दावा है कि मस्जिद बनाने के दौरान यहां पर मौजूद हरिहर मंदिर को तोड़ा गया.
मुरादाबाद: उत्तर प्रदेश के संभल में जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर रविवार को हुए विवाद ने हिंसक रूप ले लिया. इस झड़प में चार लोगों की मौत हो गई और करीब 20 लोग घायल हुए, जिनमें कई सुरक्षाकर्मी भी शामिल हैं. पुलिस पर पथराव और आगजनी के बाद हालात काबू में करने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा. हिंदू पक्ष का कहना है कि यहां पहले एक मंदिर था, जिसे बाद में तोड़कर मस्जिद का रूप दिया गया.
लोकल 18 ने इस विवाद के बीच हरिहर मंदिर की प्राचीनता और उसके ऐतिहासिक संदर्भों पर वरिष्ठ इतिहासकार डॉ. अजय अनुपम से खास बातचीत की. डॉ. अनुपम ने बताया कि हरिहर मंदिर का जिक्र कई धार्मिक ग्रंथों में मिलता है. यह मंदिर भगवान विष्णु (हरि) और भगवान शिव (हर) को समर्पित है.
संभल पौराणिक स्थल
वरिष्ठ इतिहासकार डॉ अजय अनुपम ने लोकल 18 से खास बातचीत करते हुए बताया कि संभल पौराणिक स्थल है. उन्होंने कहा, ‘पुराणों में बताई गई चीजों को हम नकार नहीं सकते हैं. मत्स्य पुराण, श्रीमद् भागवत और स्कंद पुराण और श्रीमद् भागवत पुराण इन चारों में संभल का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है. पुराणों के अनुसार राजा नहुष के पुत्र राजा ययाति ने संभल नगर की स्थापना की थी. प्राचीन स्थापित कला में एक बात गौर करने की है. जैसे हम घर बनाते हैं. तो उसमें एक कोना मंदिर के लिए जरूर रखते हैं. ऐसे ही नगर की स्थापना करते समय पहले मंदिर बनाया जाता था’.
राजा ने बनाया मंदिर
डॉ अजय अनुपम ने आगे बताया कि यह मानने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए कि राजा ययाति ने संभल की स्थापना करते समय हरिहर मंदिर की स्थापना की होगी. हरिहर से आश्रय दो देवताओं से है. हरि का अर्थ है विष्णु और हर का अर्थ है भगवान शंकर, भगवान शंकर और विष्णु सनातन धर्म परंपरा के सर्व प्रधान देवता हैं. इसलिए हरिहर मंदिर भगवान शंकर और विष्णु को समर्पित किया गया है. उनकी पूजा के लिए इस मंदिर का निर्माण किया गया यह बात निश्चित रूप से सत्य माननी चाहिए.
श्रीमद् भागवत पुराण में इसका उल्लेख
वरिष्ठ इतिहासकार डॉ अजय अनुपम ने लोकल 18 से कहा, ‘श्रीमद् भागवत पुराण में इसका उल्लेख है, स्कंद पुराण जो विस्तृत वाला है उसमें भी इस मंदिर का उल्लेख किया गया है कि संभल में मंदिर है और मत्स्य पुराण जो हमारे यहां बहुत सारे देवी देवताओं के जो अवतार बताए जाते हैं. उनमें एक अवतार मत्स्य अवतार है. मत्स्य अवतार को लेकर जो पुराण लिखा गया है. उसमें इस मंदिर के बारे में उल्लेख किया गया है कि यहां पर मंदिर है.
5000 साल पुराना मंदिर
डॉ. अनुपम ने बताया कि पुराणों के विवरण के आधार पर हरिहर मंदिर की स्थापना श्रीमद्भागवत के समय की मानी जा सकती है, यानी लगभग 5000 वर्ष पूर्व. पुराणों में जो विवरण मिलता है. वह इस प्रकार मिलता है. इतिहासकार का कहना है कि हरिहर मंदिर का उल्लेख एक ही नहीं, बल्कि कई ग्रंथों में मिलता है. इससे इसकी प्राचीनता और महत्व की पुष्टि होती है.
हरिहर मंदिर की लोकेशन
हालांकि पुराणों में हरिहर मंदिर की सटीक लोकेशन का उल्लेख नहीं है, लेकिन इसमें स्पष्ट रूप से संभल में इसके होने की बात कही गई है. संभल का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व पुराणों और अन्य प्राचीन ग्रंथों से प्रमाणित है. चाहे वह मत्स्य पुराण हो, श्रीमद्भागवत हो, या स्कंद पुराण, सभी में इस नगर और हरिहर मंदिर का विस्तृत वर्णन मिलता है. उन्होंने कहा, ‘ एक पुस्तक नहीं बल्कि कई पुस्तकों में हरिहर मंदिर का जिक्र किया गया है. मान लीजिए एक पुस्तक में भूल से किसी ने जिक्र कर दिया होगा. लेकिन एक नहीं बल्कि अनेक पुस्तकों में इस मंदिर का जिक्र किया गया है’.
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FIRST PUBLISHED :
November 26, 2024, 10:29 IST