Agency:News18 Himachal Pradesh
Last Updated:January 22, 2025, 15:11 IST
Mandi News: हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में देवदार की एक ऐसी लकड़ी का इस्तेमाल पुराने समय में आग जलाने के लिए किया जाता था. यह लकड़ी सूखने के बाद अत्यधिक जलने वाली होती थी, जिससे लोग चूल्हा जलाते थे या सामुदायिक...और पढ़ें
जुगनू लकड़ी
मंडी. हिमाचल प्रदेश के कई हिस्सों में देवदार के घने जंगल पाए जाते हैं. इन पेड़ों की एक खासियत है कि सूखने के बाद इनकी लकड़ी बहुत अच्छे से जलती है. पुराने समय में, जब पेट्रोल या केरोसिन नहीं होता था, मंडी जिले के लोग देवदार की लकड़ी से छोटी-छोटी स्टिक बनाते थे और इन्हीं से आग जलाते थे. चाहे घर का चूल्हा जलाना हो या सामुदायिक बॉनफायर, इन स्टिक का ही उपयोग होता था. साल भर मंडी जिले के ग्रामीण इन सूखी लकड़ी की स्टिक बनाकर अपने पास रखते थे और जब भी आग जलाने की जरूरत होती थी, तो इन्हीं का इस्तेमाल करते थे.
आज भी कुछ लोग इनका उपयोग करते हैं, लेकिन अब ज्यादातर लोग पेट्रोल या केरोसिन का इस्तेमाल करते हैं. पुराने समय में जुगनू लकड़ी ही आग जलाने का मुख्य साधन थी और यह मुफ्त में मिल जाती थी.
मंडी जिले के स्थानीय निवासी और इतिहासकार आकाश शर्मा के अनुसार, यह एक पारंपरिक विधि थी जिसमें लोग जुगनू लकड़ी इकट्ठा करते थे और इससे आग जलाते थे। आज के मॉडर्न जमाने में शहरों में हर घर में हीटर और ब्लोअर होते हैं, लेकिन ग्रामीण इलाकों में आज भी कई लोग इस पुरानी विधि से आग जलाते हैं।
जुगनू लकड़ी की इतनी मांग क्यों थी?
पहले जमाने में, जब पेट्रोल आदि नहीं होता था, तो देवदार की लकड़ी, जिसे जुगनू लकड़ी भी कहा जाता है और असका उपयोग होता था. यह लकड़ी सूखने के बाद बहुत आसानी से जल जाती है और हाइली फ्लेमेबल होती है. कई जगहों पर इन जुगनू लकड़ियों से मशाल भी बनाई जाती थी, जो टॉर्च का काम करती थी.
Location :
Mandi,Himachal Pradesh
First Published :
January 22, 2025, 15:10 IST