नई दिल्ली:
साइबर ठगी (Cyber Crime) से आज शायद ही कोई शख्स अंजान हो, लेकिन इसके बावजूद लगातार ऐसी ख़बरें आती ही रहती हैं कि फ़लां जगह पर फ़लां तरीके से बैंक खाता खाली कर दिया गया, या बेवकूफ़ बनाकर हज़ारों-लाखों-करोड़ों रुपये ठग लिए गए. बीते कुछ दशकों में टेक्नोलॉजी ने एक ओर हमारी ज़िन्दगी को आसान बनाया है, लेकिन उसके साथ बहुत-सी दिक्कतें भी सामने आई हैं. टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर पढ़े-लिखों को भी बेवकूफ़ बनाने के किस्सों की भरमार के बीच कम पढ़े-लिखों का ठगा जाना कतई हैरान नहीं करता, लेकिन सोचने पर मजबूर करता है कि इससे बचने की क्या तरकीब हो सकती है.
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तो जान लीजिए, ठगी से बचने का सबसे आसान और कारगर तरीका है, जानकार और सावधान रहना. अगर हर शख्स ठगी के संभावित तरीकों के बारे में जानकारी रखता होगा, और लालच में न फंसकर होशियारी से काम लेगा, तो ठगी के शिकारों की तादाद निश्चित रूप से बेहद कम हो जाएगी. अपने यूज़रों को जानकार बनाने के लिए हम यह ख़बर आप तक लेकर आए हैं, जिसमें हम आपको बताएंगे, कैसे आप उन ठगों से बच सकते हैं, जो आपके मोबाइल फ़ोन का सिम कार्ड (SIM Card) ही हैक कर आपको ठग सकते हैं.
क्या होता है SIM कार्ड को हैक करना...?
ऑनलाइन या मोबाइल फ़ोन के ज़रिये ठगी करने वाले अब शिकार के फ़ोन को भी हैक कर लिया करते हैं, जिसे आमतौर पर सिमजैकिंग (SIM और हाईजैक शब्दों को मिलाकर इसे SimJacking कहा जाता है) कहते हैं. सिम कार्ड हैक हो जाने के बाद आपके फ़ोन नंबर पर ठगों का कब्ज़ा हो जाता है, और फिर वे आपके सोशल मीडिया अकाउंट के साथ-साथ आपके बैंक खातों तक भी पहुंच सकते हैं.
कैसे होती है SimJacking...?
आपके सिम कार्ड को हैकर करने के लिए ठग आमतौर पर सबसे पहले आपको एक SMS भेजते हैं, जिसमें एक लिंक भी होता है. अगर संभावित शिकार ने उस लिंक पर क्लिक कर दिया, तो लिंक पर मौजूद स्पाईवेयर तुरंत फ़ोन में इन्स्टॉल हो जाएगा, और शिकार के मैसेजों, कॉल रिकॉर्ड और लोकेशन तक ठगों की पहुंच बन जाएगी. इसके अलावा, फ़ोन में सेव किए गए सभी कॉन्टैक्ट भी ठगों की पहुंच में होंगे, और सभी तरह के पासवर्ड भी.
बस, फिर क्या है...? कुछ ही मिनटों में आपके सभी खातों से समूची रकम को अपने किसी भी खाते में ट्रांसफर करना ठगों के बाएं हाथ का खेल रह जाता है, और तुर्रा यह है कि यह सारी धोखाधड़ी शिकार द्वारा किया हुआ लेनदेन ही लगेगी.
यही नहीं, ठग कब्ज़े में आए इस फ़ोन के ज़रिये अपनी ठगी को ज़्यादा आसानी से आगे बढ़ा सकते हैं. अब ठग शिकार के फ़ोन से उसके कॉन्टैक्ट में मौजूद लोगों को वही शुरुआती स्पाईवेयर लिंक वाला SMS भेजेंगे, और जानकार के नंबर से आया SMS समझकर नए संभावित शिकारों द्वारा उस पर क्लिक किए जाने की संभावना भी बढ़ जाएगी. ...और क्लिक करते ही, वे भी ठगों की चपेट में आ जाएंगे.
हैकरों से कैसे बचाएं अपने सिम कार्ड को...?
- ऐसी ख़बरों को पढ़ते रहें, जिनमें ठगी के कारनामों का ज़िक्र हो, ताकि आपको उन तरकीबों की जानकारी मिलती रहे, जिनक ज़रिये साइबर ठग आपकी पर्सनल इन्फ़ॉरमेशन हासिल करने या हैकिंग के लिए कर सकते हैं. हैकरों के हमले के प्रति सतर्क और जागरूक रहें, ताकि कम से कम अपने सिम कार्ड को हैक और सिमजैक होने से बचा सकें.
- हमेशा याद रखें, बैंक या किसी भी तरह के संस्थान किसी भी प्रकार का वेरिफ़िकेशन करवाने के लिए किसी भी तरह का कोई लिंक नहीं भेजते हैं, इसलिए आपके पास पहुंचा SMS कितना भी वास्तविक लगे, उसमें भेजे गए किसी भी लिंक पर कभी क्लिक न करें.
- व्यक्तिगत जानकारी या तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर करते वक्त सावधान रहें, या बेहतर होगा, व्यक्तिगत जानकारी कभी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्मों पर शेयर करें ही नहीं. इस तरह के सिमजैकर या सभी तरह के साइबर ठग सोशल मीडिया से भी अपने संभावित शिकारों की तलाश करते हैं, और उनकी व्यक्तिगत जानकारी इकट्ठा करते हैं, ताकि हमला कर सकें.
- अपने हर तरह के हर अकाउंट के लिए मुश्किल पासवर्ड चुनें, और पति या पत्नी या बच्चों या माता-पिता के नाम या जन्मतिथि जैसे पासवर्ड या PIN कभी न चुनें. जहां-जहां विकल्प दिया गया हो, पासवर्ड के अलावा, वेरिफ़िकेशन के लिए सवाल-जवाब भी मुश्किल चुनें. यहां मुश्किल से मुराद ऐसे सवालों से है, जिनके जवाब आपके अलावा कोई न जान सकता हो.