नई दिल्ली: झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे आ गए. फिर एक बार हेमंत सरकार पर जनता ने अपनी मुहर लगाई दी है. झारखंड में जेएमएम की अगुवाई में इंडिया अलायंस ने 56 सीटों पर जीत हासिल की. इस शानदार जीत के साथ ही जेएमएम के मुखिया हेमंत सोरेन ने सत्ता अपने पास बरकरार रखी. हेमंत सरकार की यह लगातार दूसरी पारी होगी. झारखंड में दूसरी बार भी सत्ता में आने का भाजपा सपना, सपना ही रह गया. झारखंड की 81 सीटों में से इंडिया अलायंस को 56 सीट मिले तो भाजपा की अगुवाई में एनडीए को महज 24 सीटों पर संतोष करना पड़ा. अब सवाल है कि आखिर भाजपा का झारखंड में गेम कैसे खराब हुआ, भाजपा और जीत के बीच में कौन दीवार बनकर खड़ा रहा?
दरअसल, भाजपा की झारखंड में अच्छी तैयारी थी. भाजपा ने चुनाव जीतने के लिए पूरी ताकत झोंकी थी. सबकुछ सही था. मगर एक शख्स ऐसा था, जो उसकी जीत की राह में दीवार बनकर खड़ा हो गया. नाम है- जयराम महतो. जी हां, जयराम महतो की पार्टी जेएलकेएम ने झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा की लुटिया डुबो दी है. जयराम महतो ने सबसे अधिक किसी को नुकसान पहुंचाया है तो वह है एनडीए को. झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजों ने झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेएलकेएम) के मुखिया जयराम महतो उर्फ ‘टाइगर’ को राज्य में ओबीसी कुड़मी समुदाय के नए चेहरे के रूप में मुहर लगा दी है.
कितनी सीट पर नतीजे हुए प्रभावित
भले ही जयराम महतो की पार्टी जेएलकेएम ने महज एक सीट जीती है, मगर उसने कम से कम 14-15 सीटों पर चुनावी नतीजों को प्रभावित किया है. इसका नुकसान एनडीए को हुआ और फायदा इंडिया गठबंधन को. जयराम महतो की जेएलकेएम ने राज्य में 71 सीटों पर चुनाव लड़ा था. केवल डुमरी सीट पर ही जयराम महतो की पार्टी जीत पाई है. जयराम महतो कुर्मी समुदाय से आते हैं. झारखंड में आजसू पार्टी के मुखिया भी इसी समुदाय से हैं. उनकी पार्टी ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन यानी आजसू ने भाजपा के साथ गठबंधन में 10 सीटों पर चुनाव लड़ा. इनमें से महज एक सीट पर जीत मिली. वह भी महज 231 वोटों से.
कितनी सीटों पर चुनाव लड़ी थी जयराम की पार्टी
अब सवाल है कि जयराम महतो ने भाजपा को कैसे नुकसान पहुंचाया. दरअसल, झारखंड विधानसभा चुनाव में जेएलकेएम ने 71 उम्मीदवार उतारे थे. इनमें से 14 सीटों पर जयराम महतो की पार्टी को जो वोट मिले हैं, उसकी वजह से ही भाजपा गठबंधन की हार हुई है. उदाहरण के लिए बेरमो सीट को लेते हैं. यहां जयराम महतो की जेएलकेएम को 60,871 वोट मिले. जयराम बेरमो सीट पर कांग्रेस से महज 29,375 वोट से हार गए. यहां भाजपा तीसरे नंबर की पार्टी रही. यहां उसे 58,352 वोट मिले. अगर जयराम महतो यहां मैदान में नहीं होते तो शायद यह सीट भाजपा के खाते में जाती.
किन सीटों पर जयराम ने एनडीए को दिया झटका
बेरमो की तरह ही झारखंड में ऐसी कम से कम 14 सीटें हैं, जहां जयराम महतो की जेएलकेएम को मिले वोट जीत के अंतर से भी अधिक थे. इन सीटों पर जयराम महतो की पार्टी ने खूब वोट काटे. इसका फायदा इंडिाया गठबंधन को हुआ और नुकसान भाजपा गठबंधन को. सिल्ली, बोकारो, गोमिया, गिरिडीह, टुंडी, इचागढ़, तमार, चक्रधरपुर, चंदनकियारी, कांके, चतरा, सिंदरी और खरसावां वो सीटे हैं, जहां जयराम महतो की जेएलकेएम को मिले वोट जीत के अंतर से भी अधिक थे. इसी वजह से इन सीटों पर भाजपा और उसके सहयोगी दलों के कैंडिडेट को हार का सामना करना पड़ा. वरना इन 14 सीटों के नतीजे भाजपा के पक्ष में होते तो आज झारखंड की सियासी तस्वीर कुछ और ही होती.
झारखंड (81) में किसे कितनी सीटें मिलीं?
- जेएमएम- 34
- भाजपा-21
- कांग्रेस-16
- राजद-4
- भाकपा माले-2
- आजसू-1
- LJPRV-1
- जदयू-1
- JKLKM -1
- अन्य-1
जयराम भाजपा की जीत के आगे कैसे बन गए दीवार
झारखंड की इन सीटों पर पहले भाजपा गठबंधन और कांग्रेस गठबंधन में ही मुकाबला होता था. मगर जयराम महतो ने इन सीटों पर मुकाबला त्रिकोणिय बना दिया. झारखंड में जेएमएम को 34 सीटों पर जीत मिली है. उन 34 में से 15 सीटों पर जयराम महतो की जेएलकेएम तीसरे नंबर की पार्टी रही. इससे भाजपा गठबंधन को नुकसान हुआ. अगर इंडिया गठबंधन की 56 सीटों को देखें तो इनमें से कम से कम 24 सीटों पर एनडीए उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे. इन सीटों पर तीसरे नंबर पर जयराम महतो की ही पार्टी थी. इसका मतलब है कि एनडीए को सबसे अधिक नुकसान जयराम महतो की वजह से ही हुआ है. जयराम महतो ने आजसू चीफ सुदेश महतो की कुर्मी समाज के वोटरों पर दावेदारी को भी चोट पहुंचाई है. झारखंड में कुर्मी समुदाय के वोट 15 फीसदी हैं.
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FIRST PUBLISHED :
November 24, 2024, 12:02 IST