फर्रुखाबाद: आज के समय में भैंस पालन एक ऐसा व्यवसाय है, जो पूरे सालभर चलने वाला और लाभकारी होता है. इसके पर्यावरण पर भी कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता. शुरू करने के लिए ज्यादा लोगों की भी आवश्यकता नहीं होती. भैंस के गोबर का उपयोग खेतों में जैविक खाद के रूप में किया जाता है, जिससे किसानों को अतिरिक्त लाभ होता है. अच्छी नस्ल की भैंस न सिर्फ देश के भीतर बल्कि विभिन्न राज्यों में भी बेची जाती हैं. उनकी ऊंची कीमत किसानों के लिए कमाई का बड़ा स्रोत बनती हैं.
एक भैंस से शुरू हुआ लाखों का कारोबार
रूनी निवासी कमलेश ने लोकल18 को बताया कि उन्होंने भैंस पालन का व्यवसाय एक भैंस से शुरू किया था. सबसे पहले एक भैंस का बच्चा लेकर पालन किया और धीरे-धीरे इस काम में सफलता पाई. आज कमलेश के पास 25 भैंसे हैं और वे लाखों रुपये कमा रहे हैं. भैंसों के लिए वे सुबह-शाम खेतों का बना चारा खिलाते हैं, जिससे दूध की मात्रा भी अधिक होती है. इसके साथ ही भैंस पालन में उन्हें कोई खास अतिरिक्त देखभाल भी नहीं करनी पड़ती है, जिससे उन्हें समय और श्रम की बचत होती है.
जाफराबादी नस्ल की भैंस है कमाल
कमलेश के अनुसार, जाफराबादी नस्ल की भैंस पालकों के लिए सबसे अच्छी साबित होती है. यह नस्ल कम बीमार पड़ती है और अन्य नस्लों की तुलना में अधिक दूध देती है. इसे हर मौसम में बिना किसी विशेष देखभाल के पाला जा सकता है. बस समय पर भोजन, पानी और आहार दिया जाता है. यह भैंस आसानी से 80,000 से लेकर एक लाख रुपये तक बिकती है, जिससे किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं.
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दोगुनी कमाई का सीक्रेट
कमलेश बताते हैं कि जाफराबादी नस्ल का एक बच्चा 15,000 से 20,000 रुपये में मिल जाता है. ग्रामीण इलाकों में उगने वाली घास और फसलों के अवशेषों से चारा बनाकर इन्हें खिलाया जाता है, जिससे कोई अतिरिक्त खर्च नहीं आता. भैंसों से मिलने वाला दूध और उनके गोबर से बनाई जाने वाली जैविक खाद की बाजार में अच्छी मांग होती है. किसान दूध और खाद बेचकर अच्छा मुनाफा कमाते हैं. जब भैंसों की संख्या बढ़ जाती है, तो उन्हें लाखों रुपये में बेचकर तगड़ी कमाई की जा सकती है.
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FIRST PUBLISHED :
October 10, 2024, 09:52 IST