Agency:Local18
Last Updated:February 02, 2025, 15:19 IST
Til ki kheti: तिल की खेती के लिए सही मिट्टी, सही किस्में, खाद का संतुलन, और सिंचाई के सही समय का चयन जरूरी है. गर्मियों में तिल की किस्में जैसे गुजरात तिल-तीन और गुजरात जूनागढ़ तिल-पांच सर्वोत्तम होती हैं.
बोटाद जिले में तिल की खेती के लिए सही मिट्टी का चयन बेहद जरूरी है. अच्छी जल निकासी वाली जमीन तिल की खेती के लिए उपयुक्त होती है, जबकि गहरी काली चिकनी मिट्टी इसके लिए अनुकूल नहीं मानी जाती. तिल की बुवाई क्यारी पद्धति से करनी चाहिए ताकि पौधे को सही पोषण मिले. क्यारी की लंबाई बहुत ज्यादा नहीं होनी चाहिए और इसे समतल रखना जरूरी है ताकि पानी जमा न हो. बुवाई का सही समय फरवरी के दूसरे सप्ताह में होता है, जब ठंड कम हो जाती है और न्यूनतम तापमान 15 डिग्री से अधिक होता है. इससे तिल के बीजों का अंकुरण बेहतर होता है.
गर्मी में तिल की फसल के लिए सही किस्में
गर्मियों में तिल की खेती के लिए गुजरात तिल-तीन और गुजरात जूनागढ़ तिल-पांच जैसी किस्मों की सिफारिश की जाती है. गुजरात तिल-तीन की फलियां लंबी, चौड़ी और बिना रेशे वाली होती हैं, जबकि गुजरात जूनागढ़ तिल-पांच में फलियां चक्राकार आती हैं, जिससे उत्पादन ज्यादा होता है. बाजार में कई निजी कंपनियों के बीज उपलब्ध हैं, लेकिन उनके दाम इन सरकारी किस्मों की तुलना में अधिक होते हैं. यदि किसी किसान को निजी कंपनियों के बीज का अच्छा अनुभव रहा हो, तो वे उनका भी उपयोग कर सकते हैं.
जैविक और रासायनिक खाद का संतुलन
तिल की फसल से अच्छा उत्पादन लेने के लिए खेत में सही मात्रा में खाद डालना जरूरी है. एक बीघा जमीन में चार से पांच गाड़ी सड़ी हुई गोबर की खाद या छह से सात बोरी जैविक खाद डालनी चाहिए. इसके अलावा, बुवाई के समय 25 किलो सिंगल सुपर फॉस्फेट, 10 किलो पोटाश और आठ किलो यूरिया का प्रयोग करना चाहिए. यदि खेत में खरपतवार नजर आए, तो पेंडिमेथलीन जैसी खरपतवार नाशक दवाइयों का छिड़काव करना जरूरी होता है.
रोग और कीट नियंत्रण के उपाय
गर्मियों में तिल की फसल पर आमतौर पर रोगों या कीटों का प्रकोप कम होता है, लेकिन किसी भी तरह की समस्या से बचने के लिए सतर्क रहना जरूरी है. यदि किसी प्रकार का कीट दिखे, तो शोषक प्रकार की कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करना चाहिए. इससे फसल को कीटों से सुरक्षित रखा जा सकता है और उत्पादन पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
सिंचाई का सही समय
तिल के अच्छे अंकुरण के लिए पहली सिंचाई के चार से पांच दिन बाद दूसरी सिंचाई जरूर करनी चाहिए. इसके बाद जब पौधे में चार पत्तियां निकल आएं, तो तीसरी सिंचाई करें. खेत की मिट्टी के आधार पर आठ से दस दिन के अंतराल पर सिंचाई करना फायदेमंद होता है. तिल की फसल 85 से 90 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. जब पौधों की फलियां पीली पड़ने लगें और पत्ते झड़ने लगें, तो फसल की कटाई करनी चाहिए.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
February 02, 2025, 15:19 IST
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