Kaal Bhairav Jayanti 2024: हिंदू धर्म में काल भैरव जयंती का अत्यधिक महत्व होता है. माना जाता है कि काल भैरव जयंती के दिन भगवान काल भैरव की पूजा करने से जीवन से नकारात्मकता दूर हो जाती है और भय से मुक्ति मिलती है. मान्यतानुसार कालाष्टमी के दिन काल भैरव की पूजा की जाती है. काल भैरव (Kaal Bhairav) भगवान शिव का रौद्र रूप हैं. मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर भगवान काल भैरव के रूप में भोलेनाथ का अवतरण हुआ था. ऐसे में हर साल इस दिन को काल भैरव जयंती के रूप में मनाया जाता है. यहां जानिए इस साल किस दिन मनाई जाएगी काल भैरव जंयती और किस तरह पूजा की जाएगी संपन्न.
काल भैरव जयंती कब है | Kaal Bhairav Jayanti Date
पंचांग के अनुसार, काल भैरव जयंती मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मनाई जाती है. इस साल अष्टमी तिथि का आरंभ 22 नवंबर की शाम 6 बजकर 7 मिनट पर होगा और इसका समापन अगले दिन 23 नवंबर की रात 7 बजकर 56 मिनट पर हो जाएगा. ऐसे में 22 नवंबर के दिन ही कालभैरव जंयती मनाई जाएगी.
काल भैरव जयंती के दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 54 मिनट से सुबह 5 बजकर 48 मिनट तक रहेगा. इसके बाद अभिजीत मूहूर्त सुबह 11 बजकर 36 मिनट से दोपहर 12 बजकर 19 मिनट तक है. इस दिन विजय मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 43 मिनट से दोपहर 2 बजकर 25 मिनट तक रहने वाला है. अमृत काल दोपहर 3 बजकर 27 मिनट से शाम 5 बजकर 10 मिनट तक रहेगा.
ऐसे करें पूजा संपन्न
काल भैरव जयंती के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठा जाता है. इसका बाद एक छोटी चौकी पर लाल या पीले रंग का वस्त्र बिछाते हैं. अब इस चौकी पर काल भैरव के साथ ही भगवान शिव (Lord Shiva) और माता गौरी की प्रतिमा रखी जाती है. सभी पर फूलों की माला अर्पित की जाती है. इसके बाद काल भैरव के समक्ष चौमुखी दीपक प्रज्जवलित किया जाता है. इसके अलावा पूजा में अबीर, गुलाल, अष्टगंध और अन्य पूजा सामग्री को शामिल किया जाता है. अब पूजा में काल भैरव की कथा पढ़कर आरती की जाती है, मंत्रों का जाप किया जाता है और पूजा संपन्न की जाती है. पूजा पूरी हो जाने के बाद काले कुत्ते को मीठी रोटी खिलाई जाती है. इस दिन शिव चालीसा और काल भैरव चालीसा का पाठ करना भी बेहद शुभ होता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)