ADM Story, MPPSC Exam: कभी-कभी ऐसे मामले सामने आते हैं जो हैरान कर देते हैं. ऐसा ही एक मामला सामने आया है मध्य प्रदेश के छतरपुर का. यहां एक सरकारी कर्मचारी को मीटिंग के दौरान हंसने के लिए अपर कलेक्टर ने अनुशासनहीनता मानते हुए उसे नोटिस जारी कर दिया, जिसके बाद विभागीय अधिकारियों में हड़कंप मच गया. आइए जानते हैं कि पूरा मामला क्या है और नोटिस जारी करने वाले अपर कलेक्टर कौन हैं?
तो सबसे पहले समझते हैं कि पूरा मामला हुआ क्या था. आपको बता दें कि यह मामला मध्य प्रदेश के छतरपुर कलेक्ट्रेट का है. यहां के जिला पंचायत सभागार में जनसुनवाई चल रही थी. इसी बीच ई-गवर्नेंस के सहायक प्रबंधक के.के. तिवारी को किसी बात पर हंसी आ गई, जिसको लेकर बवाल मच गया. सहायक प्रबंधक की हंसी को अनुशासनहीनता की श्रेणी में मानते हुए अपर कलेक्टर ने उन्हें नोटिस जारी कर दिया. इसके बाद इस नोटिस की प्रति सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रही है और यह मामला सुर्खियों में है.
कौन हैं अपर कलेक्टर
अपर कलेक्टर का नाम है मिलिंद नागदेवे. मिलिंद नागदेवे पीसीएस अधिकारी हैं. मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की एमपीपीएससी परीक्षा (MPPSC Exam) के माध्यम से अपर कलेक्टर की नियुक्ति होती है. मध्य प्रदेश में राज्य प्रशासनिक सेवा में अधिकारियों का चयन इसी परीक्षा के जरिये होता है. एमपीपीएससी की परीक्षा पास करने वाले उम्मीदवारों को एडीएम, एसडीएम, डीएसपी, बीडीओ समेत कई अलग-अलग पदों पर नियुक्त किया जाता है. इन अधिकारियों की डिटेल्स gad.mp.gov.in/SASGradationList2024 की वेबसाइट पर उपलब्ध है.
दोनों अधिकारियों ने क्या कहा
कई मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि नोटिस देने की बात पर अपर कलेक्टर की ओर से कहा गया है कि “नोटिस प्रशासनिक गतिविधियों का हिस्सा है। ई-गवर्नेंस के सहायक महाप्रबंधक को इसी के तहत जारी किया गया है। मीटिंग में अनुशासन बनाए रखने के लिए पहले भी इस तरह की कार्रवाई की गई थी.” ई-गवर्नेंस के सहायक प्रबंधक के.के. तिवारी का कहना है कि वह किसी से कुछ बात कर रहे थे. इसी को लेकर अपर कलेक्टर को लगा कि वह किसी बात पर हंस रहे हैं.
सरकारी नौकरी करने वालों के लिए क्या हैं नियम
मध्य प्रदेश में सरकारी नौकरी करने वाले कर्मचारियों के लिए बकायदा नियम बनाए गए हैं. मध्य प्रदेश सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के तहत सिविल सेवाओं और पदों पर नियुक्त सभी लोगों पर ये नियम लागू होते हैं, जिसमें अपने पद के मुताबिक काम करना और किसी से अव्यवहारिक तरीके से बात न करना आदि शामिल है. यही नहीं, इस अधिनियम के नियम 3 में कहा गया है कि शासकीय सेवक ऐसा कोई भी कार्य न करें जिससे उसकी अनुशासनहीनता भंग हो.
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क्या-क्या हो सकती है कार्रवाई
मध्य प्रदेश सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 में दिए गए नियमों का अगर कोई सरकारी कर्मचारी उल्लंघन करता है तो उस पर जुर्माना, वेतन वृद्धि या पदोन्नति रोकना, वेतन से आर्थिक हानि वसूली करना, निलंबन, पदावनत करना, सेवा से हटाना, सेवा से बर्खास्तगी आदि की कार्रवाई की जा सकती है.
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FIRST PUBLISHED :
November 20, 2024, 16:49 IST