![महाकुंभ](https://static.indiatv.in/khabar-global/images/new-lazy-big-min.jpg)
पौष पूर्णिमा से शुरू हुआ कल्पवास आज अपने अंतिम पड़ाव पर है। महाकुंभ मेले में व्रत, संयम और सत्संग का कल्पवास करने विशेष विधान है। प्रयागराज के महाकुंभ में इस बार 10 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने विधिपूर्वक कल्पवास का किया। पौराणिक मान्यता है कि माघ माह में संगम तट पर कल्पवास करने से सहस्त्र वर्षों की तपस्या के बराबर मिलता है। महाकुंभ में कल्पवास को विशेष महत्व माना जाता है। परंपरा के अनुसार 12 को माघ पूर्णिमा के दिन कल्पवास की समाप्ति हो रही है। आज सभी कल्पवासी संगम में स्नान कर अपना पारण करेंगे।
आज ही करेंगे पारण
शास्त्रों की मानें तो पौष पूर्णिमा से लेकर माघ पूर्णिमा तक यानी एक माह तक संगम तट पर व्रत और संयम का पालन करते हुए कल्पवास का विधान है। वहीं, कुछ लोग पौष माह की एकादशी से लेकर माघ माह की द्वादशी तक कल्पवास करते हैं। आज कल्पवासी संगम में पवित्र डुबकी लगाकर कल्पवास व्रत का पारण करेंगे।
ऐसे पूर्ण होता है कल्पवास
शास्त्रों के मुताबिक, कल्पवासी माघ पूर्णिमा के दिन संगम स्नान कर व्रत रखते हैं। इसके बाद संगम तट पर अपने तंबू में आकर सत्यनारायण कथा सुनने और हवन करेंगे। इसके बाद कल्पवासी अपनी तीर्थपुरोहितों को अपनी यथाशक्ति मुताबिक दान करते हैं। साथ ही कल्पवास के शुरू में बोए गए जौ को गंगा में विसर्जित करेंगे और तुलसी के पौधे को साथ घर ले जाएंगे। मान्यता है कि उस तुलसी के पौधे में मां लक्ष्मी का वास हो जाता है। वहीं, यहां से कल्पवासी भोज करना के बाद ही घर की ओर जाएंगे क्योंकि मान्यता है कि बिना ब्राह्मणों को भोज कराए कल्पवास पूर्ण नहीं होगा।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)
ये भी पढ़ें:
Magh Purnima 2025: माघ पूर्णिमा स्नान के बाद अपने राशिनुसार किन मंत्रों का करें जप? जानें
30 साल बाद शक्तिशाली ग्रह शनि इस राशि में होंगे उदय, चमकेगी इन 3 राशियों की किस्मत; होगी धन वर्षा