सर्वपितृ अमावस्या के दिन इस मुहूर्त में कर लें तर्पण, भूले-बिसरे सभी पितरों की आत्मा होगी शांत

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सर्वपितृ अमावस्या पितृ पक्ष की विशेष तिथियों में से एक है। इसको महालय अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में सभी पितरों की आत्माओं की शांति के लिए यह दिन विशेष रूप से समर्पित दिन है।  यह तिथि श्राद्ध पक्ष के अंतिम दिन आती है। आपको बता दें कि, भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से लेकर आश्विन महीने की अमावस्या तक पितृपक्ष चलता है। वहीं अमावस्या तिथि इसलिए भी खास है क्योंकि इस दिन उन सभी पूर्वजों का तर्पण (श्राद्ध) किया जाता है जिनका श्राद्ध किसी विशेष तिथि पर नहीं हो पाया हो, या जिनकी मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं है। आइए जान लेते हैं कि, साल 2024 में यह तिथि कब है और किस समय इस दिन पूर्वजों का तर्पण किया जाना चाहिए। 

सर्वपितृ अमावस्या तिथि और श्राद्ध करने का मुहूर्त

साल 2024 में सर्वपितृ अमावस्या तिथि 2 अक्तूबर को है। हालांकि, अमावस्या तिथि 1 अक्टूबर से ही शुरू हो जाएगी, लेकिन उदयातिथि की मान्यता के अनुसार, सर्वपितृ अमावस्या का श्राद्ध 2 अक्टूबर को रखा जाना ही सही रहेगा। इस दिन तर्पण के लिए सबसे शुभ मुहूर्त 1 बजकर 21 मिनट से 3 बजकर 43 मिनट तक रहेगा। इस दिन 11 बजकर 45 मिनट से 14 बजकर 24 मिनट तक कुतुप मुहूर्त में भी पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है। 

सर्वपितृ अमावस्या का महत्व
सर्वपितृ अमावस्या का दिन पितृपक्ष के दौरान बेहद खास होता है। इस दिन श्राद्ध करने से सभी भूले-बिसरे पितरों की आत्मा भी शांत हो जाती है। इसके साथ ही जिन पितरों की मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है या जिनकी मृत्यु दुर्घटना, प्राकृतिक आपदा आदि में हुई है उनका श्राद्ध भी इसी दिन किया जाता है। इस दिन पितरों के निमित्त श्राद्ध और तर्पण करने से पितृ दोष से आपको मुक्ति मिलती है और जीवन में स्थिरता आती है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन किया गया श्राद्ध कर्म आपके पूरे परिवार के लिए बेहद शुभ होता है। इस दिन पितरों का तर्पण करने के साथ ही आपको अनाज, धन, वस्त्र आदि का दान भी करना चाहिए। ये कार्य करके पितरों की आत्मा तृप्त होती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्त होता है। 

कैसे करें तर्पण 
इस दिन तर्पण करने वाली जगह को गंगाजल से शुद्ध करने के बाद वहां दीपक जलाएं। अपने पूर्वजों की तस्वीर उस स्थान पर लगाएं और उन पितरों के साथ ही सभी पितरों का ध्यान करें। इसके बाद पितरों को जल अर्पित करें। साथ ही इस दिन पितरों का प्रिय भोजन बनाएं और इस भोजन का भोग उन्हें लगाएं। इसके बाद ब्राह्मण, गाय, कौए आदि को के लिए भी भोजन रखें। इस सरल विधि से भी अगर आप पितरों को तर्पण देते हैं, तो उनकी आत्मा को शांति प्राप्त होती है। 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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