हिंदू धर्म में पूजा-अर्चना जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. हर दिन भगवान की आराधना करना और उनके सामने दीपक जलाना शुभ माना जाता है. यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है. पूजा से पहले दीपक जलाने की प्रक्रिया न केवल धार्मिक है, बल्कि इसके पीछे आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारण भी हैं. यह दीपक ऊर्जा और सकारात्मकता का प्रतीक है, जो पूजा स्थल को पवित्र बनाता है.
दीपक जलाने का धार्मिक और आध्यात्मिक कारण
हर शुभ कार्य की शुरुआत दीप प्रज्वलन से होती है. दीपक जलाने से न केवल भगवान की कृपा प्राप्त होती है, बल्कि मन को शांति और स्थिरता भी मिलती है. मंदिरों में दीपक जलाने की परंपरा यह सिखाती है कि प्रकाश और ज्ञान अंधकार और अज्ञान को दूर करता है.
गंडा दीपम का महत्व और उसकी पूजा
मंदिरों में गंडा दीपम का विशेष महत्व है. यह दीपक तिल के तेल या नारियल तेल से जलाया जाता है. पुजारी लक्ष्मी नरसिम्हा चारी ने लोकल18 को बताया कि पुराणों के अनुसार गंडा दीपम जलाने से भक्त के पापों का नाश होता है. इसे जलाने से मन की इच्छाएं पूरी होती हैं. खासकर नवरात्रि जैसे पर्वों में अखंड ज्योति जलाने की परंपरा है. यह दीपक घर और मन में शुद्धता और सकारात्मकता बनाए रखता है.
अखंड ज्योति और उसकी सावधानियां
अखंड ज्योति जलाना न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसे जलाने में विशेष सावधानी बरतनी पड़ती है. परंपरा के अनुसार, अगर अखंड ज्योति बुझ जाए, तो इसे अपशकुन माना जाता है. लेकिन इसके पीछे प्राकृतिक कारण भी हो सकते हैं, जैसे हवा या तेल खत्म हो जाना. ऐसे में निराश होने की बजाय दीपक को दोबारा जलाना चाहिए.
दीपक बुझने पर धार्मिक दृष्टिकोण
पुजारी नरसिम्हा चारी ने बताया कि अगर दीपक बुझ जाए, तो इसे दोबारा जलाने में कोई हानि नहीं है. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कई लोग इसे अपशकुन मानते हैं, जो पूरी तरह से अंधविश्वास है. पूजा में सच्ची श्रद्धा और समर्पण जरूरी है, न कि अंधविश्वास. भगवान अपने भक्तों की नीयत और कर्मों को महत्व देते हैं.
दीपक के वैज्ञानिक फायदे
धार्मिक महत्व के साथ-साथ दीपक जलाने के वैज्ञानिक लाभ भी हैं. तिल के तेल से दीपक जलाने से वातावरण शुद्ध होता है और हानिकारक कीटाणु नष्ट होते हैं. नारियल के तेल से जलने वाला दीपक सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है. इसके साथ ही, दीपक का प्रकाश आंखों को सुकून देता है और मन को शांत करता है.
Tags: Dharma Aastha, Local18, Special Project
FIRST PUBLISHED :
November 26, 2024, 12:38 IST
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