Last Updated:January 23, 2025, 19:58 IST
अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय ने तालिबान नेताओं हिबतुल्लाह अखुंदजादा और अब्दुल हकीम हक्कानी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने की प्रक्रिया शुरू की है।
हाइलाइट्स
- महिलाओं पर पाबंदियों के कारण तालिबान को कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है.
- ICC ने तालिबान नेताओं के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट की प्रक्रिया शुरू की.
- तालिबान चीफ हिबतुल्लाह अखुंदजादा और अब्दुल हक्कानी पर वारंट की मांग.
काबुल. अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को महिलाओं पर पाबंदियां लगाने के लिए दुनिया भर में बदनाम हैं. वहां जब से तालिबान की सरकार बनी, महिलाओं के पैरों में मानो बेड़ियां बांध दी गईं. उन्हें एक तरह से घरों में कैद कर दिया गया. अकेले बाजार जाना तो दूर एक उम्र के बाद उनके स्कूल-कॉलेज जाने पर भी रोक लगा दी गई. हालांकि औरतों पर लगाई गईं ये पाबंदियां अब तालिबान सरकार को भारी पड़ने वाली है.
दरअसल अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (ICC) ने इसे लेकर तालिबान नेताओं के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. आईसीसी के मुख्य अभियोजक ने गुरुवार को कहा कि तालिबान के सुप्रीम लीडर हिबतुल्लाह अखुंदजादा और ‘इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान’ के मुख्य न्यायाधीश अब्दुल हकीम हक्कानी पर लैंगिक आधार पर मानवता के खिलाफ अपराध के लिए आपराधिक जिम्मेदारी बनती है.
जज की इजाजत के बाद जारी होंगे वारंट
तालिबान अधिकारियों के लिए मांगे गए गिरफ्तारी वारंट को जज की मंजूरी की जरूरत होगी. अगर वारंट को मंजूरी मिल जाती है, तो तालिबान चीफ खुद अपने देश में ही कैद होकर रह जाएंगे. दरअसल नीदरलैंड स्थित इस अदालत के पास अपने दम पर गिरफ्तारी करने की ताकत तो नहीं है, लेकिन ये अधिकारी ICC के किसी सदस्य देश की यात्रा पर जाते हैं, वहां उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा.
ICC के सदस्य देशों के लिए ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तारी की बाध्यता होती है, जिसके खिलाफ वारंट जारी किया गया है. वैसे तो कोई भी देश औपचारिक रूप से तालिबान को अफ़गानिस्तान के वैध शासक के रूप में मान्यता नहीं देता है, लेकिन रूस, चीन और पाकिस्तान जैसे कुछ देशों ने इसके साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए हैं.
CNN की रिपोर्ट के मुताबिक, एक अफगान महिला कार्यकर्ता ने कहा, ‘तालिबान के खिलाफ आईसीसी के एक्शन की खबर हमें उम्मीद देती है कि हमारी आवाजें भुलाई नहीं गई हैं. दुनिया अब भी हमारे न्याय और समानता के आह्वान को सुनती है.’ यह महिला अफगानिस्तान के ग्रामीण इलाकों में सख्त प्रतिबंधों के बीच लड़कियों को घर-घर जाकर बुनियादी शिक्षा देती हैं.
महिलाओं और लड़कियों पर तालिबान की पाबंदियां
अगस्त 2021 में अफगानिस्तान पर दोबारा नियंत्रण करने के बाद, तालिबान ने महिलाओं और लड़कियों को सार्वजनिक जीवन से लगभग हटा दिया है. शुरुआत में, तालिबान सरकार ने खुद को 90 के दशक के कट्टरपंथी शासन से ज्यादा उदार बताया था और कहा थआ कि महिलाओं को शिक्षा जारी रखने की इजाजत दी जाएगी. हालांकि इसके उलट तालिबान ने विश्वविद्यालयों में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया, माध्यमिक विद्यालय और ब्यूटी सैलून बंद कर दिए और महिलाओं के एनजीओ, यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र में भी काम करने पर रोक लगा दी.
खिड़कियों पर भी पाबंदी
तालिबान सरकार ने अब एक और नया फरमान जारी किया है, जिसमें नई बनाई जा रही इमारतों में खिड़कियां न रखी जाएं, ताकि महिलाएं दिख न सकें. पुरानी इमारतों की खिड़कियों को दीवार या पर्दे से ढकने का आदेश दिया गया है. तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा, ‘महिलाओं को रसोई में काम करते, आंगन में या कुओं से पानी भरते देखना अश्लील हरकतों को जन्म दे सकता है.’
First Published :
January 23, 2025, 19:58 IST