आधे एकड़ तालाब से शुरू करें इन 6 मछलियों का पालन, 8 महीने में शुरू हो जाएगी हार्वेस्टिंग 

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Agency:News18 Bihar

Last Updated:January 22, 2025, 18:23 IST

Fishing Tips: पश्चिम चंपारण के माधोपुर स्थित केवीके के पशुपालन वैज्ञानिक डॉ.जगपालके मुताबिक बिहार में मुख्यरूप से मछलियों की कुल 6 से 7 प्रजातियों का पालन किया जा सकता है. इन मछलियों की डिमाड सालोभर रहती है और ...और पढ़ें

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प्रतीकात्मक तस्वीर 

पश्चिम चम्पारण. बिहार में मत्स्य पलकों की भरमार है. लेकिन, इनमें से गिने-चुने ही पालक ऐसे होते हैं, जिन्हें इस कारोबार से बड़ा मुनाफा होता है. जानकारों की माने तो, इसका सबसे बड़ा कारण क्षेत्र के क्लाइमेट के अनुसार मछलियों की प्रजाति का उचित चयन न करना है. ज़िले के माधोपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में कार्यरत, पशुपालन वैज्ञानिक डॉ.जगपाल बताते हैं कि बिहार में मुख्यरूप से मछलियों की कुल 6 से 7 प्रजातियों का पालन किया जा सकता है.

ज़िला चाहे कोई भी हो, राज्य के वातावरण के अनुसार ये मछलियां यहां बड़ी आसानी से पाली जा सकती है. खास बात यह है कि इनके पालन में जितनी लागत आती है, बिक्री के समय उसके 40 प्रतिशत तक लाभ की संभावना होती है. चलिए आपको बताते हैं कि बिहार के मत्स्य पालकों के लिए उचित मछलियों की प्रजातियां कौन-कौन सी है.

ये है मछलियों की उन्नत प्रजाति

डॉ. जगपाल बताते हैं कि पश्चिम चम्पारण सहित बिहार के अन्य सभी ज़िलों में मछलियों की इंडियन मेजर कार्प, कतला, मृगल, कॉमन कार्प, सिल्वर कार्प, ग्रास कार्प तथा पैगंसियस जैसी प्रजातियों को पाला जा सकता है. ये ऐसी मछलियां हैं, जिनकी डिमांड बाज़ार में हर वक्त रहती है. स्वाद से लेकर हाइजीन तक, हर पहलू पर ये प्रजातियां खरा उतरती है. ऐसे में इनके व्यापार के लिए किसी भी पालक को सोचना नहीं पड़ेगा.

आधे एकड़ से शुरू कर सकते हैं मछली पालन

ज़िले के कुछ मत्स्य पालक तथा विशेषज्ञों की माने तो, इन मछलियों का पालन आप महज़ आधे एकड़ तालाब से शुरू कर सकते हैं. फॉर्मिंग के महज़ 8 महीनों में ही इनकी हार्वेस्टिंग भी कर ली जाती है. ऐसे में पालकों को लंबे समय का इंतजार नहीं करना पड़ता है. महज़ 220 दिनों में ये मछलियां एक किलोग्राम यह वजनी हो जाती है.

बिना नुकसान के एक साथ कर सकते हैं फॉर्मिंग

विशेषज्ञों द्वारा बताई गई इन मछलियों के पालन में हानि की ज़रा भी संभावना नहीं होती है. आप सभी प्रजाति की मछलियों का पालन एक ही तालाब में कर सकते हैं. जहां कतला तथा मेजर कार्प तालाब के ऊपरी सतह पर रहने वाली मछलियां है, वहीं रोहू बीच की सतह तथा मृगल निचली सतह पर रहने वाली मछली है. ऐसे में एक साथ रहकर भी ये एक दूसरे को नुकसान नहीं पहुंचाती है.

Location :

Pashchim Champaran,Bihar

First Published :

January 22, 2025, 18:23 IST

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आधे एकड़ तालाब से शुरू करें इन 6 मछलियों का पालन, 8 महीने में शुरू हो जाएगी हार्वेस्टिंग 

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