रोज 200 टन नारियल पी जाते हैं पटना के लोग, अब इसके कचड़े से बनेगा कोको पिट

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Agency:News18 Bihar

Last Updated:February 11, 2025, 13:08 IST

Patna News : राजधानी पटना में जो डाभ आता है वो कोलकाता, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश से आता है. सबसे अधिक कर्नाटक और कोलकाता से पटना में डाभ लाया जाता है. इसकी कीमत 30 रूपये से लेकर 50 रूपये के बीच होती है.

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नारियल

नारियल के छिलकों से बनेगा खाद 

हाइलाइट्स

  • पटना में रोज 200 टन नारियल का पानी पीते हैं लोग.
  • नारियल के कचरे से बनेगा कोको पीट खाद.
  • कोको पीट खेती और बागवानी में उपयोगी है.

पटना. राजधानी पटना के लोगों को नारियल यानी डाभ बेहद पसंद है. हर गली मोहल्ले में इसकी दुकान देखने को मिल जाती है. गर्मी और बरसात में डेंगू के समय इसकी मांग ऐसी बढ़ती है कि हर कोई डाभ लेकर घर जाता हुआ दिखाई देता है. सड़क किनारे ठेलों पर डाभ लटका देख, कभी अपने सोचा है कि पटना में एक दिन में कितने डाभ की खपत होती है. इसका जवाब सुन आप चौंक जाएंगे. दरअसल, पटना नगर निगम क्षेत्र में प्रतिदिन 10 से 12 ट्रक नारियल की खपत होती है. प्रतिदिन 200 टन कचरा इससे निकलता है. अगर एक एक महीने का हिसाब लगाया जाए तो 6000 टन डाभ का कचरा निगम क्षेत्र में निकलता है. अब सभी प्रकार के नारियल के कचरो का उपयोग खाद बनाने के लिए किया जायेगा.

आपको बता दें कि राजधानी पटना में जो डाभ आता है वो कोलकाता, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश से आता है. सबसे अधिक कर्नाटक और कोलकाता से पटना में डाभ लाया जाता है. इसकी कीमत 30 रूपये से लेकर 50 रूपये के बीच होती है.

नारियल से बनेगा खाद 
पहली बार पटना नगर निगम कोको पिट रीसाइक्लिग प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहा है. इसके तहत नारियल के छिलके से खाद बनाई जाएगी. इससे कचरे का रीसाइक्लिग भी जायेगा और खाद भी तैयार हो जाएगी. इस प्रोजेक्ट के लिए नगर निगम की सशक्त स्थायी समिति की बैठक में प्रस्ताव को पास किया गया है. कोकोपिट प्रोजेक्ट के लिए एजेंसियों की चयन प्रक्रिया शुरू होने वाली है.

आपको बता दें कि जिस डाभ को आप पीकर दुकान के पास फेंक देते हैं, उस डाभ के कचरे को कुछ दुकानदार और ग्राहक नालों में फेंक देते हैं. इससे जलनिकासी में दिक्कत आती है. जब भी नालों की सफाई होती है तो उसमें भारी मात्रा में डाभ के कचरे निकलते हैं. इन परेशानियों को कम करने के लिए नगर निगम कोकोपीट रीसाइक्लिंग प्रोजेक्ट को शुरू करने की तैयारी में है.

क्या है कोकोपिट?

नारियल के छिलकों को रिसाइकलिंग करके कोकोपिट बनाया जाता है. दरअसल, कोकोपिट एक ऐसा फाइबर पाउडर है, जो खेती और बागवानी में मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. यह पौधों की अच्छी बढ़त में मदद करता है और पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद होता है. इसे रीसाइक्लिंग करके कई चीजें बनाई जा सकती है. पटना में अभी तक इसका कोई सही प्रबंधन नहीं था, लेकिन अब नगर निगम ने डाभ के कचरे से कोकोपीट बनाने की योजना शुरू की है.

First Published :

February 11, 2025, 13:08 IST

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रोज 200 टन नारियल पी जाते हैं पटना के लोग, अब इसके कचड़े से बनेगा कोको पिट

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