Last Updated:January 20, 2025, 14:18 IST
गाजा सीजफायर ऐसे समय पर हुआ जब जो बाइडन अमेरिका के राष्ट्रपति का पद छोड़ रहे हैं और डोनाल्ड ट्रम्प उसकी शपथ लेने वाले हैं. जहां कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि बाइडन की टीम ने इस डील को तैयार किया था तो वहीं दूसरी...और पढ़ें
गाजा सीजफर पर सहमति के बाद उसके नतीजे भी दिखने लगे हैं. हमास ने 3 बंधकों को छोड़ा तो उसके बाद इजराइल ने 90 फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा कर दिया है. लेकिन ऐसा ठीक उसी दिन हुआ है जब अमेरिका में एक राष्ट्रपति विदा ले रहा है और दूसरा सत्ता संभाल रहा है. अमेरिका में सत्ता परिवर्तन आसान नहीं हैं इसमें बहुत सारी प्रक्रियाएं होती हैं और समय भी लगता है. यही वजह है कि कई मामलों में नया राष्ट्रपति शपथ लेने से पहले ही सक्रिय हो जाता है तो कुछ मामलों में जाता हुआ राष्ट्रपति खुद ही सब कुछ नए राष्ट्रपति के लिए छोड़ देता है. तो फिर गाजा सीजफायर की सफलता का श्रेय आखिर किसे मिलना चाहिए डोनाल्ड ट्रम्प को या फिर जो बाइडन को?
दोनों की थी भूमिका!
यह सवाल जितना सरल लगता है उतना है नहीं. क्योंकि सच यही है कि इस मामले में बाइडन तो बतौर अमरिकी राष्ट्रपति पहले से ही सक्रिय थे ही, ट्रम्प की टीम भी इस पर काम कर रही थी क्योंकि ट्रम्प चुनाव प्रचार के दौरान ही कह चुके थे कि वे सत्ता में आते ही गाजा युद्ध पर विराम लगा देंगे. दिलचस्प बात ये है कि अमेरिकी प्रशासन दोनों की ही टीमों के प्रयासों की अहमियत को स्वीकार रहा है.
ट्रम्प की टीम
ट्रम्प के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद उनके दूत स्टीव विटकॉफ हाल ही में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से मिलने के लिए इजरायल पहुंचे थे. उन्होंने नेतनयाहू से तुरंत मिलने पर जोर दिया. गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक विटकॉफ ने नेतनयाहू साफ कहा कि ट्रम्प इजराइल के मित्र हैं, अब वे अब इजराइल की मदद चाहते हैं.
बताया जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रम्प ने ही डील पक्की करने में तेजी दिखाई है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)
डील का समय अहम
इस मीटिंग के बाद ही नेतनयाहू ने दोहा और कतर में प्रतिनिधिमंडल भेजा जिसमें डील पक्की करने के साफ निर्देश थे. इस बातचीत में कतर, मिस्र और अमेरिका के वार्ताकार थे. आखिर कार डील पक्की हो ही गई. इसमें विटकॉफ ने यह सुनिश्चित किया कि ट्रम्प के व्हाइट हाउस पहुंचने से पहले ही डील पूरी हो जाए.
बाइडन की टीम
वहीं जो बाइडन की टीम की सीजफायर और बंधकों पर डील के मुताबिक लड़ाई रुकने के दौरान पहले बंधकों को और फिर फिलिस्तीनी कैदियों को छोड़ा जाएगा. इसके साथ ही गाजा में मदद को बढ़ाया जाएगा. वहीं गाजा में शासन कैसा हो और वहां इजराइली फौज को कब तक रहना है, ऐसे सवालों को दूसरे चरण की बातचीत में निपटाया जाना था.
जो बाइडन का कहना है कि उन्होंने ही ट्रम्प की टीम को प्रक्रिया में शामिल किया है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)
बाइडन का बयान
अपने विदाई भाषण बाइडन ने कहा कि प्लान उनकी टीम ने बनाया था और उस पर बातचीत भी की थी, लेकिन उस पर अमल आने वाला प्रशासन ही करेगा और इसीलिए उन्होंने टीम से कहा था कि भावी प्रशासन को पूरी तरह से सूचित रखा जाए. बाइडन प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी रिपोर्टर्स को बताया कि डील पक्की करने में विटकॉफ ने भी मदद की जो बाइडन के दूत मैकगुर्क के साथ काम कर रहे थे.
बाइडन ने शामिल किया ट्रम्प की टीम को
वाइटहाउस की प्रेस सचिव कैरीन जीन पियरे ने रिपोर्टर्स को बताया कि बाइडन खुद चाहते थे कि ट्रम्प की टीम इस प्रक्रिया में शामिल हो क्योंकि डील का लागू करने की जिम्मेदारी ट्रम्प के हिस्से आनी वाली थी. लेकिन बाइडन ने डील के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं दी.
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ट्रम्प की अहमियत
अब मुद्दा है कि डील की सफलता का श्रेय का अधिक हकदार कौन हैं, ट्रम्प या फिर बाइडन? कई एक्सपर्ट्स मानते हैं कि डील पूरी करने में विटकॉफ की भूमिका बहुत अहम थी क्योंकि इस डील में केवल नेतनयाहू ही थे जो सीजफायर से सहमत नहीं थे. उनकी प्रयासों का ही नतीजा था कि नेतनयाहू आखिर मान सके. वहीं दूसरी तरफ नेतनयाहू बाइडन के अधिक नजदीक हैं. लेकिन न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार नेतनयाहू ने ट्रम्प को फोन कर उनके सहयोग के लिए धन्यवाद दिया था. आधिकारिक बयान में भी उन्होंने ट्रम्प का नाम शुरू में लिया था, जबकि बाइडन का नाम बाद में आया था.
लेकिन कुछ एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि ट्रम्प की डील पक्की करने की बातचीत में मुख्य भूमिका नहीं थी. उनकी दलील है कि हालिया घटनाओं के आधार पर डील संभव ही नहीं हो सकती थी. हिजबुल्लाह पर लगातार हमले, सीरीयाई राष्ट्रपति बशर अल असद का सत्ता से जाना, इजराइल के ईरान पर हमले, जैसे कई घटनाओं का भी असर काम आया है.
First Published :
January 20, 2025, 14:18 IST