वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025-26 को‘लोगों के द्वारा, लोगों के लिए, लोगों का’बजट बताते हुए रविवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मिडिल क्लास के लिए करों में कटौती के पक्ष में थे, लेकिन नौकरशाहों को इसके लिए राजी करने में वक्त लगा। सीतारमण ने पीटीआई-भाषा को दिए इंटरव्यू में कहा,‘‘हमने मिडिल क्लास की आवाज सुनी है जो ईमानदार करदाता होने के बावजूद अपनी आकांक्षाओं को पूरा नहीं किए जाने की शिकायत कर रहे थे।’’करदाताओं की इच्छा थी कि सरकार महंगाई के प्रभाव को सीमित करने के लिए कदम उठाए। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने सीतारमण को उन्हें राहत देने के तरीकों पर विचार करने के लिए कहा था।
वित्त मंत्री ने बताया कि डायरेक्ट टैक्स को सरल और अनुपालन में आसान बनाने की दिशा में काम जुलाई, 2024 के बजट में शुरू हो गया था। अब एक नया कानून तैयार है, जो कानून की भाषा को आसान बनाएगा, अनुपालन बोझ कम करेगा और यूजर्स के अधिक अनुकूल होगा।
CBDT के अधिकारियों को मनाने में समय लगा
सीतारमण ने कहा कि टैक्स कम करने के प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री जल्द सहमत हो गए, लेकिन वित्त मंत्रालय और केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के अधिकारियों को इसके लिए मनाने में थोड़ा समय लगा। इन अधिकारियों को पब्लिक वेलफेयर और अन्य योजनाओं को पूरा करने के लिए रेवेन्यू कलेक्शन सुनिश्चित करना होता है। सीतारमण ने शनिवार को अपना आठवां बजट पेश करते हुए व्यक्तिगत आयकर सीमा में वृद्धि की घोषणा की। अब करदाताओं को नई कर व्यवस्था के तहत 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई कर नहीं देना होगा, जबकि पहले यह सीमा सात लाख रुपये थी। छूट सीमा में पांच लाख रुपये की बढ़ोतरी अबतक की सबसे बड़ी वृद्धि है और यह 2005 और 2023 के बीच दी गई सभी कर राहतों के बराबर है।
मिडिल क्लास को होगा काफी फायदा
सीतारमण ने कहा,‘‘मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री ने इसे सार रूप में बयां कर दिया। उन्होंने कहा कि यह लोगों का बजट है, यह वह बजट है जिसे लोग चाहते थे।’सीतारमण ने कहा कि नई टैक्स रेट्स से मिडिल क्लास को काफी फायदा होगा और उनके हाथों में अधिक पैसा बचेगा। इससे घरेलू खपत, बचत और निवेश को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने इस बड़ी घोषणा के पीछे की सोच को समझाते हुए कहा कि कर कटौती पर कुछ समय से काम चल रहा था। सीतारमण ने कहा,‘‘पिछले बजट के बाद मिडिल क्लास की आवाज उठने लगी। उसे लग रहा था कि वे टैक्स दे रहे हैं, लेकिन अपनी समस्याओं के समाधान के लिए उनके पास ज्यादा कुछ नहीं है। यह अहसास भी दिख रहा था कि सरकार बहुत गरीब एवं कमजोर तबकों की देखभाल करने में बहुत समावेशी है।’’
लोग कर रहे थे डिमांड
उन्होंने कहा,‘‘मैं जहां भी गई, वहां से यही आवाज आई कि हम गर्वित और ईमानदार करदाता हैं। हम अच्छे करदाता बनकर देश की सेवा करना जारी रखना चाहते हैं। लेकिन आप हमारे लिए किस तरह की चीजें कर सकते हैं, इस बारे में आप क्या सोचते हैं?’’वित्त मंत्री ने कहा,‘‘फिर मैंने प्रधानमंत्री मोदी के साथ इस बारे में चर्चा की, जिन्होंने मुझे यह देखने का खास काम सौंपा कि इस दिशा में क्या किया जा सकता है।’’उन्होंने कहा,‘‘आंकड़ों पर गौर करने के बाद प्रधानमंत्री के सामने उसे पेश किया गया।
क्या पीएम को मनाने में समय लगा?
यह पूछे जाने पर कि प्रधानमंत्री मोदी को संबंधित प्रस्ताव के लिए मनाने में कितना प्रयास करना पड़ा, सीतारमण ने कहा,‘‘नहीं, मुझे लगता है कि आपका सवाल यह होना चाहिए कि मुझे मंत्रालय और सीबीडीटी को मनाने में कितना समय लगा।’’उन्होंने कहा,‘‘प्रधानमंत्री बहुत स्पष्ट थे कि वह कुछ करना चाहते हैं। यह मंत्रालय पर निर्भर करता है कि वह सहज महसूस करे और फिर प्रस्ताव के साथ आगे बढ़े। मंत्रालय और सीबीडीटी को समझाने की जरूरत थी क्योंकि उन्हें रेवेन्यू कलेक्शन के बारे में सुनिश्चित होना था।’’वित्त मंत्री ने कहा,‘‘वे (अधिकारी) समय-समय पर मुझे यह याद दिलाने में गलत नहीं थे कि इसका क्या मतलब होगा? लेकिन आखिरकार, सभी इस पर राजी हो गए।’’सीतारमण ने कहा कि प्रधानमंत्री विभिन्न क्षेत्रों के लोगों और उद्योग जगत के नेताओं से मिलते हैं और उनकी आवाज़ सुनते हैं और उनकी जरूरतों पर प्रतिक्रिया देते हैं। उन्होंने कहा,‘‘मैं इस सरकार का हिस्सा बनकर बहुत खुश हूं, जो सचमुच आवाज सुनती है और प्रतिक्रिया देती है।’’इसके साथ ही वित्त मंत्री ने कहा कि कर के दायरे को बढ़ाने का प्रयास जारी है और भुगतान कर पाने की क्षमता वाले अधिक से अधिक भारतीयों को इस दायरे में लाने की कोशिश की जा रही है।
(पीटीआई/भाषा)