नागौर. ऐसे अनेकों लोग हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन बेसहारा लोगों को समर्पित कर दिया. दूसरों की सहायता करने में लोग लवारिस लाशों का अंतिम संस्कार भी करते हैं. ऐसा ही एक शख्स नागौर जिले के मेड़ता सिटी में भी है जो बेसहारा लोगों की मौत के बाद उनका अंतिम संस्कार करता है. इस शख्स का नाम है अनिल थानवी, ये पेशे से वकील है. इनको लावारिस लाशों का मसीहा कहा जाता है.
कर चुके हैं सैकड़ो लाशों का अंतिम संस्कार
लावारिसों के मसीहा एडवोकेट अनिल थानवी ने बताया कि वे साल 2001 से लावारिस लाशों के अंतिम संस्कार के नेक काम में जुटे हुए हैं. उन्होंने बताया कि केस के सिलसिले में चेन्नई गए थे तो वहां चेन्नई में काम करने वाले मेड़ता के व्यक्ति से उनकी मुलाकात हुई. वहां मृत्यू होने पर बिना किसी क्रिया-कर्म के पुलिस द्वारा उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया. इसकी वजह से घरवालों को बेटे का शव नहीं मिलने पर उनके ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा.
पुलिस की लापरवाही के बाद लिया फैसला
बिना किसी क्रिया कर्म के उनके बेटे का ऐसे ही अंतिम संस्कार कर दिया गया था, तब मैने निश्चय किया अब मैं संपूर्ण क्रियाकर्म के साथ लावारिस का अंतिम संस्कार खुद करूंगा. तब से अब तक एडवोकेट अनिल थानवी सैकड़ो लावारिस क्लासों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं.
समाज के रीति-रिवाज के अनुसार करते है अंतिम संस्कार
अनिल थानवी अब तक 150 लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं. इसमें हिन्दू व मुस्लिम समाज दोनों के लावारिस लाश शामिल हैं. वे हिन्दू समाज के व्यक्ति का अंतिम संस्कार करने के बाद उनकी अस्थियों को हरिद्वार ले जाकर गंगा नदी में प्रवाहित करते हैं. वहीं मुस्लिम समाज के व्यक्ति को उनके नियम के मुताबिक दफनाते हैं. जिस भी समाज के व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है उस समाज के लोगों को साथ रखकर अंतिम संस्कार का क्रियाकर्म किया जाता है.
समाज और पुलिस के सहयोग से करते हैं काम
अनिल थानवी ने बताया कि अगर किसी भी समाज के व्यक्ति का लावारिस शव मिलता है तो उस समाज और पुलिस प्रशासन की मदद से उसका अंतिम संस्कार करते हैं. अनिल के नए काम में उनके साथ अब उनके कई साथी भी जुड़ चुके हैं. प्रशासन व आम लोगों की सूचना के बाद वे लावारिस लाश का अपने खर्चे से अंतिम संस्कार करते हैं और हरिद्वार लेकर जाते हैं.
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FIRST PUBLISHED :
November 20, 2024, 17:28 IST