अपने समूह की महिलाओं के साथ काम करती ललिता देवी
अमेठी: ख्वाहिशों से नहीं गिरते फूल झोली में, अपनी कर्म की साख को हिलाना पड़ता है, अंधेरों को कोसने से कुछ नहीं होता, अपने हिस्से का दिया खुद जलाना पड़ता है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया अमेठी की ललिता ने. समस्याओं का रोना रोने के बजाय उन्होंने कर्म को प्रधानता दी. आज अपनी मेहनत से न वो खुद बढ़िया कमाई कर रही हैं बल्कि दूसरी महिलाओं को भी रोजगार दे रही हैं.
ग्रामीण क्षेत्र में वैसे ही महिलाओं के पास अवसर कम होते हैं इसके बावजूद ललिता ने अपने और दूसरी महिलाओं के जीवन में उजियारा बिखेरने का काम किया है. वे महिला समूह में जुड़कर अन्य महिलाओं को उत्साहित कर रही हैं और समूह के अधिकारी भी महिलाओं का साथ दे रहे हैं.
केवल 5वीं तक पढ़ी हैं ललिता
ललिता जय मां दुर्गे स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हैं. पांचवीं तक पढ़ी ललिता के पति मजदूरी का काम करते हैं. उनके परिवार में एक बेटा और दो बेटियां हैं. 2020 में समूह से जुड़ी ललिता दीये और अन्य सामान बनाने का काम करती हैं. खास बात ये है कि उनके दीये पूरी तरीके से ऑर्गेनिक होते हैं. क्योंकि वे निर्मित होते हैं गाय के गोबर से. वे एक दिन में बड़ी संख्या में दीये बनाकर उन्हें बाजारों तक पहुंचाती हैं और लोग उनके घरों से भी दीये की खरीदारी करते हैं.
ललिता देवी के पास आज अपना खुद का रोजगार है, उन्हें किसी के सामने हाथ फैलाने की जरूरत नहीं है. इतना ही नहीं उन्होंने अपने गांव की अन्य बेरोजगार महिलाओं को रोजगार से जोड़ा है और दूसरी महिलाओं को भी फायदा हो रहा है. ये सब मिलकर काम करती हैं और इस काम से उन्हें बढ़िया कमाई भी होती है.
पहले थी आर्थिक समस्या, समूह ने बदली किस्मत
लोकल 18 से बातचीत में ललिता ने बताया कि पहले जब उनके पास रोजगार नहीं था तो उन्हें पैसों की दिक्कत थी. आर्थिक समस्याओं के कारण अपनी जरूरत पूरी करने के लिए दूसरों से पैसे उधार लेने पड़ते थे. फिर उन्हें ब्याज देने में परेशानी होती थी. सरकार के समूह अभियान से जुड़कर फायदा हो रहा है.
वे कहती हैं हमारे बनाए दीये प्रदर्शनी में बिक जाते हैं. इसके साथ ही लोग हमारे घरों से भी इन्हें खरीदकर ले जाते हैं. 5 रूपए का एक दीया बिकता है और इस व्यापार से उन्हें अच्छी आमदनी होती है. वे बताती हैं कि समूह की महिलाओं को सशक्त बनाने में सरकार का अहम योगदान है और हम इसके लिए सरकार का धन्यवाद देते हैं.
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FIRST PUBLISHED :
November 19, 2024, 09:52 IST