जैसलमेरः राजस्थान का जैसलमेर रियासत काल से ही शक्ति उपासक रहा है. यही वजह है कि जैसलमेर चारों दिशाओं से शक्तिपीठों से घिरा है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं जैसलमेर के प्राचीन मंदिरो में से एक हिंगलाज शक्ति पीठ मंदिर के बारे में. यह प्राचीन मंदिर जैसलमेर के ऐतिहासिक गडीसर सरोवर में बना है, जो कि चारों तरफ से पानी से घिरा है. हिंगलाज शक्तिपीठ मंदिर का निर्माण लगभग 800 वर्ष पुराना है. मंदिर के इतिहास के जानकार अचलसिंह दैय्या बताते है कि यह मंदिर महारावल गड़सी सिंह के वक्त बनवाया गया था.
1563 में मंदिर की हुई थी स्थापना
इस मंदिर के निर्माण के लिए इस्तेमाल किए गए पत्थर भी इसी तालाब को खुदाई से निकले थे. उन्होंने बताया कि गड़ीसर तालाब की खुदाई के बाद करीब 1563 में मन्दिर की स्थापना की गई. आज तक यह मंदिर कभी अपूजीत नहीं रहा है. पानी से घिरे मंदिर में पहले बड़े बुजुर्ग स्टेट की नाव से आते थे व अन्य नौजवान तैरकर मंदिर पहुंचते थे. यह जैसलमेर के लोगों की आस्था का केंद्र है.
तालाब के बीच में स्थित है मंदिर
मुख्य पूजारी हेमशंकर व्यास बताते हैं कि इस मंदिर की खासियत है कि यह पानी के बीचो-बीच बना है और यहां का दृश्य मन मोह लेने वाला है. यह एकमात्र मंदिर है, जो चारों तरफ से पानी से घिरा है और यंहा आने पर शांति का अनुभव होता है. पहले हम लोग पानी में तैर कर यहां आते थे, मैं कई वर्षो से पूजा अर्चना करता हूं. लेकिन अब नाव से भक्त दर्शन करने आते है.
हर एक मनोकामना होती है पूरी
यंहा एक साथ हिंगलाज माता,चामुंडा माता व महिषासुर मर्दनी की प्रतिमा मौजूद है. सामान्यतः ऐसा देखने को नहीं मिलता है. यह मंदिर अपने आप में अद्भुत है. यही कारण है इस मंदिर का बहुत अधिक महत्व है. इस मंदिर को लेकर यह भी मान्यता है कि यहां भक्तों द्वारा मांगी गई हर मनोकामना पूर्ण होती है. इस शक्तिपीठ में नाव लेकर दर्शन करने पहुंचे विक्रम बाहरठ बताते हैं कि वह बचपन से इस मंदिर में दर्शन के लिए आ रहे हैं. गड़ीसर के बीच बनाया मंदिर काफी मन मोहक है.
नवरात्रि पर होती है भक्तों की भीड़
वह बताते हैं कि इस मंदिर में यंहा एक से अधिक प्रतिमाएं मौजूद हैं. ऐसा उन्होंने ओर कहीं नहीं देखा. सैकड़ो वर्षों से हर नवरात्रि पर यहां मेला भरता है. हमारा विश्वास है कि हमारी हर मनोकामना यहां पूर्ण होती है. जैसलमेर के वाशिंदों की आस्था का प्रतीक इस मंदिर के चारों ओर पानी ही पानी व हरियाली नजर आती है. उपासकों के लिए प्रकृति के बीच इससे शांत व सुंदर मंदिर नहीं हो सकता.
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FIRST PUBLISHED :
October 11, 2024, 08:14 IST