा सांप के जहर को उतारने में नाकाम हो रहे एंटीवेनम पर शोध किया. इसमें सामने आया कि सांपों का जहर उतारने के लिए जिन एंटीवेनम को बनाया गया है, उसमें दक्षिण के सांपों का जहर इस्तेमाल किया गया है. दक्षिण के सांप से कई गुना ज्यादा जहरीला होता है रेगिस्तानी सांप. ऐसे में ये एंटीवेनम पीवणा सांप के जहर पर काम नहीं कर पा रहा है. जबकि इलाके में सांप के काटने के ज्यादातर मामले पीवणा सांप के ही है.
काटने का अंदाज निराला
आमतौर पर जब किसी को सांप काटता है तो इसे पांच से दस एंटीवेनम दिए जाते हैं. इतने में ही जहर अपने आप उतर जाता है. लेकिन पीवणा सांप के शिकार को डेढ़ से दो सौ इंजेक्शन दिए जाने के बाद भी जहर नहीं उतर रहा है. बता दें कि पीवणा सांप लोगो की छाती पर बैठकर डसता है. वो अपनी सांस के माध्यम से जहर छोड़ता है. इसी वजह से रेगिस्तानी इलाकों में लोग ऊंचाई पर सोते हैं ताकि पीवणा सांप उनकी छाती पर ना बैठ सके.
First Published :
January 22, 2025, 13:00 IST