गैर-आदिवासी घरों में घुस सामान फेंकते है, कहते क्या कर लोगे...नशा मुक्ति

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Agency:News18 Madhya Pradesh

Last Updated:January 22, 2025, 16:06 IST

Anti-Drug Campaign Harassment successful Balaghat: शेरपार गांव में नशा मुक्ति अभियान की आड़ में आदिवासी परिवारों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार ने मानवाधिकारों और प्रशासनिक निष्क्रियता पर सवाल खड़े किए हैं. अभियान का उद्देश...और पढ़ें

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शेरपार

शेरपार निवासी 

बालाघाट. जिला मुख्यालय से लगभग 70 किलोमीटर दूर शेरपार गांव में अलग तरह का माहौल है. इस गांव में नशा मुक्ति अभियान शुरू किया है. यहां तक तो ठीक है लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि गैर-आदिवासियों उन्हें प्रताड़ित करते हैं. दरअसल, इस गांव के तीन इलाकों में दो सौ से ज्यादा आदिवासी परिवार रहते हैं. उनका आरोप है कि नशा मुक्ति अभियान के नाम पर गैर-आदिवासी महिलाएं घरों में घुसती है और जबरन जांच करती है. इस मामले में 9 जनवरी को लगभग 32 आदिवासी परिवार बालाघाट आए और कलेक्टर से इसकी शिकायत कि लेकिन इतने दिन बीत जाने के बाद भी उनकी समस्याएं कम नहीं हुई.

लोकल 18 भी उसी गांव में पहुंचा और स्थिति समझने की कोशिश…

नशा मुक्ति अभियान के नाम पर दबंगई
बैहर थाना अंतर्गत आने वाले शेरपार गांव में नशा मुक्ति अभियान चल रहा है. ऐसे में गांव की गैर आदिवासी महिलाएं सक्रिय है. ऐसे में वह गांव में रहने वाले आदिवासी परिवारों को चिन्हित कर उनके घरों में जाती है. साथ ही जबरन घर की तलाशी लेती है. इसके अलावा उनके घरों का सामान भी फेंक देती है. इतना ही नहीं घरों पर पत्थर तक फेंकती है. ऐसे में आदिवासी समाज के लोग परेशान है.

जातिसूचक गालियां देते है नशा मुक्ति अभियान वाले
शेरपार निवासी अग्नि बाई धुर्वे ने बताया कि दूसरी समाज की महिलाएं आधी रात में घरों में घूसती है. घरों के दरवाजे हिलाते हैं. इतना ही नहीं घरों पर पत्थर तक फेंकते हैं. इसका विरोध करते हैं, तो जातिगत गाली देते है. कहते है क्या कर लोगे हमारा…कलुआ . इसके अलावा गंदी-गंदी गालियां देते है. इस तरह के आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करते हैं. इससे हम परेशान है.

उनकी तलाशी में बच्चा जल गया
पार्वती वल्के ने बताया कि नशा मुक्ति अभियान चलाने वाली महिलाएं घरों में घूस गई. अलाव की लकड़ियां बिखेर दी इसके बाद उनकी तलाशी के चक्कर में बच्चा उन गर्म कोयले पर गिर गया है. ऐसे में बच्चा कमर के नीचे से जल गया.

ग्रामीण बोले- शराब हमारी संस्कृति का हिस्सा
कोप सिंह वल्के ने बताया कि महुए की शराब हमारी संस्कृति का हिसा है. ऐसे में हमारे हर त्योहार और कार्यक्रम में बगैर शराब के पूजा नहीं होती है.  ऐसे में थोड़ी-थोड़ी शराब चढ़ानी होती है. ऐसे ही एक कार्यक्रम में महुआ में सिर्फ पानी मिलाया था. इसके बाद नशा मुक्ति वालों ने पुलिस को बुलाया और मुझ पर जबरन केस किया और गिरफ्तार करके चले गए. ऐसे में पुलिस ने पांच हजार रुपए की मांग की. इतने रुपए न होने के कारण मुझसे 22 सौ रुपए लिए गए और पेशी पर आने के लिए कहा गया.

वहीं, आदिवासियों का कहना है कि शासन ने हमें पांच लीटर शराब रखने का अधिकार दिया है. इस पर थाना प्रभारी बैहर का कहना है कि कभी किसी ने नेता ऐसा कहा होगा लेकिन ऐसा कहीं लिखा नहीं है. ऐसे में जिसके पास से भी शराब मिलेगी उस पर कार्रवाई की जाएगी.

पुलिस हमारी मदद नहीं करती
शेरपार निवासी बुद्धराम उईके ने बताया कि हमने इसकी शिकायत कई बार कि लेकिन पुलिस ने हमारी कोई मदद नहीं की. इसके अलावा पुलिस को दूसरे मामले में बुलाने पर भी वह नहीं आते. और दूसरे बुलाते है, तो तत्काल बुलाते हैं. इस पर पुलिस ने कहा कि हमें इस मामले में कोई शिकायत नहीं मिली है. वहीं, कलेक्टर कार्यालय से भी कोई आदेश नहीं आया.

Location :

Balaghat,Madhya Pradesh

First Published :

January 22, 2025, 16:06 IST

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