Last Updated:February 08, 2025, 15:04 IST
अगर दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा होता तो क्या होता, इस सवाल का जवाब जब आप वोट पर्सेंटेज के आइने में देखेंगे तो वाकई हैरान रह जाएंगे.
![अगर आप और कांग्रेस मिलकर लड़तीं दिल्ली का चुनाव तो क्या होता..हैरान रह जाएंगे अगर आप और कांग्रेस मिलकर लड़तीं दिल्ली का चुनाव तो क्या होता..हैरान रह जाएंगे](https://images.news18.com/ibnkhabar/uploads/2025/02/aap-1-2025-02-a3bbba4d50ed99bd4969c4aec180bd9a.jpg?impolicy=website&width=640&height=480)
हाइलाइट्स
- दिल्ली चुनाव में बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की
- आप और कांग्रेस मिलकर लड़तीं तो क्या तस्वीर बदल सकतीं थीं
- तो क्या दोनों पार्टियों ने अलग लड़कर अपना नुकसान किया
दिल्ली विधानसभा चुनावों के परिणाम अब तक जो आ चुके हैं, उससे जाहिर है कि भारतीय जनता पार्टी ने इसमें बड़ी जीत हासिल की है. 70 सीटों की दिल्ली विधानसभा में बीजेपी अर्धशतक की ओर है तो आप ने खराब प्रदर्शन किया है. ये सवाल जाहिर है कि अगर दिल्ली का चुनाव कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने मिलकर लड़ा होता तो क्या होता.
अगर हम दोनों पार्टियों के वोट शेयर देखेंगे तो हैरान जरूर होंगे कि ये दोनों पार्टियां साथ मिलकर लड़तीं तो क्या तस्वीर बदल जाती या नहीं बदलती. कांग्रेस और आप ने दोनों ने दिल्ली चुनावों में एक दूसरे के खिलाफ पूरी तल्खी दिखाई. पूरी दुश्मनी के साथ चुनाव लड़ा. पहले हरियाणा विधानसभा चुनावों में इन दोनों पार्टियों ने गठबंधन को तोड़कर अलग चुनाव लड़ा तो अब दिल्ली में भी यही दिखा.
नुकसानदायक रहा या फायदेमंद
तो क्या ये गठबंधन तोड़ना दोनों के लिए फायदेमंद रहा या नुकसानदायक. अगर हम आंकड़ों और वोट शेयर की बात करें तो जाहिर है कि जो तस्वीर हरियाणा चुनावों में दोहराई गई वैसा ही दिल्ली में भी हुआ. यानि दोनों को अलग अलग लड़ने का नुकसान हुआ. अगर वो साथ मिलकर लड़ते तो हरियाणा में भी तस्वीर अलग होती और दिल्ली में भी.
हरियाणा से शुरू हुई अदावत
दरअसल ये कहानी पिछले साल अक्टूबर में हरियाणा चुनावों से शुरू हुई थी. कांग्रेस ने वहां का विधानसभा चुनाव आप के साथ गठबंधन में लड़ने की पेशकश की थी लेकिन अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने इतनी सीटों की मांग कर दी कि कांग्रेस को पैर खींचने पड़े. तब सबको मालूम था कि अगर आप हरियाणा में अलग चुनाव लड़ेगी तो केवल कांग्रेस के ही वोट काटेगी. हुआ भी यही. जब चुनाव परिणाम आए तो सबने कहा कि अगर ये दोनों पार्टियां साथ मिलकर चुनावी मैदान में आतीं तो कहानी कुछ और ही होती.
तब कांग्रेस मन मसोसकर रह गई
चुनाव परिणाम देखने के बाद कांग्रेस मन मसोस कर रह गई. इस बार दिल्ली में इसी वजह से दोनों पार्टियों की वो अनबन साफतौर पर सामने जाहिर हुई. इसकी तल्खी उनके भाषणों और आरोपों-प्रत्यारोपों में भी दिखी.
हरियाणा में क्या हुआ
वैसे पहले चलिए हरियाणा के चुनावों की बात करके दिल्ली की ओर आएंगे, जिसमें आप ये देखेंगे कि दोनों ही राज्यों में अगर ये पार्टियां साथ होंती तो परिणाम उल्टे होते.
हरियाणा विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने सबको हैरान करते हुए 48 सीटें जीतीं और सरकार बनाई. जबकि कांग्रेस ने वहां 37 सीटें जीतीं. इनेलो ने 2 सीटों पर जीत पाई तो निर्दलीय तीन पर जीते. इस चुनावों में बीजेपी का वोट पर्सेंटेज 39.94 था. कांग्रेस को 39.09 फीसदी वोट मिले. आम आदमी पार्टी ने एक भी सीट नहीं जीती लेकिन 1.79 फीसदी वोट हासिल किए. आप कह सकते हैं कि आप के ये वोट वो वोट थे, जो उसने आमतौर पर कांग्रेस के काटे थे. अगर इन दोनों पार्टियों के वोट पर्सेंट को मिला दें तो 40.88 फीसदी होंगे और अगर ये कांग्रेस के पास होते तो हरियाणा की चुनावी तस्वीर एकदम अलग होती.
दिल्ली में तब क्या हो सकता था परिणाम
अब आइए दिल्ली विधानसभा चुनावों की बात करें तो बीजेपी को कुल 45.90 वोट मिले, जिसने उसे इन चुनावों में समाचार लिखे जाते समय तक 48 सीटों पर पहुंचा दिया है जबकि 70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा में आप 22 सीटों पर दीख रही है. कांग्रेस किसी सीट पर जीतती हुई नहीं लग रही. अब आइए यहां भी वोट पर्सेंट की ओर नजर दौ़ड़ाते हैं
बीजेपी 45.90
आप 43.70
कांग्रेस 6.38 फीसदी
तो क्या दोनों ने अपना नुकसान ही किया
अब अगर आप आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के वोटों को जोड़ेंगे तो पूरा 50.08 फीसदी है यानि अगर दोनों मिलकर लड़ते तो यहां भी तस्वीर एकदम बदली हुई होती और तब शायद आप चौथी बार दिल्ली में सरकार बनाने की स्थिति में होती. तो दोनों ही पार्टियों ने अलग लड़कर अपना नुकसान किया.
Location :
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
First Published :
February 08, 2025, 15:04 IST