Last Updated:February 03, 2025, 10:06 IST
Border Road Organisation News: बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) का काम सिर्फ सड़के, ब्रिज और टनल बनाना ही नहीं है. यह एक मल्टी टास्किंग है. सीमावर्ती इलाकों तक सेना और अन्य वाहनों की मूवमेंट साल से चौबीसों घंटे सु...और पढ़ें
Border Road Organisation News : दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश होगा जो की अपने चालाक पड़ोसी देशों के साथ हाई एल्टीट्यूड में सीमा को साझा करता है. पाकिस्तान के साथ LOC और और चीन के साथ LAC. भारतीय सेना यहां 9000 फिट से लेकर 19,000 फिट की उचाई पर विषम परिस्थितियों में तैनात है. अपनी तैनाती और मुस्तैदी को बरकरार रखना प्राथमिकता है. पहले जंग की सूरत में कम समय पर सीमाओं तक पहुंचना सबसे बड़ी चुनौती होती थी. अब ऐसा नहीं है, बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) ताबड़तोड़ बॉर्डर इंफ्रास्ट्रकचर के निर्माण में जुटी है. इसका उदाहरण है साल 2020 में पूर्वी लद्दाख में चीन के दुस्साहस का भारतीय जवाब. भारतीय सेना ने अपनी तैनाती को कम समय पर इतनी तेजी से बढ़ाया की चीन को बैकफ़ुट पर आना पड़ा. साल 2025-26 में भी BRO अपने काम को हाई स्पीड से जारी रखे इसका खयाल सरकार ने रखा है. इस साल के रक्षा बजट में BRO को 7146 करोड रुपये का बजट आवंटित किया है. यह BRO मिलने वाला अब तक का सबसे ज्यादा बजट है. साल 2024-25 में यह बजट 6500 करोड रुपये था.
4 साल में 405 बॉर्डर इंफ्रास्ट्रकचर
विषम परिस्थितियों में भारतीय सेना की चुनौतियों को आसान बनाया बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन ने. जिसकी जिम्मेदारी में सेना के लिये बॉर्डर एरिया में रोड नेटवर्क को तैयार करना है. BRO इस क्षेत्र में लगातर नए नए कीर्तिमान बनाकर चीन और पाकिस्तान को बैकफ़ुट में डालने का कम कर रही है. पिछले 4 साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2021 से 2024 तक BRO ने 12 राज्यों और 2 संघ शासित प्रदेशों में 405 इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट का निर्माण कर देश को समर्पित कर चुकी है. इसमें सड़कें, ब्रिज, टनल, हैलीपैड शामिल हैं. भारत की कोशिशें हैं कि सीमा के पास रहने वाले और अपनी सीमा की सुरक्षा में तैनात सैनिकों को साल भी ऑल वेदर कनेक्टिविटी मिले. इसी को ध्यान में रोड और टनल को हर मौसम प्राथमिकता दी जा रही है. पूरी एलएसी तक जाने वाली सड़कों पर जितने भी ब्रिज हैं उन्हें क्लास 70 का बनाया जा रहा है. यानी की 70 टन के भारी भरकम टैंक और अन्य सैन्य उपकरणों को आसानी से और तेजी से सीमा तक पहुंचाया जा सके.
नई तकनीक से मिली नई स्पीड
हाई ऑलटेट्यूड एरिया में सडके बनाना वाकई किसी चुनौती से कम नही. बर्फबारी, माइनस तापमान और भारी बारिश के चलते साल में काम करने के लिए महज 4 से 5 महीने ही मिलते हैं. पहाड़ों में टनल के लिए ड्रिलिंग भी बहुत कठिन होती है लेकिन नई तकनीक के उपकरण और BRO के जज़्बे के सामने सभी कठिनाइयां बौनी साबित हो रही है. सरकार ने तकनीक को प्रथमिकता देते हुए बॉरड रोड ऑर्गेनाइजेशन छूट दी अपना काम करने के लिए. इस समर्थन से कार्यशैली में परिवर्तन किया और उसी के मिश्रण से ये तेज़ी आई है. चाहे सड़कें बनानी हो या फिर टनल, BRO दुनिया में तकनीक के मामले में सबसे बेहतर हो गइ है. BRO ने साल 2021 में 102 प्रोजेक्ट जिसमें, 2022 में 103 प्रोजेक्ट, 2023 में 125 और 2024 में 75 रोड टनल को तैयार कर राष्ट्र को समर्पित कर चुके है.
60 साल में बनाई 62 हजार किलोमीटर सड़क
बॉरड रोड ऑर्गेनाइजेशन का गठन 1960 में हुआ था. सिर्फ दो प्रोजेक्ट पूर्वोत्तर में प्रोजेक्ट टसकर जिसे आज वर्तक के नाम से जाना जाता है और नॉर्थ में प्रोजेक्ट बीकॉन के साथ शुरू किया था. आज BRO 11 प्रोजेक्ट को देश के सीमावर्ती राज्यों में चला रही है. सबसे ज्यादा निर्माण नॉर्दर्न बॉर्डर के लद्दाख, अरूणाचल, जम्मू कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखण्ड, सिक्किम में सबसे ज्यादा काम हुआ. पिछले 60 साल में BRO ने 62214 किलोमीटर की सड़कें, 1005 ब्रिज, 7 सामरिक महत्त्व की टनल और 21 एयर फील्ड का निर्माण कर चुकी है. यह आंकड़ा आने वाले दिनों बढ़ता ही रहेगा.
First Published :
February 03, 2025, 10:06 IST