टू-व्हीलर बाइक मौजूदा भारतीय दौर में एक जरूरत है, न कि विलासिता की वस्तु। इसलिए दोपहिया वाहनों पर बजट में जीएसटी घटाने का फैसला होना चाहिए। होंडा मोटरसाइकिल एंड स्कूटर इंडिया (एचएमएसआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह बात कही। एचएमएसआई के निदेशक (बिक्री और विपणन) योगेश माथुर ने बताया कि उद्योग अगले वित्त वर्ष में सिंगल डिजिट की वृद्धि दर्ज कर सकता है। उन्होंने कहा कि मध्यम आय वाले लोगों को फिर से खर्च करना शुरू करने में सक्षम बनाने के लिए आयकर को युक्तिसंगत बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में मोटरसाइकिल की बिक्री ने स्कूटर खंड के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। इसकी वजह मानसून में देरी सहित कई कारकों के चलते ग्रामीण बाजार से मांग में नरमी है।
31 प्रतिशत तक लगता है अभी टैक्स
माथुर ने दोपहिया वाहनों पर करों में कटौती के लिए उद्योग की मांगों के बारे में पूछने पर कहा, ''जीएसटी के युक्तिकरण के तहत हम सरकार से इसका ध्यान रखने का अनुरोध कर रहे हैं, क्योंकि दोपहिया वाहन वास्तव में एक विलासिता नहीं हैं। यह हमारे लोगों के आवागमन के लिए एक आवश्यकता है।'' उन्होंने बताया कि अभी भी भारत में अंतिम छोर तक संपर्क नहीं है और ऐसे में दोपहिया वाहन अभी भी विलासिता के बजाय जरूरत अधिक हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे में दोपहिया वाहनों पर 28 प्रतिशत कर नहीं लगाया जाना चाहिए, और उद्योग ने इस बारे में सरकार से अनुरोध किया है। मौजूदा नियमों के तहत 350 सीसी इंजन तक के दोपहिया वाहनों पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगता है, जबकि 350 सीसी से अधिक इंजन क्षमता वाले वाहनों पर तीन प्रतिशत उपकर लगता है, जिससे कुल देय कर 31 प्रतिशत हो जाता है।
इंश्योरेंस सेक्टर को रियायतों की उम्मीद
इंश्योरेंस कंपनियों को उम्मीद है कि आगामी आम बजट से उन्हें बीमा और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्रों के लिए रियायतों सहित कई कर लाभ मिलेंगे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को वित्त वर्ष 2025-26 के लिए आम बजट पेश करेंगी। एसबीआई जनरल इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक (एमडी) और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) नवीन चंद्र झा ने कहा कि 2047 तक ‘सभी के लिए बीमा’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ‘बीमा सुगम’ जैसी पहलों को विनियामक और आर्थिक समर्थन मिलने की उम्मीद है। बीमा मंच पॉलिसी बाजार और वित्तीय सेवा मंच पैसा बाजार की मूल कंपनी पीबीफिनटेक के संयुक्त समूह सीईओ सरबवीर सिंह ने बीमा क्षेत्र में धारा 80सी और 80डी के तहत कर नियमों में बदलाव की वकालत की। उन्होंने कहा, “बीमा क्षेत्र में सबसे जरूरी सुधारों में से एक धारा 80सी और 80डी के तहत कर नियमों में बदलाव की जरूरत है। 80सी के तहत फिलहाल भुगतान की सीमा 1,50,000 रुपये है, जो पिछले कुछ सालों से बदली नहीं है।