नैनीताल के बीडी पांडे अस्पताल में डॉक्टर-स्टाफ की कमी है.
नैनीताल. उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के हाल किसी से छिपे नहीं हैं. नैनीताल की बात करें, तो नगर के एकमात्र अस्पताल को रेफर सेंटर के नाम से जाना जाता है. बीडी पांडे जिला अस्पताल में कभी डॉक्टरों की कमी, तो कभी सुविधाओं का अभाव बना रहता है. वहीं कुछ समय पहले तक मरीजों को आयुष्मान कार्ड का लाभ बुनियादी चिकित्सा सुविधा के लिए दिया जाता था लेकिन बजट की कमी का हवाला देते हुए अस्पताल प्रशासन द्वारा मरीजों को स्वास्थ्य कार्ड से मिलने वाली 50 से ज्यादा निःशुल्क जांचों की सुविधा को भी बंद कर दिया गया है, जिससे स्थानीय लोगों के साथ ही दूरदराज से आने वाले ग्रामीणों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
बीते दिनों बीडी पांडे अस्पताल में एक्स-रे फिल्म खत्म हो गई. जिसके बाद अस्पताल में एक्स-रे बंद कर दिया गया. जिसके चलते स्थानीय लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. नैनीताल निवासी वरिष्ठ पत्रकार किशोर जोशी ने लोकल 18 से कहा कि बीडी पांडे जिला अस्पताल पर नैनीताल समेत आसपास के ग्रामीण इलाकों का भी काफी दबाव है. पूर्व में पीआईएल पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के निर्देश भी दिए जा चुके हैं लेकिन इसके बावजूद अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है. नैनीताल के लोग हल्द्वानी के प्राइवेट अस्पतालों पर निर्भर हैं.
बीडी पांडे अस्पताल में डॉक्टरों की कमी
नैनीताल निवासी पंकज भट्ट ने कहा कि बीडी पांडे अस्पताल में डॉक्टरों की कमी है. इमरजेंसी में भी डॉक्टरों की कमी देखी जा सकती है. यदि किसी मरीज को खून की जरूरत हो, तो उसे भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. अस्पताल प्रबंधन को अस्पताल में उपलब्ध खून का डेटा ब्लड बैंक के बाहर से लगाना चाहिए ताकि मरीजों को उपलब्ध ब्लड के ग्रुप की जानकारी मिल सके. नैनीताल निवासी वरिष्ठ पत्रकार रमेश चंद्रा बताते हैं कि नैनीताल में शासन, प्रशासन, राजनीतिक शक्ति का कोई विजन न होने के कारण शहर की स्वास्थ्य सुविधाएं सुद्रण नहीं हो पाई हैं, जिस वजह से नगर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिहाज से काफी पिछड़ा है.
रेफर सेंटर बनकर रह गया जिला अस्पताल
नैनीताल निवासी रोहित तिवारी ने कहा कि नैनीताल के जिला अस्पताल में सुविधाओं का अभाव है. जिला अस्पताल सिर्फ रेफर सेंटर बनकर रह गया है. वहीं अस्पताल स्टाफ का रवैया भी सही नहीं है. अमरप्रीत सिंह बताते हैं कि नैनीताल शहर एक वीआईपी शहर है और वीआईपी शहर होने के नाते यहां की स्वास्थ्य सुविधाएं भी उत्तम दर्जे की होनी चाहिए थीं लेकिन यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था बेहद खराब है. जिला अस्पताल में ज्यादातर मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद हल्द्वानी रेफर कर दिया जाता है.
डॉक्टर-स्टाफ की नियुक्ति की जरूरत
नैनीताल निवासी व्यवसायी त्रिभुवन फर्त्याल ने कहा कि पर्यटन नगरी नैनीताल पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. यहां कुमाऊं का मंडल मुख्यालय, जिला मुख्यालय से लेकर उत्तराखंड का उच्च न्यायालय स्थित है, बावजूद इसके यहां आम जनमानस के लिए बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं. इस वजह से लोगों को इलाज के लिए हल्द्वानी और अन्य महानगरों पर निर्भर होना पड़ता है. नैनीताल निवासी डीएसबी कॉलेज के प्रोफेसर ललित तिवारी ने कहा कि एक अस्पताल में अच्छे चिकित्सकों के साथ ही अच्छे मेडिकल इक्यूपमेंट और अन्य मशीनों की जरूरत होती है. हालांकि नैनीताल के बीडी पांडे जिला अस्पताल में एमआरआई, सिटी स्कैन जैसे उपकरण तो आए हैं लेकिन इनको चलाने के लिए नियुक्तियां नहीं हो पाई हैं. वहीं जिला अस्पताल में अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए स्टाफ और डॉक्टर्स की नियुक्तियों का होना जरूरी है.
रैमजे अस्पताल को पुनः संचालित करने की मांग
नैनीताल निवासी और यूथ कांग्रेस के महासचिव संजय कुमार ने कहा कि नैनीताल में स्वास्थ्य सुविधाएं चरमराई हुई हैं. एकमात्र जिला अस्पताल सिर्फ रेफर सेंटर बनकर रह गया है. शहर में अंग्रेजों का बनाया रैमजे अस्पताल स्थित है और कुछ समय पहले तक यह अस्पताल अपने बेहतर इलाज के लिए जाना जाता था. दूर-दूर से लोग यहां इलाज करवाने आते थे लेकिन प्रशासन की उदासीनता के कारण नैनीताल का रैमजे अस्पताल पूरी तरीके से बंद पड़ा है. इस अस्पताल तक गाड़ी जाती है. पार्किंग जैसी बुनियादी सुविधाएं यहां हैं लेकिन शहर का दुर्भाग्य है कि अस्पताल की सुध लेने वाला कोई नहीं है. यदि इस अस्पताल को दोबारा से संचालित किया जाता है, तो नैनीताल की स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार आएगा.
Tags: Health Facilities, Local18, Nainital news, Public Opinion, Uttarakhand news
FIRST PUBLISHED :
November 19, 2024, 12:48 IST