Last Updated:January 22, 2025, 14:07 IST
Budget 2025- सरकार आयकर छूट का दायरा बढाने और एक नया टैक्स स्लैब बनाने पर विचार कर रही है. अगर ऐसा होता है तो यह मिडिल क्लास के लिए बड़ी राहत होगी.
नई दिल्ली. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा एक फरवरी को पेश किए जाने वाले बजट से मध्यम वर्ग को काफी आस है. पिछले दो-तीन बजट में मिडिल क्लास को कोई बड़ी राहत नहीं मिली है. बजट 2025 में टैक्स स्लैब्स में बदलाव से मिडल क्लास को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है. यह कदम न केवल लोगों की आर्थिक स्थिति को सुधार सकता है, बल्कि धीमी हो रही अर्थव्यवस्था को भी नई ऊर्जा देगा. सरकार इनकम टैक्स स्लैब्स में बदलाव पर विचार कर रही है, जिससे सालाना 20 लाख रुपये तक कमाने वाले सैलरीड टैक्सपेयर्स को फायदा हो सकता है.
बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार फिलहाल दो प्रमुख विकल्पों पर विचार कर रही है. पहला, 10 लाख रुपये तक की सालाना आय को पूरी तरह टैक्स-फ्री करना. दूसरा, 15 से 20 लाख रुपये की आय पर 25% का नया टैक्स स्लैब लाना. वर्तमान में 15 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30% टैक्स लगता है. अगर बजट अनुमति देता है, तो दोनों ही विकल्प लागू किए जा सकते हैं. इसके लिए सरकार 50,000 करोड़ रुपये से 1 लाख करोड़ रुपये तक के रेवेन्यू लॉस को तैयार है.
अधूरी थी पिछले बजट की रियायत
2023 में वित्त मंत्री ने Section 87A के तहत रिबेट बढ़ाकर 7 लाख रुपये तक की आय को टैक्स-फ्री किया था, लेकिन इसके लिए ज्यादातर डिडक्शन्स छोड़ने की शर्त थी. अब नई टैक्स व्यवस्था के तहत टैक्स छूट की सीमा बढ़ाकर 10 लाख रुपये तक की आय को टैक्स-फ्री किया जा सकता है. वर्तमान में, 75,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन के साथ 7.75 लाख रुपये तक की आय वालों को टैक्स नहीं देना पड़ता.
अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढावा
अगर सरकार टैक्स छूट का दायरा बढाती है या नया स्लैब लाती है तो इससे शहरी खपत (urban consumption) को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है, खासकर तब, जब देश की GDP ग्रोथ धीमी हो रही है. वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में GDP ग्रोथ 5.4% रही, जो सात तिमाहियों में सबसे कम है. टैक्स रियायत से लोगों की खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी, जिससे बाजार में मांग बढ़ेगी और इकनॉमी को मजबूती मिलेगी.
PwC के सलाहकार और CBDT के पूर्व सदस्य अखिलेश रंजन का मानना है कि 15 लाख रुपये से 20 लाख रुपये तक की आय वालों के लिए 25% का टैक्स स्लैब लाना चाहिए. इससे मिडल क्लास के पास ज्यादा पैसा बचेगा, जिससे कंज्यूमर ड्यूरेबल्स (जैसे फ्रिज, टीवी) की खरीदारी बढ़ेगी. IASCC के प्रोफेसर अनिल के सूद का कहना है कि 15 लाख रुपये से थोड़ी अधिक आय पर 30% टैक्स अनुचित है. उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को सैलरीड क्लास को राहत देनी चाहिए, लेकिन मौजूदा इंसेंटिव्स में बदलाव किए बिना.
फिस्कल डेफिसिट पर नजर
प्रोफेसर सूद ने कहा कि सरकार फिस्कल डेफिसिट को लेकर ज्यादा फोकस्ड है. उन्होंने यह भी बताया कि कैपिटल एक्सपेंडिचर के लिए बजट तो बनाया जाता है, लेकिन उसे खर्च करने में कमी होती है. उदाहरण के लिए, नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) के पास पर्याप्त फंड्स हैं, लेकिन उनका इस्तेमाल लोन चुकाने में हो रहा है.
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First Published :
January 22, 2025, 14:07 IST