Agency:Local18
Last Updated:January 23, 2025, 14:57 IST
Avocado farming Tips: बोटाद के किसान एवोकाडो की खेती में क्रांति ला रहे हैं. यह फल विटामिन, खनिज, फाइबर और प्रोटीन से भरपूर होता है, तो चलिए जानते हैं इसकी खेती कैसे करें...
बोटाद: आज के समय में किसान प्राकृतिक खेती के साथ-साथ नए-नए प्रयोग करते रहते हैं. गुजराती किसान विदेशी फलों की भी खेती कर रहे हैं. राज्य में कई किसान ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं. अब एक और फल है जिसकी खेती भी किसानों ने शुरू कर दी है. इस फल का नाम एवोकाडो है. इस फल की खेती कैसे होती है, इस बारे में बोटाद के कृषि विशेषज्ञ हीरजीभाई भिंगराडिया ने जानकारी दी है.
एवोकाडो के होते हैं तीन प्रकार
लोकल 18 से बात करते हुए हीरजीभाई भिंगराडिया ने बताया कि, “बोटाद जिले में एवोकाडो की खेती नई क्रांति लाएगी. एवोकाडो जिसे बटरफ्रूट भी कहा जाता है, एवोकाडो का फल विटामिन्स, खनिज, फाइबर और प्रोटीन से भरपूर होता है. यह वजन नियंत्रण (curb weight) और पेट संबंधी समस्याओं (Stomach problems) से राहत पाने में मदद करता है. यह मुख्य रूप से कई क्षेत्रों में भी देखा जाता है. भारत में एवोकाडो की खेती की व्यापक संभावनाएं हैं. एवोकाडो के मुख्य तीन प्रकार हैं:
(1) मैक्सिकन एवोकाडो: छोटा फल लगभग 250 ग्राम वजन का होता है. फूल आने के बाद इसे पकने में 6 से 8 महीने का समय लगता है. इसकी छाल पतली होती है और इसमें बड़े बीज होते हैं जो आसानी से अलग हो सकते हैं. इसमें लगभग 30 प्रतिशत तेल होता है.
(2) ग्वाटेमालन एवोकाडो: बड़ा फल लगभग 600 ग्राम वजन का होता है. फूल आने के बाद इसे पकने में 9 से 12 महीने का समय लगता है. इसकी छाल मोटी होती है और बीज छोटे होते हैं जो फल के साथ मजबूती से जुड़े होते हैं.
(3) वेस्ट इंडियन एवोकाडो: मध्यम आकार का फल लगभग 350 ग्राम वजन का होता है. फूल आने के बाद इसे परिपक्व होने में लगभग 9 महीने लगते हैं. फल सुंदर और चमकदार होते हैं. बीज बड़े होते हैं जो आसानी से अलग हो जाते हैं. फल में चार से आठ प्रतिशत तेल होता है.
एवोकाडो को कैसी मिट्टी और जलवायु पसंद है?
पांच से सात सिंचाई के साथ कार्बनिक पदार्थों से समृद्ध अच्छी तरह से निकासी वाली मिट्टी एवोकाडो के लिए उपयुक्त है. एवोकाडो के लिए उच्च नमी के साथ मध्यम जलवायु, तापमान 20 से 30 डिग्री सेल्सियस अच्छा रहता है. विविधता के आधार पर एवोकाडो उष्णकटिबंधीय से गर्म जलवायु में उग सकता है.
भारत में एवोकाडो का पौधा ज्यादातर बीज से उगाया जाता है. बीज से पौधे तैयार होने में 8 से 12 महीने का समय लगता है. हालांकि इस तरह से तैयार किए गए पौधे फल देने में अधिक समय लेते हैं और उनकी उपज बदलती रहती है. आजकल पसंदीदा किस्मों के विकास के लिए बीज से उगाए गए कलम का उपयोग करके या लेयरिंग द्वारा तैयार किए गए पौधे किसानों को पसंद आते हैं.
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बुवाई और सिंचाई
दक्षिण भारत में एवोकाडो छह से सात मीटर की दूरी पर पंक्तियों में बोया जाता है. एक पंक्ति में पौधे से पौधे की दूरी 3 से 3.5 मीटर होती है. जिसमें प्रति एकड़ 160 से 220 पौधे लगाए जा सकते हैं. उत्तर भारतीय राज्यों के पहाड़ी क्षेत्रों में 10 बाय 10 मीटर की दूरी पर बुवाई की सिफारिश की गई है.
एवोकाडो उन क्षेत्रों में उगाया जाता है, जहां अधिक बारिश होती है और पूरे वर्ष अच्छी नमी रहती है. इसलिए इसे बारिश आधारित परिस्थितियों में उगाया जाता है, जिससे आमतौर पर सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती. सूखे गर्मियों के महीनों में दो से तीन सप्ताह के अंतराल पर एवोकाडो के खेत में सिंचाई करना फायदेमंद होता है.
First Published :
January 23, 2025, 14:57 IST
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