पटना : चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने नई पार्टी जनसुराज बनाने के दौरान ऐलान किया था कि 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव के पहले उपचुनाव में ही बिहार के सियासी दलों को वे अपनी पार्टी की हनक दिखाएंगे. उसके बाद उन्होंने ताबड़तोड़ अपने चारों उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतार बिहार की सियासत में हलचल बढ़ा दी और उनकी पार्टी व उम्मीदवार की चर्चा होने लगी.. लेकिन अभी ठीक से उनके उम्मीदवारों की चर्चा शुरू भी नहीं हुई थी कि ऐसे हालात सामने खड़े हो गए कि वे चार में से दो उम्मीदवार बदलने पर मजबूर हो गए. ऐसे में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत की राजनीति पर ही सवाल खड़े होने लगे हैं.
दरअसल, प्रशांत किशोर ने सबसे पहले तरारी से रिटायर्ड मेजर जनरल एसके सिंह को उम्मीदवार बना अपनी खूब पीठ थपथपाई थी. उन्होंने दावा किया था कि उनकी पार्टी के उम्मीदवार जैसा बिहार में कोई उम्मीदवार नहीं है, लेकिन जैसे ही उम्मीदवार की घोषणा हुई.. वैसे ही ये सवाल उठने लगा था कि जनसुराज के तरारी उम्मीदवार का तो बिहार की वोटर लिस्ट में नाम ही नहीं है. जैसे ही ये जानकारी सामने आई, उसके बाद विवाद बढ़ने लगा और आखिरकार PK को उम्मीदवार बदलना पड़ा, वहां से किरण सिंह को उम्मीदवार बनाया.
उम्मीदवार बदलने के साथ ही PK की रणनीति पर सवाल उठने लगा कि क्या उन्हें अपने उम्मीदवार के बारे में पूरी जानकारी नहीं थी या फिर उम्मीदवार ने पीके को ही पूरी जानकारी नहीं दी.
बात केवल यही नहीं रुकती. PK के फैसले पर सवाल एक बार फिर बेलागंज के उम्मीदवार को लेकर भी उठ गया, जब जन सुराज को वहां से भी अपना उम्मीदवार बदलना पड़ा. प्रशांत किशोर जब प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे तब उनके घोषित उम्मीदवार खिलाफत हुसैन ने घोषणा की कि वो अपनी उम्मीदवारी वापस ले रहे है. इसके बाद राजनीति गर्मा गई. हुसैन ने तर्क दिया कि उनकी सेहत इजाजत नहीं दे रही है कि वो चुनाव प्रचार कर सकें. इस वजह से उन्होंने पूर्व पंचायत मुखिया मोहम्मद अमजद को टिकट देने की बात कह अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली और अमजद को जन सुराज का बेलागंज से उम्मीदवार घोषित कर दिया गया.
ज़ाहिर है.. बेलागंज उम्मीदवार के उम्मीदवारी वापस लेने और उनके तर्क को लेकर PK के फ़ैसले पर फिर से सवाल उठने लगे कि क्या प्रशांत किशोर ने उम्मीदवारी तय करते समय इस बात की जानकारी नहीं ली थी.. या फिर उनके उम्मीदवार ने तब क्यों नहीं इस बात की जानकारी दी थी की वो चुनाव लड़ने में सक्षम नहीं है. प्रशांत किशोर के दो उम्मीदवार बदलने से उनके रणनीतिकार होने पर बड़ा सवाल खड़ा होने लगा है और ये PK की पार्टी और उनके राजनीतिक करियर के लिए भी अच्छा संकेत नहीं है.
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FIRST PUBLISHED :
October 23, 2024, 15:48 IST