रामपुर का मुस्लिम परिवार: रावण के पुतले बनाने की परंपरा, दशहरे पर रहती है खास डि
रामपुर से आई एक तस्वीर गंगा-जमुनी तहज़ीब का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करती है. दशहरा पर्व के मौके पर, एक मुस्लिम परिवार पिछले तीन पीढ़ियों से रावण के पुतले बनाने का कार्य कर रहा है. जाहिद और उनका परिवार दशकों से इस कला को संजोए हुए हैं. उनके द्वारा बनाए गए पुतले इतने आकर्षक होते हैं कि देश के विभिन्न हिस्सों से उनकी मांग आती है.
खानदानी परंपरा
जाहिद, जो 40 वर्षों से पुतला बनाने का काम कर रहे हैं, बताते हैं कि यह उनके खानदानी काम का हिस्सा है. उन्हें हर साल दशहरा मनाने में अपार खुशी मिलती है. उनके अनुसार, “यहां हिंदू-मुस्लिम कोई मसला नहीं है; हम सालों से इस परंपरा को निभाते आ रहे हैं.” रावण का एक पुतला तैयार करने में लगभग आठ से दस दिन लगते हैं, और इसके लिए करीब 8 से 9 हजार रुपये की लागत आती है.
कैसे बनाते हैं रावण
रावण के पुतले बनाने के लिए बांस, रंग-बिरंगे कागज, पटाखे, रस्सी, और लकड़ी की स्केल का उपयोग किया जाता है. परिवार की तीन महीने की मेहनत से लगभग 25 से 30 पुतले तैयार होते हैं, जो रामपुर से मुरादाबाद, काशीपुर, और उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में भेजे जाते हैं. दशहरे के इस आयोजन में उनके पुतलों का विशेष महत्व होता है, जो रावण दहन के कार्यक्रम में हजारों लोगों को आकर्षित करते हैं. इस प्रकार, रामपुर का यह मुस्लिम परिवार न केवल अपनी कला को संजोए हुए है, बल्कि भारतीय संस्कृति की विविधता और एकता का भी प्रतीक बना हुआ है.
परंपरा का इतिहास
जाहिद के परिवार की परंपरा का इतिहास चार पीढ़ियों से जुड़ा हुआ है. यह परिवार रामपुर में दशहरे के अवसर पर रावण के पुतले बनाने का कार्य करता आ रहा है. उनके द्वारा बनाए गए पुतले न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि देश के विभिन्न हिस्सों में भी बहुत मांग में हैं. जाहिद का परिवार इस कला को पिछले 40 वर्षों से संजोए हुए है, और यह उनका पारिवारिक व्यवसाय है. अब्दुल रहमान, जो इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं, ने बताया कि उन्हें हर साल दशहरा मनाने में अपार खुशी मिलती है.
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FIRST PUBLISHED :
October 7, 2024, 13:51 IST