शिमला. हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के 18 होटलों को बंद करने के आदेश दिए हैं. होटलों का घाटे में होना इन होटलों के बंद होने का कारण बताया गया है. सरकारी होटलों को घाटे से कैसे बाहर निकाला जा सकता है, लोकल 18 ने इसे लेकर एक्सपर्ट से बात की. सेवानिवृत कर्मचारी और होटल व्यापार से संबंध रखने वाले सुभाष वर्मा ने लोकल 18 को बताया कि यह हिमाचल सरकार की नाकामी है कि जब यह होटल लंबे अर्से से घाटे में चल रहे थे, तो समय रहते इसमें सुधार क्यों नहीं किया गया.
चायल पैलेस होटल में लिया जाता है 250 रुपये प्रवेश शुल्क
सुभाष वर्मा ने बताया कि वह चायल क्षेत्र से संबंध रखते हैं. यहां के पैलेस होटल को बंद किया गया है. यह होटल बहुत बेहतरीन होटलों में से एक है. यह महाराजा पटियाला का महल हुआ करता था. विशेष बात ये कि चायल होटल में प्रवेश के लिए 250 रुपये प्रति व्यक्ति शुल्क लिया जाता था और यहां रोजाना करीब 100 से अधिक लोग घूमने आते हैं. देश के सबसे बड़े होटल मुंबई के ताज पैलेस में भी प्रवेश पर कोई शुल्क नहीं है. लेकिन, यहां लिया जाता है. इस स्थित में भी यह होटल घाटे में चल रहा है, यह अपने आप में हैरानी की बात है.
घाटे का कारण… वीआईपी को डिस्काउंट
सुभाष वर्मा ने बताया कि होटलों के घाटे में होने का सबसे बड़ा कारण वीआईपी को दिया जाने वाला डिस्काउंट है. इन होटलों में वीआईपी को 20 प्रतिशत, 30 प्रतिशत और इससे भी अधिक डिस्काउंट दिया जाता है. इसके अलावा यदि कोई स्टेट गेस्ट आता है तो उनके लिए और अधिक डिस्काउंट दिया जाता है. टूरिज्म डेवलपमेंट द्वारा कोर्ट को घाटे की सूचना देने से पहले यह सोचना चाहिए था कि यहां नौकरी करने वाले स्टाफ और उनके परिवारों का क्या होगा. होटलों के बंद होने से बेरोजगारी बढ़ेगी और होटल भी निजी हाथों में चले जाएंगे.
निजी हाथों में जा सकते हैं सरकारी होटल
सुभाष ने बताया कि यदि होटलों की बोली लगेगी तो इसे धनधान्य लोग लीज पर लेंगे. यह भी संभव है कि बाहरी राज्यों के लोग इसे लीज पर लें. इससे स्थानीय लोगों का रोजगार छिन जाएगा और होटल भी बाहरी लोगों के हाथों में चले जाएंगे. HPTDC के पास चायल पैलेस जैसे कई शानदार होटल हैं, जो बेहतर चल सकते थे. इसमें केवल सुपरविजन और मैनेजमेंट में कमी रही है. इन होटलों में सुधार की आवश्यकता है. न कि इन्हें प्राइवेट करने की आवश्यकता है. होटलों का इस तरह से बंद होना चिंता का विषय है और सरकार की नाकामी को दर्शाता है.
कैसे रिवाइव किए जा सकते हैं होटल?
सुभाष वर्मा ने बताया कि चायल पैलेस के आसपास करीब 60 अन्य निजी होटल हैं, लेकिन वह होटल घाटे में नहीं हैं. यह चिंता का विषय है और इस बारे में विचार होना चाहिए. होटलों को घाटे से उभारने के लिए टूरिज्म को गाइडलाइन देकर एक चांस देना चाहिए, बजाय इसके की होटल बाहरी लोगों के हाथों में चले जाएं. यदि ऐसा चलता रहेगा, तो सभी सरकारी प्रॉपर्टी, निजी हाथों में चली जाएगी. इससे हिमाचल रोजगार और पर्यटन के क्षेत्र में पिछड़ जाएगा.
FIRST PUBLISHED :
November 21, 2024, 19:49 IST