1 हाथ नहीं, दोनों पैर नहीं... जब प्रेमानंद से मिलने पहुंचा कारगिल का हीरो...

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वृंदावन वाले प्रेमानंद जी महाराज को सुनने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. हाल ही में करगिल युद्ध के योद्धा दीपचंद भी उनसे मिलने पहुंचें. भारतीय सेना में शामिल होने के बाद दीपचंद ने 3 ऑपरेशन की कमान संभाली थी, जिसमें ऑपरेशन विजय कारगिल भी रहा. इसके बाद ऑपरेशन पराक्रम में उन्हें अपना एक हाथ और दोनों पैरों को गवाना पड़ गया. आइए जानते हैं प्रेमानंद जी महाराज नें दीपचंद से मुलाकात के दौरान क्या कहा…

दीपचंद को देखते ही प्रेमानंद जी महाराज का चेहरा खिल उठा. वह उन्हें देखते ही सैल्यूट किएं और कहां कि मैं आपको बार-बार नमस्कार करता हूं. सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में दीपचंद को प्रेमानंद जी कहते हैं कि मुझे बहुत ही सुख मिल रहा है. हमारे अंदर आनंद की एक प्रगति उठ रही है. आप एक संत ही हैं. भेंट के दौरान  दीपचंद प्रेमानंद जी को उस जंग के दौरान की कहानी बताते हैं, जिसमें वह दुश्मनों के निशाने पर आ गए थे.

हम रजाई ओढ़कर सो रहे हैं, और आप लोग हिम जहां बर्फ है वहां अपनी जान पर खेलकर तैनात हैं. कई-कई महीनों तक आपलोग तैनात रहते हैं. इसके बाद दीपचंद ने कहा कि जब हमने करगिल युद्ध लड़ा था तो 2 महीने तक हमारी एक ही ड्रेस थी. जवानों के जूते फट गए थे और माइनस टेम्परेचर था. राशन मिले या ना मिले लेकिन एंबीशन अधिक मिलना चाहिए.

12 गैलंट्री अवार्ड से सम्मानित हो चुके हैं दीपचंद
कारगिल युद्ध में दीपचंद की यूनिट ने दुश्मन सेना पर 10,000 गोले दागे थे, जो अपने आप में एक बड़ा रिकॉर्ड है. आपरेशन पराक्रम के दौरान में हुए बम धमाके से उनका हाथ और पैर बुरी तरह से घायल हो गया था. उन्हें बचाने के लिए रातभर ऑपरेशन करना पड़ा, जिसमें डाक्टरों को उनके हाथ और पैर दोनों काटने पड़ गए थे.

Tags: Premanand Maharaj, Vrindavan

FIRST PUBLISHED :

November 21, 2024, 13:52 IST

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