Last Updated:January 23, 2025, 11:03 IST
सर्दियों में हीटर और ब्लोअर तो गर्मियां आते ही हम कूलर और एसी का इस्तेमाल करने लगते हैं. एक बार सोचकर देखिए कि जब ये सुविधाएं नहीं थीं, तो लोग कैसे सुकून की नींद सोते थे? चलिए जानते हैं कि तब क्या जुगाड़ काम कर...और पढ़ें
आज हम जितनी चीज़ें अपने आसपास देख रहे हैं, आज से 400-500 सालों पहले वो मौजूद नहीं थीं. ऐसे में हमारे पूर्वज कैसे मैनेज करते रहे होंगे. उन्हें उनके लिए भी संघर्ष करना पड़ता रहा होगा, जो हमारे लिए सामान्य चीज़ है. विज्ञान तब इतना ज्यादा उन्नत नहीं था कि हमें इतनी सुविधाएं मिल सकें. जब समय के साथ चीज़ें बदल चुकी हैं, तो हमारे लिए उस समय की कल्पना करना भी मुश्किल है.
सर्दियों में हीटर और ब्लोअर तो गर्मियां आते ही हम कूलर और एसी का इस्तेमाल करने लगते हैं. एक बार सोचकर देखिए कि जब ये सुविधाएं नहीं थीं, तो लोग कैसे सुकून की नींद सोते थे? ऐसा नहीं है कि वो अपनी सुविधा के लिए कुछ करते नहीं थे, कुछ न कुछ व्यवस्थाएं तो उन्होंने भी कर रखी थीं. चलिए जानते हैं कि तब क्या जुगाड़ काम करता था.
राजा-महाराजाओं का कूलर
वायरल हो रहे वीडियो में देखा जा सकता है कि एक शख्स एक पुराने महल में मौजूद है. वो इसके ऊपरी हिस्से के एक कमरे में है और दिखा रहा है कि एक छोटी की अलमारीनुमा जगह बनी हुई है. इस जगह पर एक छेद दिखाई दे रहा है. शख्स बताता है कि ये दरअसल 500 साल पहले का कूलिंग सिस्टम है, जिसमें छेद के ज़रिये एक रॉड डाली जाती थी. रॉड के बाहर की तरह एक बड़ा लकड़ी का पंखा होता था और अंदर की तरफ एक छोटा पंखा. वहीं अलमारी जैसी जो जगह है, उसमें केसर वाला पानी भरा जाता था और आगे के हिस्से को खस की पर्दे से कवर किया जाता था. ऐसे में पीछे का पंखा एक्जॉस्ट का काम करता था और आगे वाला पंखा पानी और खस के ज़रिये ठंडी हवा देता था.
लोगों ने कहा – ‘वाह भई वाह’
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर theamazingbharatofficial नाम के अकाउंट से ये वीडियो शेयर किया गया है. इसे बहुत से लोगों ने देखा और पसंद किया है. वीडियो पर कमेंट करते हुए यूज़र्स ने इस बेहतरीन जानकारी की तारीफ की है. कुछ यूज़र्स ने तो इस महल का पता तक मांग लिया जबकि कुछ का कहना था कि तब तो इतना तापमान भी नहीं रहता होगा. यही वजह है कि लोगों का काम इससे चल जाता था.
First Published :
January 23, 2025, 11:03 IST
500 साल पहले नहीं थे कूलर-पंखे, तो गर्मियां कैसे काटते थे राजा-महाराजा?