AI से हथियारों का इस्तेमाल करना कितना सही, क्या ये खतरनाक तो नहीं

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Last Updated:January 20, 2025, 17:14 IST

हर बड़ा देश अपने सैन्य उपकरणों और हथियारों में AI का इस्तेमाल कर रहा है. AI युद्ध की रणनीति, अटैक ड्रोन, साइबर सुरक्षा, निगरानी और मिसाइल सिस्टम में क्रांति ला रहा है. लेकिन क्या हम पूरी तरह से AI पर भरोसा कर सकते हैं

AI से हथियारों का इस्तेमाल करना कितना सही, क्या ये खतरनाक तो नहीं

AI को सहायक के रूप में उपयोग किया जा सकता है, जैसे कि डेटा विश्लेषण, रणनीति बनाना, युद्ध की स्थिति की निगरानी आदि.

आजकल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग कई क्षेत्रों में हो रहा है, चाहे वह फोटो या वीडियो बनाना हो, कॉपी लिखनी हो, कार मैन्युफैक्चरिंग हो, गाड़ी चलानी हो, या स्वास्थ्य क्षेत्र में रोगों की पहचान करना हो. इसी तरह, डिफेंस क्षेत्र भी AI का उपयोग कर रहा है. हर बड़ा देश अपने सैन्य उपकरणों और हथियारों में AI का इस्तेमाल कर रहा है. AI युद्ध की रणनीतियों, अटैक ड्रोन, साइबर सुरक्षा, निगरानी और मिसाइल सिस्टम में क्रांति ला रहा है. लेकिन क्या हम पूरी तरह से AI पर भरोसा कर सकते हैं, खासकर जब यह हमारे सबसे अहम फैसलों से जुड़ा हो? क्या हम बिना मानवीय हस्तक्षेप के मशीनों पर निर्भर हो सकते हैं, खासकर युद्ध और सुरक्षा जैसी महत्वपूर्ण स्थितियों में?

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) डिफेन्स में कई अहम क्षेत्रों में मदद कर रहा है
– निर्णय लेना अधिक आसान और तेज़ होता है
– डेटा प्रोसेसिंग और रिसर्च में मदद मिलती है, जिससे सैन्य जानकारी को जल्दी और सही तरीके से समझा जा सकता है
– युद्ध अभ्यास (कॉम्बैट सिमुलेशन) में भी उपयोग किया जाता है
– टार्गेट की पहचान जल्दी और सही तरीके से की जाती है
– दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखी जा सकती है
– जोखिम क्षेत्रों में भेजे जाने वाले स्वार्म और इंडिपेंडेंट ड्रोन को AI अच्छा नियंत्रित करता है
– AI साइबर सुरक्षा को मजबूत करता है

क्या इंसान को अपने हथियार AI को सौंपने चाहिए?
यह सवाल कई पहलुओं पर निर्भर करता है:

मानव नियंत्रण: AI बहुत कुशल हो सकता है, लेकिन उसमें मानवीय समझ और सहानुभूति की कमी होती है. युद्ध जैसे संवेदनशील मामलों में, मानवीय सोच और निर्णय का महत्व बहुत ज्यादा है. अगर हम AI को पूरी तरह से नियंत्रण सौंपते हैं, तो यह जोखिम भरा हो सकता है, क्योंकि AI के निर्णयों में भावनात्मक और नैतिक दृष्टिकोण की कमी होती है.

AI की सीमा और जोखिम: AI और मशीन लर्निंग प्रभावी हो सकते हैं, लेकिन उनकी सीमाएँ भी हैं. मशीनें डेटा पर आधारित होती हैं, और उनका निर्णय केवल उस डेटा और अल्गोरिदम पर निर्भर करता है. अगर सिस्टम में कोई गलती होती है, तो परिणाम बहुत खतरनाक हो सकते हैं. ऐसे तकनीकी जोखिमों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

युद्ध में हथियारों पर कंट्रोल: इंडिपेंडेंट वॉर सिस्टम जैसे ड्रोन, मिसाइल सिस्टम और रोबोट्स के विकास से यह सवाल उठता है कि क्या हम युद्ध को पूरी तरह से मशीनों के हाथों में सौंप सकते हैं? क्या बिना मानवीय हस्तक्षेप के निर्णय लेना सही होगा, खासकर जब यह जीवन-मृत्यु के मामलों से जुड़ा हो?

इंडियन डिफेन्स में AI
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के विकास के लिए भारत सरकार ने फरवरी 2018 में AI टास्क फोर्स का गठन किया. इस टास्क फोर्स ने जून 2018 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसे जनवरी 2019 में स्वीकृत किया गया. इसके बाद, फरवरी 2019 में भारत सरकार ने Defence Artificial Intelligence Council (DAIC) और Defence AI Project Agency (DAIPA) का गठन किया. इन दोनों संगठनों का उद्देश्य रक्षा संस्थानों में AI आधारित सिस्टम लागू करने के लिए ज़रूरी गाइडेंस और स्ट्रक्चरल समर्थन देना था. इनका मुख्य उद्देश्य रक्षा क्षेत्र में AI के प्रभावी उपयोग को बढ़ावा देना और तकनीकी रूप से सक्षम रक्षा प्रणालियों का निर्माण करना था. इसी के तहत रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 11 जुलाई 2022 को नई दिल्ली में पहले ‘AI successful Defence’ (AIDef) प्रदर्शनी में 75 नई AI तकनीकों का शुभारंभ किया था, जिसमे विभिन्न क्षेत्रों से AI तकनीकों ने हिस्सा लिया था

इनमें शामिल थे:
– AI प्लेटफॉर्म ऑटोमेशन
– मानव रहित/रोबोटिक सिस्टम
– ब्लॉकचेन-आधारित ऑटोमेशन
– कमांड, कंट्रोल, कम्युनिकेशन, कंप्यूटर और इंटेलिजेंस
– निगरानी और टोही
– साइबर सुरक्षा
– मानव व्यवहार विश्लेषण
– इंटेलिजेंट मॉनिटरिंग सिस्टम
– घातक इंडिपेंडेंट हथियार प्रणाली
– लॉजिस्टिक्स आपूर्ति प्रबंधन
– ऑपरेशनल डेटा एनालिटिक्स
– निर्माण और रखरखाव
– सिम्युलेटर/टेस्ट उपकरण
– प्राकृतिक भाषा/स्वर विश्लेषण

AI को कहां तक आज़ादी देनी चाहिए?
AI को सहायक के रूप में उपयोग किया जा सकता है, जैसे कि डेटा विश्लेषण, रणनीति बनाना, युद्ध की स्थिति की निगरानी आदि. AI तकनीकी रूप से तेज और सटीक हो सकता है, लेकिन इसमें मानवीय समझ, भावनाओं, और नैतिक निर्णय लेने की क्षमता की कमी होती है, जो युद्ध या सुरक्षा जैसे संवेदनशील मामलों में जरूरी होती है. AI को कभी भी पूरी तरह से निर्णय लेने का अधिकार नहीं दिया जा सकता, इसलिए अंतिम बटन दबाने का हक़ इंसान के पास ही रहना चाहिए

Location :

Delhi Cantonment,New Delhi,Delhi

First Published :

January 20, 2025, 17:14 IST

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