800 साल पुरानी टिकुली कला का बढ़ा चलन, जानें इसकी अनोखी कहानी

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Agency:News18 Madhya Pradesh

Last Updated:February 04, 2025, 15:18 IST

Tikuli Art History: मधुबनी के बाद अब टिकुली कला बिहार की पहचान बनती जा रही है. इसका अनोखा डिज़ाइन और ऐतिहासिक महत्व इसे और खास बनाता है.

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टिकुली

टिकुली कल 800 साल पुरानी मौर्य काल की बताई जाती है. 

हाइलाइट्स

  • टिकुली कला बिहार की 800 साल पुरानी परंपरा है.
  • टिकुली कला अब लकड़ी, कपड़े, शॉल पर भी बनाई जाती है.
  • टिकुली कला का इतिहास मौर्य काल से जुड़ा है.

Patna Tikuli Art: बिहार की मधुबनी कला के बाद अब 800 साल पुरानी टिकुली कला भी लोगों के बीच लोकप्रिय हो रही है. राजधानी भोपाल हाट बाजार में इन दिनों बिहार क्राफ्ट मेला आयोजित किया गया है, जहां सिल्क, खादी और लकड़ी से बने हस्तशिल्पों के साथ टिकुली कला की झलक भी देखने को मिल रही है.

क्या है टिकुली कला का इतिहास?
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले से आए कलाकार राहुल कुमार कौटिल्य ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि टिकुली कला की जड़ें पाटलिपुत्र (पटना) से जुड़ी हुई हैं और इसका इतिहास मौर्य काल तक जाता है. इस कला की शुरुआत शीशे पर टिके (बिंदी) के रूप में की गई थी, जिसे महिलाएं सजावट के लिए उपयोग करती थीं.

टिकुली कला का बदलता रूप
पहले टिकुली कला सिर्फ शीशे पर बनाई जाती थी, लेकिन अब इसे लकड़ी, कपड़े, टी-कोस्टर, फ्रिज मैग्नेट और शॉल पर भी उकेरा जाने लगा है. पिछले कुछ वर्षों में बिहार को इस कला के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है. अब देशभर में लोग टिकुली कला को पहचानने लगे हैं.

कैसे बनाई जाती है टिकुली कला?
बोर्ड को सही आकार में काटा जाता है, बारीकी से घिसाई की जाती है,रंगों और डिजाइनों से टिकुली कला उकेरी जाती है,बिंदी-दर-बिंदी डिटेलिंग की जाती है. इस पूरी प्रक्रिया में 1 से 1.5 सप्ताह तक का समय लगता है.

टिकुली कला से बने सामान और उनकी कीमत
टी कोस्टर सेट – ₹750
फ्रिज मैग्नेट
फोटो फ्रेम
शॉल और दुपट्टे पर टिकुली कला का काम
क्या होती है टिकुली कला?
टिकुली कला बिहार का एक पारंपरिक शिल्प है, जिसे दो तरह से बनाया जाता है –
कच्ची टिकुली – जिसे रोजाना इस्तेमाल कर धोया जाता है.
पक्की टिकुली – जिसे सोने, चांदी, प्लास्टिक और शीशे पर उकेरा जाता है.

Location :

Bhopal,Madhya Pradesh

First Published :

February 04, 2025, 15:17 IST

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800 साल पुरानी टिकुली कला का बढ़ा चलन, जानें इसकी अनोखी कहानी

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