रोहतास में ड्रोन से खेती की नई शुरुआत, महिला ड्रोन पायलट ला रही नई क्रांति

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Agency:News18 Bihar

Last Updated:February 03, 2025, 15:24 IST

Rohtas Female Drone Pilot: रोहतास की रहने वाली जूही कुमारी ट्रेंड ड्रोन पायलट बन चुकी हैं. पहले घर का कामकाज देखती थी और अब रोहतास की पहली महिला ड्रोन पायलट बनकर जिले में मिसाल पेश कर रही हैं. इफको प्रयागराज से...और पढ़ें

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हाइलाइट्स

  • जूही कुमारी रोहतास की पहली महिला ड्रोन पायलट बनीं.
  • 500 एकड़ से अधिक खेतों में नैनो यूरिया और डीएपी का छिड़काव किया.
  • किसान व्यक्तिगत या किसान सलाहकार एप से संपर्क करते हैं.

रोहतास. जिले के कोचस प्रखंड की रहने वाली जूही कुमारी ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से एक नई पहचान बनाई है. पहले एक गृहिणी और किसान के रूप में अपनी जिम्मेदारियों को संभालने वाली जूही, आज रोहतास की पहली महिला ड्रोन पायलट बनकर जिले में मिसाल पेश कर रही हैं. जूही ने इफको प्रयागराज से कृषि ड्रोन उड़ाने का प्रशिक्षण लिया है.

जूही अब वह आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर खेती को उन्नत और आसान बना रही हैं. सरकार और इफको के सहयोग से उन्हें एक कृषि ड्रोन प्रदान किया गया है, जिसकी मदद से वह अब तक 500 एकड़ से अधिक खेतों में नैनो यूरिया और नैनो डीएपी का छिड़काव कर चुकी हैं.

इफको से ली है कृषि ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग

जूही ने लोकल 18 को बताया कि न्यूज़ के माध्यम से ड्रोन पायलट की भर्ती की जानकारी मिली. इस मौके को भुनाने के लिए तुरंत आवेदन कर दिया. जूही ने बताया कि कुल 20 लोगों ने अप्लाई किया था, लेकिन सिर्फ 4 लोगों का ही चयन हुआ. इसके बाद प्रयागराज में इफको द्वारा उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया गया. ट्रेनिंग पूरी करने के बाद उन्हें इफको की ओर से कृषि ड्रोन प्रदान किया गया, जिससे वह किसानों की मदद कर रही हैं. जूही ने बताया कि कृषि ड्रोन का मुख्य उद्देश्य नैनो यूरिया और डीएपी का छिड़काव करना है. किसान उनसे व्यक्तिगत रूप से संपर्क करते हैं या फिर किसान सलाहकार एप के माध्यम से सेवा लेते हैं. इसके बाद खेतों में जाकर ड्रोन से दवा का छिड़काव करती हैं.

ड्रोन से छिड़काव करने पर पैसे की होती है बचत

जूही इस तकनीक के फायदों के बारे में बताया कि ड्रोन से छिड़काव करने पर समय और लागत की बचत होती है. सिर्फ 12 लीटर दवा में 1 एकड़ खेत में छिड़काव किया जा सकता है. वहीं  सिर्फ 7 मिनट में 1 एकड़ खेत में नैनो यूरिया और डीएपी का छिड़काव पूरा हो जाता है. एक दिन में करीब 50 बीघा खेत में दवा का छिड़काव संभव हो पाता है. इस काम में परिवार से पूरा समर्थन मिला है. इस सफर को समाज में भी सराहना मिल रही है और कई बार उन्हें सम्मानित किया जा चुका है. जूही बताती हैं कि जब ड्रोन उड़ाती है तो सच में उन्हें पायलट जैसी फीलिंग आती है. उन्होंने बताया कि जेहन में कभी ख्याल भी नहीं आया था कि इस तकनीकी दौर का हिस्सा बन जाएंगे. लेकिन, अब गर्व है कि खेती में बदलाव लाने का जरिया बन चुके हैं.

First Published :

February 03, 2025, 15:24 IST

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