Last Updated:February 07, 2025, 14:39 IST
Mahakumbh 2025: दमदमी टकसाल (जत्था भिंडरा-मेहता) के जत्थेदार हरनाम सिंह धुम्मा के महाकुंभ में पवित्र डुबकी लगाने पर विवाद हो गया है. अन्य सिख नेताओं ने इसे 'गुरु नानक देव की शिक्षाओं और दमदमी टकसाल के सिद्धांतो...और पढ़ें
![महाकुंभ में दमदमी टकसाल के जत्थेदार की डुबकी पर इतना हंगामा क्यों? महाकुंभ में दमदमी टकसाल के जत्थेदार की डुबकी पर इतना हंगामा क्यों?](https://images.news18.com/ibnkhabar/uploads/2025/02/Mahakumbh-2025-Harnam-Dhumma-2025-02-7d108a687f5048abffe4284737e44308.jpg?impolicy=website&width=640&height=480)
संगम में स्नान करने जाते दमदमी टकसाल के प्रमुख हरनाम सिंह धुम्मा.
हाइलाइट्स
- दमदमी टकसाल के 16वें जत्थेदार हैं हरनाम सिंह धुम्मा.
- महाकुंभ 2025 के बीच प्रयागराज जाकर डुबकी लगाई.
- अन्य सिख नेता भड़के, बताया 'गुरु नानक की शिक्षाओं का हिंदूकरण करने की कोशिश'.
Hindu Sikh Unity: क्या प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में डुबकी लगाना सिख धर्म के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है? दमदमी टकसाल के जत्थेदार हरनाम सिंह धुम्मा के पवित्र संगम में स्नान से सियासी और धार्मिक सवाल खड़े हो गए हैं. इससे पहले, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के कुंभ में शामिल होने को लेकर भी विवाद हुआ. कुछ संगठन इसे सिख धर्म की अलग पहचान को कमजोर करने की कोशिश के रूप में देखते हैं. कट्टरपंथी सिख गुट इसे सिख विरासत और इतिहास के साथ धोखा मान रहे हैं. क्या धुम्मा की डुबकी से सिख और हिंदू धर्म के बीच बढ़ती दूरियां कम होंगी? या फिर सिख संगठन इसे कट्टरता को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल करेंगे?
एक-दूसरे से जुड़े हैं सिख और हिंदू धर्म
सिख धर्म की नींव गुरु नानक देव जी (1469-1539) ने रखी थी. गुरु नानक ने हिंदू और मुस्लिम, दोनों धर्मों में मौजूद सामाजिक बुराइयों का विरोध किया और एक नए आध्यात्मिक मार्ग की स्थापना की. उन्होंने वेदों और उपनिषदों की शिक्षाओं के साथ इस्लामिक सूफी परंपरा को जोड़ते हुए एक समावेशी सिख धर्म की नींव रखी.
गुरु अर्जुन देव (पांचवें गुरु) को मुगल सम्राट जहांगीर ने प्रताड़ित करवा कर मार डाला, जिसके बाद गुरु हरगोबिंद जी ने सिखों को सैन्य रूप से तैयार करना शुरू किया. गुरु तेग बहादुर (नौवें गुरु) को औरंगजेब ने इसलिए शहीद कर दिया क्योंकि उन्होंने कश्मीरी हिंदुओं की जबरन इस्लामीकरण का विरोध किया था.
गुरु गोविंद सिंह (दसवें गुरु) ने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की और यह साफ किया कि सिखों को धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए हथियार उठाने चाहिए. वह पूरा दौर ऐसा था जब सिख और हिंदू एक-दूसरे के बहुत करीब थे और कई हिंदू परिवारों में अपने बड़े बेटे को सिख धर्म अपनाने के लिए प्रेरित किया जाता था.
अंग्रेजों की साजिश और सिख-हिंदू संबंधों में दरार
ब्रिटिश हुकूमत के दौरान, सिखों और हिंदुओं के बीच मतभेद बढ़ाने की साजिशें रची गईं. अंग्रेजों ने सिखों को हिंदुओं से अलग दिखाने के लिए खालसा पहचान को बढ़ावा दिया. 19वीं शताब्दी में आर्य समाज और सिख संगठनों के बीच मतभेद बढ़ाए गए, जिससे अलगाव की भावना और बढ़ी. ब्रिटिश हुकूमत के इसी ‘डिवाइड एंड रूल’ पॉलिसी के कारण सिखों और हिंदुओं के बीच दूरियां बढ़ने लगीं.
खालिस्तान आंदोलन और सिख-हिंदू तनाव
1970 और 1980 के दशक में, पंजाब में खालिस्तानी आंदोलन ने दोनों समुदायों के बीच तनाव को चरम पर पहुंचा दिया. जनरैल सिंह भिंडरावाले जैसे नेताओं ने अलग खालिस्तान की मांग उठाई, जिससे पंजाब में आतंकवाद बढ़ा. 1984 के ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान स्वर्ण मंदिर में भारतीय सेना की कार्रवाई और उसके बाद हुए सिख विरोधी दंगे इस तनाव को और गहरा कर गए.
खालिस्तानी संगठनों ने हिंदुओं को अपना दुश्मन बताया, जिससे हिंदू और सिख समुदाय में खाई और चौड़ी हो गई. यह भी सच है कि अधिकांश सिखों ने खालिस्तानी आतंकवाद का समर्थन नहीं किया.
हरनाम सिंह धुम्मा की डुबकी: सिख-हिंदू एकता की नई कोशिश?
दमदमी टकसाल के प्रमुख हरनाम सिंह धुम्मा का प्रयागराज कुंभ में स्नान करना ऐतिहासिक घटना है. दमदमी टकसाल सिखों के पारंपरिक धार्मिक शिक्षण केंद्रों में से एक है, और इसके संस्थापक भिंडरावाले से जुड़े रहे हैं. धुम्मा का कुंभ में शामिल होना सिखों और हिंदुओं के बीच बढ़ती दोस्ती का संकेत हो सकता है. हालांकि, खालिस्तानी झुकाव रखने वाले संगठनों ने इसका कड़ा विरोध किया है.
Harnam Dhumma goes to bathe Kumbh with Nishant Sharma, who was slapped by Jathedar Jagtar Singh Hawara. pic.twitter.com/tMIfiSiVyB
— ਜਸਪਿੰਦਰ ਕੌਰ (@udhokes) January 31, 2025
SGPC के कुंभ में शामिल होने का क्या मतलब है?
SGPC (शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी) पहली बार कुंभ में शामिल हुई. यह एक बड़ा संकेत है कि सिख धर्म के मुख्य संस्थान हिंदू धर्म से कटाव को कम करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन पंजाब के कुछ कट्टरपंथी गुटों ने SGPC की इस भागीदारी का भी विरोध किया.
क्या सिख-हिंदू रिश्तों में बदलाव आएगा?
तमाम विरोध को दरकिनार कर, धुम्मा का संगम में डुबकी लगाना यह दिखाता है कि सिख और हिंदू धर्म आपस में जुड़े हुए हैं. यह दूरी राजनीतिक कारणों से बनाई गई थी. प्रयागराज में रहने वाले तमाम सिख लगातार कुंभ आने वालों की आवभगत में योगदान दे रहे हैं.
धुम्मा का कुंभ में डुबकी लगाना पंजाब की राजनीति में बदलाव ला सकता है, लेकिन खालिस्तानी गुट ऐसी किसी कोशिश का पुरजोर विरोध करेंगे.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
February 07, 2025, 14:39 IST